Saturday 30 July 2011

आईएसआई से 18 करोड़ लिए और वह ही तय करती थी एजेंडा

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 30th July 2011
अनिल नरेन्द्र
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट गुलाम नबी फई को बुधवार को अमेरिकी अदालत ने एक लाख डालर (करीब 45 लाख रुपये) के मुचलके पर जमानत दे दी। उसे नजरबंदी में रखने का आदेश दिया गया। उसके पैरों में रेडियो टैग बांधा जाएगा, जिससे उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। अमेरिकी संघीय एजेंसी एफबीआई ने बीते सप्ताह फई को आईएसआई से धन लेकर अनुचित ढंग से कश्मीर पर अमेरिकी नीति को प्रभावित करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। अलेक्जेंड्रिया की जिला अदालत के न्यायाधीश रावेल्स जोंस ने फई को जमानत देने और रेडियो टैग के साथ नजरबंद रखने का आदेश दिया। भारत के कश्मीर में जन्मे फई को वर्जीनिया के फेरफेक्स स्थित अपनी पत्नी के साथ अपने आवास में रहने की अनुमति दी गई है। फई और उसकी चीनी मूल की पत्नी को पासपोर्ट जमा करने को कहा गया है। फई ने कहा है कि कश्मीर के लोगों को अमेरिका से डरना नहीं चाहिए। उसने एक लिखित बयान में कहा, `कश्मीर के लोगों को यह सोचकर डरने की जरूरत नहीं कि विश्व शक्तियां और खासकर अमेरिका उन्हें निराश करेगा।' फई के वकील ने जमानत मिलने पर उसके द्वारा लिखित बयान की प्रति वितरित की। फई ने कहा, `जम्मू-कश्मीर राज्य के लोगों के प्रति मेरी आजीवन प्रतिबद्धता है। चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि में हो। मेरी प्रतिबद्धता उन्हें भी अपने भविष्य का फैसला करने के लिए आत्मनिर्णय का अधिकार हासिल करने में मदद करने की है।'
इससे पहले गुलाम फई ने अदालत में कहा कि मैं आईएसआई के इशारों पर काम करता था और आईएसआई से मैंने 40 लाख डालर (करीब 18 करोड़ रुपये) लिए। फई के वकीलों ने हालांकि दलील दी कि कश्मीरी अमेरिकी काउंसिल (केएसी) के प्रमुख फई ने हमेशा स्वतंत्र कश्मीर का समर्थन किया। एफबीआई एजेंट सारा वेब लिंडेन ने अदालत को बताया कि फई की हर बैठक का एजेंडा और भाषण आईएसआई तय करती थी। अमेरिकी अटार्नी गार्डन क्रोमबर्ग ने आरोप लगाया कि फई पिछले दो दशक से अमेरिका में आईएसआई के एजेंट के तौर पर काम कर रहा था। हलफनामे में आरोप लगाया गया कि केएसी अपने आपको ऐसा कश्मीरी संगठन बताता है, जो कश्मीरियों द्वारा संचालित होता है और उसे अमेरिकियों से पैसा मिलता है जबकि तीन सेंटरों में से एक `कश्मीर सेंटर' आईएसआई और पाकिस्तान सरकार के कुछ लोग संचालित कर रहे हैं। दो अन्य सेंटर लन्दन और ब्रुसेल्स में स्थित हैं। भारत सरकार को इस केस में विशेष दिलचस्पी लेनी चाहिए ताकि उसे पता चले कि पाकिस्तान किस-किस लेवल में ऑपरेट करता है। दुःख की बात तो यह है कि भारत के नामी-गिरामी पत्रकार गुलाम फई के आईएसआई प्रायोजित, फंडित कार्यक्रमों में भाग लेते रहे हैं।
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