Sunday, 27 May 2012

पेट्रोल कीमतें ः समझें इस सरकार के बहाने, छलावे और चालाकी...(2)

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 27 May 2012
अनिल नरेन्द्र
इस मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार की चालबाजियों, छल और इसके ही स्वामित्व की इन तेल कम्पनियों ने आज भारत में पेट्रोल दुनिया में सबसे महंगा पेट्रोल बना दिया है। आज की तारीख में दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 73.18 रुपये प्रति लीटर है। अन्य महानगरों में यह इससे भी ज्यादा है। अमेरिका जैसे देश में जहां आम आदमी की आमदनी हमसे बहुत ज्यादा है, में पेट्रोल 44.88 रुपये प्रति लीटर है। कराची में यह भाव 48.64 रुपये है। बीजिंग में 48.05 रुपये है, ढाका में 52.42 है, कोलम्बो में 61.38 है और नेपाल जैसे छोटे मुल्क में भी यह 65.26 रुपये प्रति लीटर है। पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि से और सारी वस्तुओं के दामों पर भी सीधा असर होता है। तेज रफ्तार शहरों की जीवन शैली और महंगी होगी। बाइक, कार, तिपहिये, टैक्सियां महंगी होंगी। टैक्सी वालों ने तो हड़ताल करने का नोटिस भी दे दिया है। जाहिर-सी बात है कि परिवहन सेवाएं प्रभावित होंगी। खुदरा मूल्य में उन वस्तुओं और सेवाओं के दाम बढ़ेंगे जिनमें पेट्रोल का इस्तेमाल होता है और इसका सीधा प्रभाव उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। मुद्रास्फीति वृद्धि चौतरफा महंगाई का सूचकांक है। महंगाई सुरसा की तरह मुंह फैला रही है। अब इसमें और भी वृद्धि होगी। सही बात तो यह है कि हमारे देश में केंद्र और राज्य सरकारों ने तेल विपणन को भी खजाना भरने का जरिया बना लिया है। पेट्रोल पर तो करों का बोझ इतना है कि ग्राहकों से इसकी दोगुनी कीमत वसूली जाती है। ताजा बढ़ोतरी के बाद दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 73.18 रुपये है और जबकि तेल विपणन कम्पनियों के सारे खर्चों को जोड़कर पेट्रोल की प्रति लीटर लागत 30 रुपये के आसपास ठहरती है। केंद्र सरकार जहां कस्टम ड्यूटी के रूप में साढ़े सात फीसदी लेती है वहीं एडिशनल कस्टम ड्यूटी के मद में दो रुपये प्रति लीटर, काउंटरवेलिंग ड्यूटी के रूप में साढ़े छह रुपये प्रति लीटर, स्पेशल एडिशनल ड्यूटी के मद में छह रुपये प्रति लीटर, सेनवेट के मद में 6.35 रुपये प्रति लीटर, एडिशनल एक्साइज ड्यूटी दो रुपये प्रति लीटर और स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी के मद में छह रुपये प्रति लीटर लेती है। राज्य सरकारें भी वैट, सरचार्ज, सेस और एंट्री टैक्स के मार्पत तेल में तड़का लगाती है। दिल्ली में पेट्रोल पर 20 फीसदी वैट है जबकि मध्य प्रदेश में 28.75 फीसदी, राजस्थान में 28 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 22 फीसदी है। मध्य प्रदेश सरकार एक फीसदी एंट्री टैक्स लेती है और राजस्थान में वैट के अलावा 50 पैसे प्रति लीटर सेस लिया जाता है। भारत दुनिया का अकेला देश है जहां सरकार की भ्रामक नीतियों के कारण विमान में इस्तेमाल होने वाले टरबाइन फ्यूल यानि एटीएफ पेट्रोल से सस्ता है। दिल्ली में पेट्रोल और एटीएफ की कीमतों में तीन रुपये का फर्प है और नागपुर जैसे शहर में तो एटीएफ पेट्रोल से सस्ता है। आर्थिक मामलों में किस तरह राजनीति है, इसका ताजा प्रमाण है पेट्रोल के मूल्य में साढ़े सात रुपये की भारी वृद्धि। केवल पेट्रोल महंगा करने का निर्णय इसकी गवाही देता है कि सरकार वोट बैंक प्रधान नीति के चलते शहरी उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है। ऐसा करके एक तरह से शहरी आबादी से वह भारी-भरकम सब्सिडी भी वसूल कर रही है जो डीजल, केरोसिन आदि पर दी जा रही है और जिसके बारे में यह पता है कि इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग होता है। दरअसल इसी कारण वक्त की मांग के बावजूद डीजल, केरोसिन और रसोई गैस के दामों को बढ़ाने से सरकार कतराती है क्योंकि यह विपक्ष को छोड़ो उसके सहयोगी दलों को भी स्वीकार्य नहीं है और इसमें किसी भी प्रकार की वृद्धि से कांग्रेस पार्टी का वोट बैंक प्रभावित होगा। (समाप्त)
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