Sunday 20 May 2012

राजधानी की सड़कों पर आम पब्लिक तो क्या जज भी सुरक्षित नहीं


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 20 May 2012
अनिल नरेन्द्र
दिल्ली की सड़कें इतनी असुरक्षित होती जा रही हैं कि अब तो सड़क पर चलने से डर लगने लगा है। आम लोग तो अब दूर की बात है, राजधानी में तो जज तक सुरक्षित नहीं हैं। हाल ही में लाजपत नगर इलाके में रोडरेज की घटना में एक जज के साथ मारपीट हुई थी अब बृहस्पतिवार शाम को एक बार फिर कार सवार तीन जजों पर हमला हो गया। यह वारदात दक्षिणपुरी इलाके में हुई जहां एस्टीम कार में सवार तीन जजों की गाड़ी मामूली रूप से एक बाइक से टच हो गई थी। इस बात को लेकर शुरू हुई कहासुनी के बाद विवाद इतना बढ़ गया कि बाइक सवार युवकों ने जज की गाड़ी पर ईंटें बरसाकर हमला कर दिया। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एमएम) अजय गर्ग और दो एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज (एजीडे) मनोज कुमार नागपाल और इन्द्रजीत सिंह शाम को साकेत कोर्ट से एक ही कार से फरीदाबाद स्थित अपने घर जा रहे थे। दक्षिणपुरी के जे ब्लॉक में उनकी गाड़ी एक प्लेटिना बाइक से टकरा-सी गई। इससे बाइक पर सवार दो युवक भड़क गए और उन्होंने कार चालक चमन लाल को बाहर खींच लिया। युवकों ने पहले तो कार में सवार जजों के साथ बदसलूकी की और फिर उनके साथ हाथापाई की। थोड़ी देर बाद बाइक सवार दो और युवक वहां पहुंच गए और उन्होंने भी मारपीट शुरू कर दी। हमलावरों ने आसपास पड़े ईंट-पत्थरों से कार की तोड़फोड़ शुरू कर दी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पीछे की सीट पर बैठे दोनों एडीजे मनोज कुमार नागपाल और इन्द्रजीत सिंह पास स्थित एक मकान की तरफ भागे। दोनों एडीजे को मामूली चोट आई जबकि एमएम अजय गर्ग और ड्राइवर चमन लाल के सिर में चोटें आई हैं। हमलावर चारों युवक अपनी बाइकें घटनास्थल पर ही छोड़कर फरार हो गए। ये दोनों बाइकें दिल्ली नम्बर की हैं। पुलिस ने वारदात के बाद घटना में शामिल अनिल नामक युवक को अम्बेडकर नगर से पकड़ा और उसकी निशानदेही पर दो अन्य युवकों को भी हिरासत में लिया है। इसमें से अनिल ने खुद को पत्तर से घायल कर लिया है। वह अभी अस्पताल में दाखिल है। दिल्ली में रोडरेज की घटनाएं दिन-प्रति-दिन बढ़ती ही जा रही हैं। वर्ष 2011 में कुल हत्याएं 17 फीसदी रोडरेज के चलते हुईं, 2010 में यह तादाद 15 फीसदी थी। वक्त आ गया है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सजग हुआ जाए। सिर्प पुलिस को कोसने से कुछ खास नहीं होगा। बेशक अपराध नियंत्रण का जिम्मा पुलिस का है पर रोडरेज में पुलिस क्या कर सकती है? दिल्ली की सड़कों पर चलने वाले लोगों का आत्म संयम कम होता जा रहा है। मामूली-सी रगड़ लग जाए, साइड न मिले तो अपना आपा खो देते हैं। इन्हें अब इसकी परवाह भी नहीं कि जिस पर हमला कर रहे हैं वह व्यक्ति कौन है। किस उम्र का है? हाल में `एम्स' के एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि दिल्ली के तकरीबन 20 फीसदी से अधिक युवक रक्तचाप यानि ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हैं। आधुनिक जीवन की आपाधापी और गलाकाट प्रतिस्पर्धा ने युवाओं को दिमागी तथा शारीरिक स्तर पर प्रभावित किया है अब जाहिर है। यही कारण है कि घर के भीतर-बाहर अपराध बढ़ रहे हैं। राजधानी में मौसम के पारे के साथ-साथ सड़क पर युवाओं का पारा भी बढ़ता जा रहा है। सड़कें तंग होती जा रही हैं, वाहन बढ़ते जा रहे हैं। जजों पर हमला करने वाले युवकों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इनको तो सड़क पर चलने ही नहीं देना चाहिए। इनके लाइसेंस ही रद्द कर दो। तभी रोडरेज के यह बढ़ते मामले रुकेंगे।

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