उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती सरकार के एक बड़े फैसले को जबरदस्त झटका लगा है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन और वरिष्ठता में आरक्षण का लाभ देने के लिए सरकार की ओर से किए गए दो प्रावधानों को असंवैधानिक करार दे दिया। इस फैसले का असर अन्य राज्यों में सरकारों की ओर से अपने कर्मचारियों को दिए जाने वाले आरक्षण के नियमों पर भी पड़ेगा। यदि मनमाने आंकड़ों पर किसी राज्य सरकार ने आरक्षण लागू किया होगा तो उसे चुनौती देने के लिए शीर्ष अदालत का यह फैसला मील का पत्थर साबित होगा। मायावती ने प्रमोशन में रिजर्वेशन लागू किया था जिसके चलते उत्तर प्रदेश में हजारों कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रमोशन मिला था। प्रमोशन पाने वाले सारे लोग आरक्षित वर्ग के हैं। इसके चलते सारे जूनियर लोग अपने सीनियर्स से भी सीनियर हो गए थे। हाई कोर्ट ने इस फैसले को गलत करार दिया था जिस पर तत्कालीन मायावती सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद एक नई समस्या खड़ी हो गई है। इन सभी लोगों का प्रमोशन वापस लिया जाएगा और यह काम आसान नहीं होगा। इसके अलावा लोगों के प्रमोशन सीनियोरिटी लिस्ट के मुताबिक ही होगी और जिनका प्रमोशन हो चुका है उनकी सीनियोरिटी लिस्ट में वो ही जगह हो जाएगी जो पहले थी। गौरतलब है कि मायावती सरकार ने राज्य कर्मचारियों की प्रोन्नति में दलितों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था। राज्य कर्मचारियों का एक बड़ा तबका इसके सख्त खिलाफ था और उन्होंने इस नीति को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने माना कि प्रमोशन में आरक्षण नहीं होना चाहिए। मायावती सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी राज्य सेवा अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अति पिछड़ा वर्ग आरक्षण अधिनियम 3(7) व सेवक वरिष्ठता नियम 8(अ) के मामले में हाई कोर्ट की लखनऊ बैंच के फैसले को जारी रखा है जबकि इलाहाबाद बैंच के आदेश को रद्द कर दिया है। शीर्ष अदालत ने फैसले में साफ कर दिया है कि जिन कर्मचारियों, अधिकारियों को इन प्रावधानों का लाभ दिया जा चुका है, उन पर यह फैसला लागू नहीं होगा। उत्तर प्रदेश की सपा सरकार भी प्रमोशन कोटे को खत्म करने की पक्षधर है। समाजवादी पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में बाकायदा इसका जिक्र किया था कि सरकार बनने पर प्रमोशन में आरक्षण खत्म किया जाएगा। इस फैसले का असर राजस्थान सहित कई अन्य राज्यों पर भी पड़ेगा। वैसे भी सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार की ओर से लागू किए गए आरक्षण को चुनौती देने का मामला लम्बित है। विभिन्न राज्य सरकारें अगर चाहें तो सुप्रीम कोर्ट के इस दूरगामी फैसले का लाभ उठा सकती हैं पर यह मामला कानूनी से ज्यादा राजनीतिक है। वोट बैंक पॉलिटिक्स के चलते इस प्रकार का कोटा सिस्टम लागू किया जाता है। प्रमोशन में आरक्षण देशहित में कभी नहीं हो सकता। दाखिलों में आरक्षण फिर भी समझ आता है पर प्रमोशन को मेरिट व सीनियोरिटी के आधार पर ही होना चाहिए।
Anil Narendra, Daily Pratap, Quota in Promotion, Supreme Court, Vir Arjun, Uttar Pradesh, Mayawati,
Anil Narendra, Daily Pratap, Quota in Promotion, Supreme Court, Vir Arjun, Uttar Pradesh, Mayawati,
No comments:
Post a Comment