Thursday 17 May 2012

यूपी सरकार का सशर्त फैसला ः ठगा महसूस कर रहे हैं बेरोजगार युवक

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 17 May 2012
अनिल नरेन्द्र
राजनीतिक पार्टियां चुनाव के दौरान अकसर ऐसे-ऐसे वादे कर देते हैं जिन्हें वह भी जानते हैं कि अगर जीत गए तो उन्हें पूरा करना आसान नहीं होगा। समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में ऐसा ही एक वादा किया था। यह था कि सरकार हर बेरोजगार को भत्ता देगी। सपा ने वादा तो कर दिया था पर तभी लगने लगा था कि जो हालत उत्तर प्रदेश सरकारी खजाने की है उसमें इसे पूरा करना बहुत टेढ़ी खीर होगी, वही हुआ। वोट की खातिर चुनावी एजेंडे में बेरोजगारों को भत्ता दिए जाने के वादे से लगता है कि `भैया जी' पलट गए हैं। भैया जी उर्प मुख्यमंत्री अखिलेश यादव। दरअसल शुक्रवार को मुख्यमंत्री द्वारा किए गए एक फैसले के बाद विधानसभा चुनाव में साइकिल पर मोहर लगाने वाले बेरोजगार खुद को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं। अकेले गाजियाबाद में लाइन लगाकर इस भत्ते की खातिर नाम दर्ज कराने के लिए पुलिस की लाठियां खाने वाले बीस हजार बेरोजगारों में से अधिकांश के हाथ निराशा ही लगी है। 15 मार्च के बाद इन लोगों ने सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण कराया। मुख्यमंत्री ने 15 मार्च के बाद कराए गए पंजीकरणों को बेरोजगार भत्ते की सूची से बाहर कर दिया है। इतनी ही नहीं, योग्यता और उम्र के निर्धारण के साथ ही हजारों बेरोजगारों के अरमानों पर पानी फिर गया है। अकेले गाजियाबाद जनपद में कुल पंजीकृत 46,186 बेरोजगारों में मात्र 29 प्रतिशत यानि 13,228 बेरोजगारों को ही भत्ता मिल सकेगा। 32,958 बेरोजगारों को राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद सूची से बाहर का रास्ता देखना पड़ेगा। इन्हें नौकरी तो शायद ही मिले अब भत्ता भी नहीं मिलेगा। बेशक राज्य सरकार से कुछ युवक प्रभावित होंगे पर कई लाख बेरोजगारों को इसका फायदा भी होगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के नौ लाख बेरोजगार युवक-युवतियों को बेरोजगारी भत्ता देने के अपने लुभावने प्रस्ताव पर शुक्रवार को मुहर लगा दी। मंत्रिमंडल ने फैसला किया है कि इस योजना का लाभ हाई स्कूल उत्तीर्ण 30 से 40 वर्ष की आयु वर्ग के वे लोग ही ले सकेंगे जो सरकारी या गैर सरकारी नौकरी में नहीं हैं। इस वर्ष पर 1113 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। बेरोजगारी भत्ता पाने वालों से समय-समय पर काम भी लिया जा सकता है और काम न करने पर भत्ता रोका जा सकता है। बेरोजगारों को हर साल अपने बेरोजगार होने या फिर रोजगार मिले जाने की सूचना खुद देनी पड़ेगी। प्रत्येक बेरोजगार को प्रतिमाह एक हजार रुपये का बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। यह त्रैमासिक किश्तों में किया जाएगा। खास बात यह है इस वर्ष योजना का लाभ सिर्प उन्हीं लोगों को मिल सकेगा, जिन्होंने पंजीकरण 15 मार्च से पहले रोजगार दफ्तर में करा लिया था। यह लाभ केवल उन्हीं बेरोजगारों को मिलेगा, जो यूपी के मूल निवासी हैं तथा वर्तमान में राज्य में निवास कर रहे हैं। योजना का लाभ आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के लोग ही ले सकेंगे। मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए फैसले के अनुसार बेरोजगार व्यक्ति के परिवार की समस्त स्रोतों से आय 36 हजार रुपये वार्षिक से कम हो तथा उसके माता-पिता अथवा ससुर-सास (जैसी भी स्थिति हो) की समस्त स्रोतों से आय एक लाख 50 हजार रुपये वार्षिक अथवा इससे कम हो। खजाना खाली है और योजनाएं लागू करना मजबूरी। कुछ युवा अपने आपको इसलिए ठगा महसूस कर रहे हैं क्योंकि सपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए अधिकतम उम्र सीमा 35 साल की जाएगी। इससे ज्यादा उम्र के बेरोजगारों को हर महीने एक-एक हजार रुपये भत्ता दिया जाएगा।
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