Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi |
Published on 19 May 2012
अनिल नरेन्द्र
उत्तर प्रदेश में तत्कालीन मायावती सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों की परतें खुलने लगी हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को मीडिया को बताया कि स्मारकों व पार्कों के निर्माण और उनमें हाथियों व अन्य मूर्तियों को लगाने में पांच हजार नहीं बल्कि 40 हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। लखनऊ के अम्बेडकर पार्प में लगी हाथी की मूर्तियों को बनवाने व उन्हें लगवाने में करोड़ों रुपये के सरकारी धन की बंदरबांट की गई है। आगरा के एक मूर्तिकार की शिकायत पर हजरतगंज पुलिस ने इस मामले में धोखाधड़ी, गबन व धमकी देने की रिपोर्ट दर्ज कर ली है। हाथी की मूर्तियों के भुगतान के मामले में आरोपित लखनऊ मार्बल के मालिक आदित्य अग्रवाल के विभूति खंड स्थित कार्यालय पर रविवार को जांच करने पहुंची पुलिस को कई अहम दस्तावेज हाथ लगे। दावा किया जा रहा है कि मायावती सरकार ने नौ लाख की मूर्ति के लिए 90 लाख का भुगतान किया। जांच से पता चलता है कि हाथी मूर्तियों के निर्माण के लिए राजकीय निर्माण निगम ने किसी भी तरीके की निविदाएं नहीं आमंत्रित किए थे।। इसके लिए न तो कोई टेंडर किया गया, न ही किसी भी समाचार पत्र में विज्ञापन निकालकर प्रचार-प्रसार किया गया। चहेतों को ठेका देने के लिए केवल कोटेशन के आधार पर गुपचुप तरीके से करोड़ों का टेंडर पास कर दिया गया। अब पुलिस इन्हीं तथ्यों के आधार पर इस घोटाले में नामजद अफसरों तथा उनके परिजनों की सम्पत्ति का ब्यौरा खंगालने में जुट गई है। डीआईजी लखनऊ के निर्देश पर पुलिस की तीन टीमें राजकीय निर्माण निगम, तहसील आफिस और पासपोर्ट कार्यालय में जांच करने पहुंची। जांच टीम ने जब राजकीय निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक (अरविन्द कुमार गुप्ता) से पूछा कि सरकारी काम के लिए बिना कोई टेंडर प्रक्रिया किए ही आखिर कोटेशन के आधार पर ही करोड़ों का काम कैसे दे दिया गया, इसके लिए किसी भी समाचार पत्र में कोई विज्ञापन प्रकाशित न करवाकर गुपचुप तरीके से यह खेल खेला गया है? इस पर प्रबंध निदेशक कोई जवाब नहीं दे सके। पुलिस की दूसरी टीम तहसील कार्यालय इस बात का पता लगाने गई कि घोटाले में नामजद आठ अधिकारियों व कर्मचारियों तथा उनके परिजनों के पास कितनी सम्पत्ति है। गैरतलब है कि आगरा के फतेहपुर सीकरी, गांव दूरा में रहने वाले मदन लाल ने शनिवार को विभूति खंड थाने में रिपोर्ट लिखाई थी कि लखनऊ मार्बल्स की प्रोपराइटर विद्या अग्रवाल के पति आदित्य अग्रवाल ने उन्हें हाथी की पत्थर की एक मूर्ति बनाने के लिए 48 लाख रुपये देने को कहा था। उन्हें एक लाख रुपये एडवांस देने के बाद छह लाख 56 हजार रुपये और दिए गए। मंगलवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह भी रहस्योद्घाटन किया कि स्मारकों व पार्कों के निर्माण में, मूर्तियों में तो घोटाला हुआ ही साथ ही इन स्मारकों व पार्कों में लगाए गए खजूर के पेड़ों की खरीद में भी गड़बड़ी की बात पता चली है। बड़े पैमाने पर हुई इन पेड़ों की अनाप-शनाप खरीद का सारा ब्यौरा इकट्ठा करवाया जा रहा है। निर्माण लागत में जमीन की कीमत का आकलन और स्मारकों व पार्कों में बने कई भवनों, महंगे पत्थरों की बाउंड्रीवॉल को कई-कई बार तोड़ा जाना शामिल है। सारा हिसाब-किताब सामने जल्द आ जाएगा। बसपा शासनकाल में हुए घोटालों की परतें अब उधड़ने लगी हैं।
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