Tuesday 22 May 2012

सवाल बाबा रामदेव के ट्रस्टों को 58 करोड़ के नोटिस का

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 22 May 2012
अनिल नरेन्द्र
योग गुरु बाबा रामदेव आजकल फिर सुर्खियों में हैं। पिछले कई दिनों से बाबा रामदेव ने विदेशों में जमा देश के काले धन को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित करने का अभियान चला रखा है, जन प्रतिनिधियों के खिलाफ खासकर सांसदों के प्रति सख्त भाषा का प्रयोग करना इसका एक हिस्सा बन चुका है। दूसरे शब्दों में यह कहा जाए कि बाबा रामदेव इस सरकार की आंखों की किरकिरी बन चुके हैं। सरकार ने भी बाबा पर जवाबी हमला करना आरम्भ कर दिया है। सरकार का कहना है कि योग गुरु रामदेव को आयकर चुकाने से मिली छूट खत्म हो गई है। उनके ट्रस्टों को 58 करोड़ रुपये चुकाने का नोटिस थमाया गया है। आयुर्वेदिक दवाएं बेचने से हुई कमाई पर आयकर चुकाने के लिए रामदेव के ट्रस्टों को नोटिस जारी कर दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि आंकलन वर्ष 2009-10 के दौरान हुई 120 करोड़ रुपये की कमाई पर कर चुकाने के लिए हरिद्वार स्थित पतंजलि योग पीठ ट्रस्ट, दिव्य योग ट्रस्ट और भारत स्वाभिमान ट्रस्ट को यह नोटिस जारी किया गया है। आयकर विभाग ने इन्हें वाणिज्यिक गतिविधियां मानकर नोटिस दिए हैं। विदेशों में जमा भारतीय नागरिकों के काले धन को देश में वापस लाने की मुहिम चला रहे रामदेव एक ऐसे संगठन के प्रमुख हैं जो भारत और दूसरे देशों में आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण और बिक्री का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट संचालित करते हैं। परमार्थ कार्य करने वाले संगठनों से जुड़े प्रावधानों के तहत पिछले कुछ सालों से उनके ट्रस्टों को आयकर चुकाने से छूट मिली हुई थी। अब आयकर विभाग कहता है कि जांच के बाद उन्होंने पाया कि आयुर्वेदिक दवाओं और इससे जुड़ी दूसरी पाचन सामग्रियों की बिक्री एक वाणिज्यिक गतिविधि है और इन्हें आयकर चुकाने से छूट नहीं मिल सकती। बाबा रामदेव ने इस नोटिस पर सख्त प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने जो मुहिम चलाई हुई है उससे सरकार घबरा चुकी है और आनन-फानन में मुझ पर दबाव डालने का प्रयास कर रही है। मगर वे जिस लक्ष्य को लेकर आगे बढ़े हैं उससे कभी पीछे नहीं हटेंगे। बाबा रामदेव ने कहा कि आयकर विभाग ने 58 करोड़ का कर थोपने का जो नोटिस दिया है, वह एक नियोजित चाल है। आयकर विभाग के निर्णय के खिलाफ आयकर आयुक्त के यहां अपील दायर कर दी गई है। ट्रस्ट पहले भी सही दिशा में चल रही थी और आगे भी सही चलेगी। योग गुरु ने कहा कि सरकार मुझे फांसी देना चाहती है और सेवा करना कोई अपराध नहीं है। आखिर मुझे किस बात की सजा दी जा रही है? मैंने कोई चोरी या देश से गद्दारी नहीं की है। देश से गद्दारी करने वाले व उनकी संतानें तो देश में राज कर रही हैं। वे तो काले धन वापस लाने तथा भ्रष्टाचार को फेंकने की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन इससे सरकार का सिंहासन हिलता है, क्योंकि व्यवस्था पर भ्रष्ट लोगों का कब्जा है। काले धन और भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर सरकार पर लगातार निशाना साध रहे बाबा की मुश्किलें सिर्फ आयकर नोटिस से ही खत्म नहीं होंगी। प्रवर्तन निदेशालय उनके तमाम ट्रस्टों के खिलाफ विदेश विनियम अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन के आरोपों की भी जांच कर रहा है, क्योंकि इन ट्रस्टों की व्यावसायिक गतिविधियां विदेशों में भी जारी है। यह पहली बार नहीं जब बाबा रामदेव की गतिविधियों पर सवाल खड़े हुए हैं। इससे पहले भी उनकी दवाओं की शुद्धता व विश्वसनीयता पर विशेषज्ञ सवाल उठा चुके हैं। बाबा के सबसे विश्वस्त सहयोगी बालकृष्ण की भारतीय नागरिकता पर उठा विवाद अब भी न्यायालय में विचाराधीन है। बाबा को सरकार को चुनौती देने का पूरा अधिकार है और यह भी सही माना जा सकता है कि बाबा के अभियान के खिलाफ सरकार बदले की कार्रवाई पर उतर आई है पर यह भी सच है कि बाबा अपनी दवाओं को कामर्शियल बेसिस पर चला रहे हैं, उनकी ग्लोबल मार्पिटिंग कर रहे हैं और अगर वह इन्हें आधुनिक कामर्शियल एक्टिविटी की तरह चला रहे हैं तो उस पर कर की मांग गलत नहीं हो सकती।
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