गुटखा खाने वालों के लिए खबर अच्छी नहीं है। मध्य प्रदेश ने गुटखे पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब अन्य राज्यों ने भी मध्य प्रदेश के नक्शे कदम पर चलने की तैयारी शुरू कर दी है। इनमें गुटखा का जन्मदाता राज्य उत्तर प्रदेश भी शामिल है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का भी अब मानना है कि वह दिन दूर नहीं जब सभी राज्यों में गुटखे पर प्रतिबंध लग जाए। वैसे केंद्र सरकार ने बहुत पहले ही गुटखा पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी कर दी थी। अब लाइसेंस रद्द कर इस प्रतिबंध को लागू करने का काम राज्य सरकारों का है। मध्य प्रेदश ने इस दिशा में पहल कर पूरे देश में गुटखा पर प्रतिबंध का रास्ता खोल दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने विभिन्न राज्यों से इस बारे में मिल रहे `इनपुट' के आधार पर दावा किया कि गुटखा के अब गिनती के चंद महीने रह गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में तंबाकू नियंत्रण के निदेशक अमल पुष्प ने कहा कि केंद्र सरकार ने तो पहले ही गुटखा पर प्रतिबंध की अधिसूचना जारी कर दी है पर उसे लागू तो राज्य सरकारों को ही करना है। मध्य प्रदेश में गुटखा पर प्रतिबंध की वजह से दूसरे राज्यों पर भी यह कदम उठाने का नैतिक दबाव काफी बढ़ गया है। इसका असर भी दिखने लगा है। गुटखा की लत से देश के युवकों एवं बच्चों की सेहत पर भारी खतरा पैदा हो गया है। अमल पुष्प ने कहा कि राजस्थान, झारखंड, केरल सहित कई राज्यों के कानून विभाग ने गुटखा पर प्रतिबंध की प्रक्रिया शुरू भी कर दी है। इस दिशा में सबसे सकारात्मक बात यह हुई है कि गुटखा के जन्मदाता राज्य उत्तर प्रदेश में गुटखा प्रतिबंध को लेकर सरकार ने विचार शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश की तरह केरल में भी जल्द ही प्रतिबंध की घोषणा होने वाली है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के सभी राज्यों के पास मध्य प्रदेश के इस कदम की अधिसूचना भेज दी है, साथ ही सभी राज्य तंबाकू नियंत्रण सेलों में केंद्रीय प्रतिनिधि को यह निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने राज्यों में प्रतिबंध को लेकर दबाव बढ़ाएं। अमल पुष्प ने कहा कि केंद्र सरकार ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी ऑफ इंडिया की अधिसूचना के जरिए बहुत पहले यह तय कर दिया है कि गुटखा एक खाद्य पदार्थ है इसलिए इसमें तंबाकू और निकोटिन नहीं मिलाए जा सकते। सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि गुटखा एक खाद्य पदार्थ है। अमल पुष्प ने कहा कि फिल्मों में सिगरेट पीने के दृश्यों को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अधिसूचना की अड़चनें भी जल्द खत्म हो जाएंगी। दूसरी ओर गुटखा खाने वालों का कहना है कि गुटखा खाना या न खाना अपनी-अपनी पसंद है और इसमें सरकार को कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। सरकार ज्यादा से ज्यादा यह कर सकती है कि गुटखे के सेवन से उत्पन्न होने वाले खराब प्रभाव को प्रसारित करे पर अंतिम फैसला उपभोक्ता पर ही छोड़ा जाना चाहिए।
Anil Narendra, Daily Pratap, Gutkha, Madhya Pradesh, Vir Arjun
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