Wednesday 16 May 2012

एयर इंडिया का भट्ठा बिठाने में प्रफुल्ल पटेल का कितना हाथ?

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 16 May 2012
अनिल नरेन्द्र
एयर इंडिया वर्षों से देश व सरकार के लिए सिरदर्द बनी हुई है। आए दिन स्टाफ की हड़ताल से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। पायलट और स्टाफ अलग परेशान, यात्री अलग परेशान और सरकार अलग परेशान। आखिर कसूरवार कौन है? हल क्या है इस सिरदर्द का, घाटे का। अरबों रुपये का नुकसान हो चुका है और इस अंधेरी सुरंग में कोई लाइट दिखने की उम्मीद नजर नहीं आ रही। सबसे ज्यादा कसूरवार यूपीए की सरकार है। उसके मंत्रियों ने इसे पैसे बनाने की एक मुर्गी बना रखा है। गठबंधन मजबूरियों की दुहाई देकर यूपीए सरकार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती। अब नागरिक उड्डयन मंत्री अजीत सिंह ने माना है कि एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय की प्रक्रिया में कहीं कुछ गम्भीर खामी है। इससे जिस तरह के परिणाम की उम्मीद की गई थी वह नहीं मिल सकी है। सिंह ने रविवार को एक टीवी चैनल में इंटरव्यू में कहाöमेरा काम यह देखना है कि मौजूदा स्थिति क्या है? अतीत की गलतियों से सीखते हुए एयर इंडिया सफल हो, इसके प्रयास करने हैं। फिलहाल हमें यह तय करना है कि धर्माधिकार समिति की रिपोर्ट कैसे लागू की जाए। इसमें दोनों कम्पनियों के मानव संसाधन को समन्वित करने जैसी तमाम दिक्कतों पर ध्यान दिया गया है। उधर एयर इंडिया पायलटों से उपजा संकट और गहरा गया है। पायलट अपनी बात पर अड़े हैं और सरकार अपनी बात पर। हमें लगता है कि नागर विमानन मंत्री अजीत सिंह को शायद एयर इंडिया के हड़ताली पायलटों के पीछे पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल का खेल समझ आ गया है। हड़ताली पायलटों से निपटने और एयर इंडिया को संकट से उबारने के लिए बुलाई गई पूर्व विमानन मंत्रियों की बैठक से प्रफुल्ल पटेल को बाहर रखा गया। सरकार समझ चुकी है कि अपने कार्यकाल में निजी विमानन कम्पनियों के हित में एयर इंडिया को घाटे में धकेलने वाले पूर्व नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल अब भी पायलटों की संस्था इंडियन पायलट गिल्ड (आईपीजी) के जरिये खेल कर रहे हैं। गिल्ड का अध्यक्ष और कोई नहीं बल्कि प्रफुल्ल पटेल की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक जितेन्द्र अहवाड हैं जो पायलटों के काम पर लौटेन की राह में सबसे बड़ी बाधा हैं। बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि सरकार पायलटों के समक्ष किसी भी हाल में नहीं झुकेगी। एयर इंडिया से जुड़े आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एयर इंडिया के हड़ताली पायलटों से निपटने और एयर इंडिया को संकट से उबारने के लिए वर्तमान विमानन मंत्री चौधरी अजीत सिंह ने शनिवार शाम अपने घर बैठक बुलाई थी। 12 तुगलक रोड स्थित उनके आवास पर शाम करीब चार बजे आयोजित बैठक में पूर्व विमानन मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ी, शाहनवाज हुसैन और शरद यादव शामिल हुए थे, लेकिन अजीत सिंह से ठीक पहले और इसी यूपीए सरकार में विमानन मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल इस बैठक में शामिल नहीं थे। उन्हें बुलाया ही नहीं गया। उन्हें यह संकट से उबारने से ज्यादा दिलचस्पी हड़ताल जारी रखने में है। इस सरकार की मजबूरी यह है कि गठबंधन धर्म के चलते यह प्रफुल्ल पटेल सरीखे के गठबंधन साथी से कुछ कहने की स्थिति में ही नहीं।
