Thursday 17 May 2012

आईपीएल-5 में स्पॉट फिक्सिंग स्टिंग ऑपरेशन

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 17 May 2012
अनिल नरेन्द्र
क्रिकेट में फिक्सिंग का भूत फिर बाहर निकल आया है। इंडिया टीवी ने एक स्टिंग ऑपरेशन कर आईपीएल के कुछ खिलाड़ियों द्वारा गलत तरीके से पैसे के लिए स्पॉट फिक्सिंग का खुलासा किया। चैनल ने दावा किया कि उसने यह स्टिंग ऑपरेशन एक साल तक किया है। इस स्टिंग ऑपरेशन में चैनल के रिपोर्टरों ने और आईपीएल टीमों के एजेंट बनकर खिलाड़ियों से मुलाकात की थी। जिसमें कई काम शामिल थे, जो भारतीय क्रिकेट बोर्ड के नियमों का उल्लंघन है। आइए देखें, इस टेप में एक खिलाड़ी से बातचीत क्या है। जैसा कि टीवी चैनल ने दावा किया है। रिपोर्टर ः मैच फिक्सिंग के लिए किस तरह के उदाहरण दिए गए हैं? खिलाड़ी ः यह कहा जाता है कि एक आध मैच फिक्स करके काफी कमाई कर सकते हो। रिपोर्टर ः एक नो बॉल या बाउंसर से काम चल जाता है? खिलाड़ी ः ओके। रिपोर्टर ः आपके लिए यह कोई समस्या नहीं है? खिलाड़ी ः नहीं कोई समस्या नहीं। रिपोर्टर ः 10, 15, 20 मैच या पांच मैच, आदि जितने मैच चाहो? खिलाड़ी ः ठीक है कोई समस्या नहीं है। रिपोर्टर ः टेस्ट, लीग या रणजी? खिलाड़ी ः हम...। रिपोर्टर ः क्या आप इससे सहमत हैं? खिलाड़ी ः हां ठीक है। रिपोर्टर ः यह आसान भी है। हम आपको पूरा मैच फिक्स करने को नहीं कह रहे? खिलाड़ी ः हूं...। रिपोर्टर ः हम सिर्प स्पॉट फिक्सिंग के लिए कह रहे हैं? खिलाड़ी ः हूं। रिपोर्टर ः मैं इसके लिए आपको 5000 दे रहा हूं, आप कितना चाहते हैं? खिलाड़ी ः उस टूर्नामेंट के लिए 40,000। इसके अलावा चैनल ने यह भी दावा किया कि मनीष पांडे, मोहनीश मिश्रा, मनविन्दर बिसला ने तय स्लैब से अधिक पैसे लिए। ऐसा करना बीसीसीआई के नियमों का उल्लंघन है। टीपी सुधींद्र ने नो बॉल फेंकने के लिए पैसे लिए। कुछ खिलाड़ी टूर्नामेंट के दौरान भी टीम बदलने को राजी मिले। बीसीसीआई ने अनकैंड (नीलामी में शामिल नहीं) खिलाड़ियों के लिए स्लैब निर्धारित किया हुआ है। वे इससे अधिक पैसे नहीं ले सकते। फ्रेंचाइजी भी उन्हें ऐसी पेशकश नहीं कर सकते, ऐसा करना नियम का उल्लंघन है। मध्य प्रदेश के गेंदबाज सुधींद्र ने जानबूझ कर नो बॉल फेंकने के लिए राजी हो गए। इसके लिए उन्होंने 50 हजार रुपये मांगे. सुधींद्र आईपीएल-5 में डेक्कन चार्जर्स के लिए खेलते हैं। चैनल के मुताबिक इवेंट में खेले गए एक घरेलू मैच में जानबूझ कर नो बॉल फेंकने के लिए 40 हजार रुपये लिए थे। शलभ श्रीवास्तव टीम बदलने और स्पॉट फिक्सिंग के लिए राजी दिखे। उन्होंने नो बॉल फेंकने के लिए 10 लाख रुपये की मांग की। शलभ ने बताया कि मनीष पांडे को सहारा पुणे वारियर्स में बनाए रखने के लिए 50 लाख की कार दी है। शलभ के मुताबिक कोलकाता से खेलने