Tuesday 5 June 2012

जब विधायक ही असुरक्षित हैं तो आम जनता का क्या होगा

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 5 June 2012
अनिल नरेन्द्र
दिल्लीवासियों को अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक ही है क्योंकि यहां तो विधायक तक अपने आपको असुरक्षित महसूस करते हैं। दिल्ली के विधायक अपनी सुरक्षा की गुहार विधानसभा में बाकायदा लगा रहे हैं। नरेला के विधायक जसवंत सिंह राणा को बेटे की 50 लाख रुपये की फिरौती का फोन आया है तो शोएब इकबाल ने गोली चलने और हमले की शिकायत दे रखी है। अभी इन मामलों में विधानसभा में चर्चा चल ही रही थी कि खबर आई कि नजफगढ़ से इनेलो विधायक भरत सिंह (37) को शनिवार सुबह आधा दर्जन हमलावरों ने उनके दफ्तर में घुसकर गोली मार दी। विधायक को तीन गोलियां लगीं। एक बाजू पर और दो गोलियां पेट पर लगी हैं। हमले में एक गोली भरत सिंह के मामा धर्मपाल (55) को भी लगी है। दोनों की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। उधर जसवंत सिंह राणा ने दिल्ली विधानसभा में कहा कि 25 मई को नामजद शिकायत किए जाने के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। शोएब इकबाल ने कहा कि कई अन्य विधायकों के साथ भी वारदात हो चुकी है। विधायकों ने सदन में एक स्वर में कहा कि यूपी, हरियाणा, पंजाब या अन्य राज्यों की तर्ज पर विधायकों को सुरक्षा मिलनी चाहिए। तरविन्दर सिंह मारवाह ने कहा कि जिस तरह से जसवंत सिंह राणा को धमकी दी गई है उससे पूरा परिवार डरा हुआ है। मुख्यमंत्री तो गाड़ियों में काफिले के साथ चलती हैं, हमारा क्या होगा? वहीं शोएब इकबाल ने कहा कि बृहस्पतिवार रात बदमाशों ने उनकी गाड़ी पर गोलियां चलाईं और पथराव किया। अगर सुरक्षा नहीं मिलती है और कुछ हो जाता है तो जिम्मेदारी मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल या पुलिस आयुक्त की होगी। पुलिस का कहना है कि विधायक ने मुलाकात करके जानकारी दी है लेकिन लिखित शिकायत नहीं की है। जसवंत राणा ने फोन करके फिरौती मांगने वाले का नाम नीरज अवाना बताया है। बवाना औद्योगिक क्षेत्र में इसका गिरोह वसूली करता है। बवाना के विधायक सुरेन्द्र कुमार का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों की हालत और ज्यादा खराब है। विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर पुलिस आयुक्त को तलब किया गया है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि राणा मामले में पुलिस आयुक्त से चर्चा की है। बहुत-सी बातें ऐसी हैं जो सदन में नहीं कही जा सकतीं। विधायकों की सुरक्षा प्राथमिकता है। पुलिस कार्रवाई कर रही है, जहां सब कुछ सामने आ जाएगा। विधायकों की सुरक्षा जरूरी है पर हर विधायक को निजी सुरक्षाकर्मी नहीं दिए जा सकते। पहले से ही पुलिस की बहुत ज्यादा फोर्स वीवीआईपी ड्यूटी पर लगी हुई है। पब्लिक सिक्यूरिटी भी तो प्राथमिकता है। यह सही नहीं कि मुट्ठीभर वीवीआईपी की सुरक्षा पब्लिक की कीमत पर की जाए। आवश्यक तो यह है कि दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाए। कुछ जनता के प्रतिनिधियों के एंटी सोशल एलीमेंट्स से गहरे रिश्ते हैं और चुनाव के समय यह उनका इस्तेमाल भी करते हैं। पुलिस जांच से पता चलेगा कि विधायकों की शिकायत में कितनी सच्चाई है पर चिन्ता का विषय तो यह है कि जब दिल्ली के चुने प्रतिनिधि अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं करते तो आम जनता कितनी सुरक्षित होगी?

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