एयर इंडिया वर्षों से देश व सरकार के लिए सिरदर्द बनी हुई है। आए दिन स्टाफ की हड़ताल से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। पायलट और स्टाफ अलग परेशान, यात्री अलग परेशान और सरकार अलग परेशान। आखिर कसूरवार कौन है? हल क्या है इस सिरदर्द का, घाटे का। अरबों रुपये का नुकसान हो चुका है और इस अंधेरी सुरंग में कोई लाइट दिखने की उम्मीद नजर नहीं आ रही। सबसे ज्यादा कसूरवार यूपीए की सरकार है। उसके मंत्रियों ने इसे पैसे बनाने की एक मुर्गी बना रखा है। गठबंधन मजबूरियों की दुहाई देकर यूपीए सरकार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती। अब नागरिक उड्डयन मंत्री अजीत सिंह ने माना है कि एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय की प्रक्रिया में कहीं कुछ गम्भीर खामी है। इससे जिस तरह के परिणाम की उम्मीद की गई थी वह नहीं मिल सकी है। सिंह ने रविवार को एक टीवी चैनल में इंटरव्यू में कहाöमेरा काम यह देखना है कि मौजूदा स्थिति क्या है? अतीत की गलतियों से सीखते हुए एयर इंडिया सफल हो, इसके प्रयास करने हैं। फिलहाल हमें यह तय करना है कि धर्माधिकार समिति की रिपोर्ट कैसे लागू की जाए। इसमें दोनों कम्पनियों के मानव संसाधन को समन्वित करने जैसी तमाम दिक्कतों पर ध्यान दिया गया है। उधर एयर इंडिया पायलटों से उपजा संकट और गहरा गया है। पायलट अपनी बात पर अड़े हैं और सरकार अपनी बात पर। हमें लगता है कि नागर विमानन मंत्री अजीत सिंह को शायद एयर इंडिया के हड़ताली पायलटों के पीछे पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल का खेल समझ आ गया है। हड़ताली पायलटों से निपटने और एयर इंडिया को संकट से उबारने के लिए बुलाई गई पूर्व विमानन मंत्रियों की बैठक से प्रफुल्ल पटेल को बाहर रखा गया। सरकार समझ चुकी है कि अपने कार्यकाल में निजी विमानन कम्पनियों के हित में एयर इंडिया को घाटे में धकेलने वाले पूर्व नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल अब भी पायलटों की संस्था इंडियन पायलट गिल्ड (आईपीजी) के जरिये खेल कर रहे हैं। गिल्ड का अध्यक्ष और कोई नहीं बल्कि प्रफुल्ल पटेल की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक जितेन्द्र अहवाड हैं जो पायलटों के काम पर लौटेन की राह में सबसे बड़ी बाधा हैं। बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि सरकार पायलटों के समक्ष किसी भी हाल में नहीं झुकेगी। एयर इंडिया से जुड़े आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एयर इंडिया के हड़ताली पायलटों से निपटने और एयर इंडिया को संकट से उबारने के लिए वर्तमान विमानन मंत्री चौधरी अजीत सिंह ने शनिवार शाम अपने घर बैठक बुलाई थी। 12 तुगलक रोड स्थित उनके आवास पर शाम करीब चार बजे आयोजित बैठक में पूर्व विमानन मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ी, शाहनवाज हुसैन और शरद यादव शामिल हुए थे, लेकिन अजीत सिंह से ठीक पहले और इसी यूपीए सरकार में विमानन मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल इस बैठक में शामिल नहीं थे। उन्हें बुलाया ही नहीं गया। उन्हें यह संकट से उबारने से ज्यादा दिलचस्पी हड़ताल जारी रखने में है। इस सरकार की मजबूरी यह है कि गठबंधन धर्म के चलते यह प्रफुल्ल पटेल सरीखे के गठबंधन साथी से कुछ कहने की स्थिति में ही नहीं।
Air India, Ajit Singh, Anil Narendra, Daily Pratap, Praful Patel, Vir Arjun

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