आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) अपने क्लाइमैक्स में पहुंच गया है। मंगलवार से नाकआउट स्टेज आरम्भ हो गई है। अपने-अपने विचार हो सकते हैं। मुझे तो यह कहने में कोई संकोच नहीं कि मैंने आईपीएल मैचों का पूरा मजा लिया है। पिछले लगभग डेढ़ महीने से जब से आईपीएल शुरू हुआ है मैंने तकरीबन सारे मैच देखने का प्रयास किया है। मजबूरी की वजह से इक्का-दुक्का रह गए हों तो और बात है पर हर शाम मैंने मैचों का रोमांच लिया है। मेरी राय में यह एंटरटेनमेंट का बहुत अच्छा साधन रहा। औरतों को भी मजबूरी में सीरियल छोड़कर मैच देखने पड़े। हमने इन मैचों में देखा कि किसी सपाट पिच पर 180 के लक्ष्य का बचाव किया जा सकता है। 160 के स्कोर पर भी चुनौती पेश की जा सकती है और 140 के लक्ष्य को आसानी से पाया जा सकता है। कुछ टीमें लक्ष्य का पीछा करते हुए मैच को आखिरी बॉल तक ले गए और कई मैचों में आखिरी बॉल पर हार-जीत का फैसला हुआ। इससे ज्यादा किसी भी मैच में और क्या रोमांच हो सकता है? हमने टूर्नामेंट में देखा कि यदि आखिरी दो ओवर में जीत के लिए 25 रन की भी जरूरत रही तो बल्लेबाजों ने उसे हासिल कर लिया। टी-20 में गेंदबाजों की भूमिका भी साफ हुई। क्रिस गेल जिस टीम (रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु) में हों और वह नाकआउट से बाहर हो जाए तो दर्शाता है कि डेल स्टेन जैसा बॉलर कितना कहर ढा सकता है। वैसे फाइनल स्टेज पर पहुंचने वाली चार टीमों ने डेक्कन चार्जर्स का दिल से शुक्रिया अदा किया होगा कि उन्होंने क्रिस गेल को फाइनल स्टेज से बाहर कर दिया। क्योंकि क्रिस गेल रहते तो वह किसी भी टीम के अकेले अपने दमखम पर नाक में दम कर देते। इससे यह भी साबित हुआ कि अकेले बल्लेबाजों से टीम नहीं जीतती, उसकी बॉलिंग और फील्डिंग भी उतनी ही जरूरी है। बैलेंस्ड टीम होनी चाहिए। दिल्ली डेयर डेविल्स मुझे सबसे ज्यादा बैलेंस्ड टीम लगती है। जिगरी दोस्त वीरेन्द्र सहवाग और गौतम गम्भीर आमने-सामने होंगे। दिल्ली को सुनील नारायण की काट निकालनी होगी। एक तरफ वीरू और मोर्पल होंगे तो दूसरी तरफ गौतम और सुनील नारायण। अगर किस्मत की बात करें तो मेरी राय में सबसे धनी किस्मत के हैं महेन्द्र सिंह धोनी। डेक्कन की बेंगलुरु पर जीत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि महेन्द्र सिंह धोनी और चेन्नई सुपरकिंग्स सचमुच भाग्य के धनी हैं। पिछली दो बार की चैंपियन चेन्नई को 2010 की तरह इस बार भी आईपीएल से लगभग बाहर माना जा रहा था। पूरी तरह से वह दूसरी टीमों के परिणाम पर निर्भर थे और तीनों परिणाम उनके अनुकूल रहे। चेन्नई ने 17 अंक के साथ लीग चरण का समापन किया था और किंग्स इलेवन पंजाब, राजस्थान रॉयल्स और बेंगलुरु उससे आगे निकलने की स्थिति में थे। चेन्नई तभी प्ले ऑफ में पहुंच पाता जबकि पंजाब और राजस्थान दोनों अपना एक-एक मैच हार जाते। दोनों के तब 14-14 अंक थे और उन्हें दो मैच खेलने थे। पंजाब और राजस्थान दोनों हार गए। अब सबकी निगाहें चार्जर्स और बेंगलुरु मैच पर टिकी थी। बेंगलुरु मैच जीतने पर प्ले ऑफ में पहुंच जाता और चेन्नई बाहर हो जाता पर क्रिस गेल और विराट कोहली जैसे दिग्गजों की टीम बेंगलुरु मैच हार गई और धोनी पहुंच गए प्ले ऑफ स्टेज पर। है न किस्मत के धनी? आईपीएल जैसे बड़े टूर्नामेंट में थोड़े विवाद तो जरूर होंगे। कहा जा रहा है कि इसमें ब्लैक मनी का खुला इस्तेमाल हुआ है। हुआ होगा, उसे रोकने की कोशिश भी होनी चाहिए पर इसकी वजह से आईपीएल बन्द कर दिया जाए, हम सहमत नहीं हैं। रेव पार्टियों में इक्का-दुक्का क्रिकेटर का शामिल होना, स्पॉट फिक्सिंग के आरोप, महिला पर लड़ाई यह सब चलता है। हमें इस टूर्नामेंट के पाजिटिव बातों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। दो महीने बाद वर्ल्ड टी-20 टूर्नामेंट हेने जा रहा है। कितने भारतीय युवा खिलाड़ी आईपीएल में उभरकर आए हैं। इनमें अजिक्म रहाणे जैसे भारतीय टीम-20 में शामिल किए जा सकते हैं और भी कुछ युवा खिलाड़ी हैं जिन्हें मौका दिया जा सकता है। यह तभी सम्भव हुआ जब यह आईपीएल में अपनी फार्म और हुनर दिखा सके। फिर दर्जनों उन खिलाड़ियों, कोचों, फिजियों व अन्य लोगों को मौका मिल रहा है जो वैसे तो खेलने के लिए फिट हैं पर उम्र की वजह से नेशनल टीमों से बाहर हैं। होटलों, एयरलाइनों, ट्रांसपोर्ट उद्योग को भी कितना लाभ हुआ है। बेहतर चीजों का तजुर्बा करने का मौका मिला है। भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी खिलाड़ियों के साथ खेलने, सीखने का मौका मिलता है। कुल मिलाकर यह एक अच्छा फार्मेट है जो जारी रहना चाहिए। देखें कौन-सी टीम खिताब जीतती है? वही जीतेगी जो मैच के दिन बेहतरीन खेल खेलेगी।
Anil Narendra, Cricket Match, Daily Pratap, IPL, T20, Vir Arjun
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