के लिए मनविन्दर बिसला ने 75 लाख रुपये ब्लैक में लिए हैं। बीसीसीआई ने कड़ा रुख अपनाते हुए जांच पूरी होने तक कथित पांच आरोपी क्रिकेटरों को तुरन्त प्रभाव से निलंबित कर दिया है। मोहनीश मिश्रा, शलभ श्रीवास्तव, टीपी सुधीन्द्र, अमित यादव और अभिनव बाली हैं जिन्हें जांच पूरी होने तक निलंबित किया गया है। हमारा मानना है कि यह स्टिंग ऑपरेशन अगर कुछ साबित करता है तो बस इतना कि कुछ छुटभैया खिलाड़ी केवल स्पॉट फिक्सिंग कर रहे थे। इससे पूरे मैच पर कोई असर नहीं पड़ेगा। रही बात एक टीम से दूसरी टीम में बदलने के लिए अतिरिक्त पैसों की मांग करना बेशक नियमों का उल्लंघन हो पर गम्भीर अपराध नहीं। ब्लैक में पैसा लेना भी इतना बड़ा अपराध नहीं। आईपीएल क्रिकेट से ज्यादा पैसों का खेल है। खिलाड़ी भी चाहते हैं कि वह ज्यादा से ज्यादा कमा सकें। फ्रेंचाइजी भी कुछ चुनिन्दा खिलाड़ियों को टीम में बरकरार रखने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन देते हैं। अगर पुणे वारियर्स ने ब्लैक में पैसे दिए हैं तो उसका कोई खास फायदा हुआ हो ऐसा नहीं दिखता। वह डेक्कन चार्जर्स के साथ प्वाइंट टेबल में सबसे नीचे है। टीवी चैनल सनसनी फैलाने के लिए मशहूर है। यह स्टिंग ऑपरेशन भी उसी सनसनी अभियान का एक हिस्सा है जिसमें ज्यादा गम्भीरता नजर नहीं आती। आईपीएल-5 को बिना वजह बदनाम करने का प्रयास है और दर्शकों में ख्वामख्वाह शक पैदा करने का एक प्रयास।
क्रिकेट में फिक्सिंग का भूत फिर बाहर निकल आया है। इंडिया टीवी ने एक स्टिंग ऑपरेशन कर आईपीएल के कुछ खिलाड़ियों द्वारा गलत तरीके से पैसे के लिए स्पॉट फिक्सिंग का खुलासा किया। चैनल ने दावा किया कि उसने यह स्टिंग ऑपरेशन एक साल तक किया है। इस स्टिंग ऑपरेशन में चैनल के रिपोर्टरों ने और आईपीएल टीमों के एजेंट बनकर खिलाड़ियों से मुलाकात की थी। जिसमें कई काम शामिल थे, जो भारतीय क्रिकेट बोर्ड के नियमों का उल्लंघन है। आइए देखें, इस टेप में एक खिलाड़ी से बातचीत क्या है। जैसा कि टीवी चैनल ने दावा किया है। रिपोर्टर ः मैच फिक्सिंग के लिए किस तरह के उदाहरण दिए गए हैं? खिलाड़ी ः यह कहा जाता है कि एक आध मैच फिक्स करके काफी कमाई कर सकते हो। रिपोर्टर ः एक नो बॉल या बाउंसर से काम चल जाता है? खिलाड़ी ः ओके। रिपोर्टर ः आपके लिए यह कोई समस्या नहीं है? खिलाड़ी ः नहीं कोई समस्या नहीं। रिपोर्टर ः 10, 15, 20 मैच या पांच मैच, आदि जितने मैच चाहो? खिलाड़ी ः ठीक है कोई समस्या नहीं है। रिपोर्टर ः टेस्ट, लीग या रणजी? खिलाड़ी ः हम...। रिपोर्टर ः क्या आप इससे सहमत हैं? खिलाड़ी ः हां ठीक है। रिपोर्टर ः यह आसान भी है। हम आपको पूरा मैच फिक्स करने को नहीं कह रहे? खिलाड़ी ः हूं...। रिपोर्टर ः हम सिर्प स्पॉट फिक्सिंग के लिए कह रहे हैं? खिलाड़ी ः