Friday 18 May 2012

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में अंतिम अभियुक्त ए. राजा की जमानत

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 18 May 2012
अनिल नरेन्द्र
हाल के वर्षों में देश की राजनीति में भूचाल लाने वाले एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये के 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी और जेल में बन्द आखिरी अभियुक्त पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा को अंतत अदालत से जमानत मिल गई। दिल्ली की तिहाड़ जेल में सवा साल बिताने के बाद ए. राजा बाहर आकर अगले दिन ही संसद में भी पहुंच गए। 49 वर्षीय राजा काफी खुश दिख रहे थे लेकिन उन्होंने संसद भवन में खड़े पत्रकारों से कोई बातचीत नहीं की। ए. राजा को 2 फरवरी 2011 को गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने ए. राजा को 20 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो बांड पर जमानत देने का आदेश दिया। जमानत मिलने के बाद राजा ने कहा कि उनके खिलाफ मामला झूठा और मनगढ़ंत है और कानून के आधार पर टिकने वाला नहीं है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में गिरफ्तारी के बाद जमानत के लिए आवेदन न करना ए. राजा की एक सोची-समझी चाल थी। उन्होंने इस मामले में अभियुक्त कम बल्कि एक पेशेवर वकील की तरह ज्यादा काम किया। मामले की नजाकत व मीडिया को अटैंशन न देखते हुए उन्होंने जमानत की अर्जी नहीं दी और पूरे 15 महीने जेल में रहे। राजा को मालूम था कि सीबीआई ने उन्हें पूरे केस का सूक्षधार बना रखा है और जब भी जमानत के लिए वह आवेदन करेंगे सीबीआई यही दलील पेश करेगी। इसलिए उन्होंने सीबीआई को चार्जशीट दाखिल करने दी। इतना ही नहीं, उन्होंने चार्जशीट पर संज्ञान लेने तथा ट्रायल शुरू होने के बाद भी जमानत की अर्जी नहीं दी। यहां तक कि डीएमके सांसद तथा पार्टी प्रमुख की बेटी कनिमोझी की जमानत के बाद भी उन्होंने आवेदन नहीं किया जबकि सांसद को मिली जमानत उनके आवेदन का ठोस आधार बन सकता था। उन्होंने आवेदन तब किया जब गत सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने मामले के अंतिम अभियुक्त पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और निजी सचिव आरके चंदोलिया को जमानत दे दी। इस रणनीति का फायदा यह है कि राजा के खिलाफ अदालतों की टिप्पणियां नहीं हैं। यहां तक कि जमानत देते हुए सीबीआई कोर्ट ने कहा कि राजा सुबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते क्योंकि सभी सुबूत दस्तावेजों की शक्ल में हैं। राजा के लिए कोर्ट का यह सकारात्मक रुख है जो ट्रायल के दौरान उनके पक्ष में जाएगा। वैसे ए. राजा जमानत पर ऐसे वक्त बाहर आए हैं जब स्पेक्ट्रम घोटाले से उठती आंच ने उनके पूर्व टेलीकॉम मंत्री दयानिधि मारन और तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम तक को अपनी चपेट में ले लिया है। मारन पर आरोप हैं कि टेलीकॉम मंत्री रहते उन्होंने एक देशी टेलीकॉम कम्पनी एयरसेल की बाहें उमेढकर उसे मलेशिया की एक कम्पनी के हाथों बिकने पर मजबूर किया और एवज में इस विदेशी कम्पनी से करीब छह सौ करोड़ रुपये रिश्वत के रूप में बटोरे। लेकिन हाल के खुलासे तो और गम्भीर है, जिनमें चिदम्बरम के साथ उनके बेटे कार्ती चिदम्बरम का नाम भी उछला है और पता चला है कि इस विदेशी कम्पनी को लाभ पहुंचाने के लिए देश के सख्त कानूनों को कैसे ताक पर रख दिया गया। संसद में चिदम्बरम जब अपनी सफाई में भावुक होकर कहते हैं कि चाहे मेरी छाती में खंजर भोंक दो लेकिन मेरी ईमानदारी पर शक मत करो तब उन्हें यह भी बताना चाहिए कि उनके वित्त मंत्री रहते एक विदेशी कम्पनी देश के कानून से कैसे खेल गई? भारत के कानून से खिलवाड़ करने और सरकार से धोखाधड़ी करने के स्पष्ट सुबूतों के बावजूद क्यों नहीं `मैक्सिस' का लाइसेंस कैंसिल कर उसके खिलाफ मुकदमा चलाया गया? चिदम्बरम ने संसद में साफ इंकार कर दिया कि उनके या परिवार के किसी सदस्य के पास किसी भी टेलीकॉम कम्पनी के शेयर रहे हैं। तब उन्हें यह भी बताना चाहिए कि एयरसेलöमैक्सिस सौदे में उनके बेटे कार्ती चिदम्बरम का नाम किन हालात में उछला है? ए. राजा की जमानत पर प्रतिक्रिया देते हुए अभियुक्तों के वकील माजिद मेमन का कहना है कि सीबीआई के केस में दम नहीं है और वह अदालत की सख्त जांच झेल नहीं पाएगी। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी कह रही है कि 2जी स्पेक्ट्रम को बेचने में 1.75 लाख करोड़ का घोटाला हुआ लेकिन क्या उसके पास इसका कोई दस्तावेजी सुबूत है? अभी तक की कार्रवाई में सीबीआई ने इस तरह का साक्ष्य पेश नहीं किया है। इससे मुझे कुछ समय पहले एक राजनेता से हुई बात याद आ गई। नेता ने कहा कि अगर कोई पालिटीशियन किसी भी आरोप में जेल जाने को तैयार है तो वह साफ बच सकता है। कहीं ए. राजा का यही किस्सा न हो? जेल तो वह हो आए पर देश को 1.75 लाख करोड़ की रिकवरी में भी उतनी दिलचस्पी है जितनी सजा काटने में। क्या सीबीआई इस रकम को कभी रिकवर कर सकेगी?
2G, A Raja, Anil Narendra, Daily Pratap, P. Chidambaram, Vir Arjun

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