हूं। रिपोर्टर ः मैं इसके लिए आपको 5000 दे रहा हूं, आप कितना चाहते हैं? खिलाड़ी ः उस टूर्नामेंट के लिए 40,000। इसके अलावा चैनल ने यह भी दावा किया कि मनीष पांडे, मोहनीश मिश्रा, मनविन्दर बिसला ने तय स्लैब से अधिक पैसे लिए। ऐसा करना बीसीसीआई के नियमों का उल्लंघन है। टीपी सुधींद्र ने नो बॉल फेंकने के लिए पैसे लिए। कुछ खिलाड़ी टूर्नामेंट के दौरान भी टीम बदलने को राजी मिले। बीसीसीआई ने अनकैंड (नीलामी में शामिल नहीं) खिलाड़ियों के लिए स्लैब निर्धारित किया हुआ है। वे इससे अधिक पैसे नहीं ले सकते। फ्रेंचाइजी भी उन्हें ऐसी पेशकश नहीं कर सकते, ऐसा करना नियम का उल्लंघन है। मध्य प्रदेश के गेंदबाज सुधींद्र ने जानबूझ कर नो बॉल फेंकने के लिए राजी हो गए। इसके लिए उन्होंने 50 हजार रुपये मांगे. सुधींद्र आईपीएल-5 में डेक्कन चार्जर्स के लिए खेलते हैं। चैनल के मुताबिक इवेंट में खेले गए एक घरेलू मैच में जानबूझ कर नो बॉल फेंकने के लिए 40 हजार रुपये लिए थे। शलभ श्रीवास्तव टीम बदलने और स्पॉट फिक्सिंग के लिए राजी दिखे। उन्होंने नो बॉल फेंकने के लिए 10 लाख रुपये की मांग की। शलभ ने बताया कि मनीष पांडे को सहारा पुणे वारियर्स में बनाए रखने के लिए 50 लाख की कार दी है। शलभ के मुताबिक कोलकाता से खेलने के लिए मनविन्दर बिसला ने 75 लाख रुपये ब्लैक में लिए हैं। बीसीसीआई ने कड़ा रुख अपनाते हुए जांच पूरी होने तक कथित पांच आरोपी क्रिकेटरों को तुरन्त प्रभाव से निलंबित कर दिया है। मोहनीश मिश्रा, शलभ श्रीवास्तव, टीपी सुधीन्द्र, अमित यादव और अभिनव बाली हैं जिन्हें जांच पूरी होने तक निलंबित किया गया है। हमारा मानना है कि यह स्टिंग ऑपरेशन अगर कुछ साबित करता है तो बस इतना कि कुछ छुटभैया खिलाड़ी केवल स्पॉट फिक्सिंग कर रहे थे। इससे पूरे मैच पर कोई असर नहीं पड़ेगा। रही बात एक टीम से दूसरी टीम में बदलने के लिए अतिरिक्त पैसों की मांग करना बेशक नियमों का उल्लंघन हो पर गम्भीर अपराध नहीं। ब्लैक में पैसा लेना भी इतना बड़ा अपराध नहीं। आईपीएल क्रिकेट से ज्यादा पैसों का खेल है। खिलाड़ी भी चाहते हैं कि वह ज्यादा से ज्यादा कमा सकें। फ्रेंचाइजी भी कुछ चुनिन्दा खिलाड़ियों को टीम में बरकरार रखने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन देते हैं। अगर पुणे वारियर्स ने ब्लैक में पैसे दिए हैं तो उसका कोई खास फायदा हुआ हो ऐसा नहीं दिखता। वह डेक्कन चार्जर्स के साथ प्वाइंट टेबल में सबसे नीचे है। टीवी चैनल सनसनी फैलाने के लिए मशहूर है। यह स्टिंग ऑपरेशन भी उसी सनसनी अभियान का एक हिस्सा है जिसमें ज्यादा गम्भीरता नजर नहीं आती। आईपीएल-5 को बिना वजह बदनाम करने का प्रयास है और दर्शकों में ख्वामख्वाह शक पैदा करने का एक प्रयास।
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