Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi |
Published on 13 June 2012
अनिल नरेन्द्र
भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला रहे समाजसेवी अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आरोप लगाया है कि कोयला मंत्रालय से संबंधित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में कोयला आबंटन में गड़बड़ी का जिक्र किया गया है और चूंकि कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री के अधीन था इसलिए वह इस गड़बड़झाले के आरोपी हैं। टीम अन्ना ने मांग की थी कि इन सभी मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल बनाया जाए। अन्ना हजारे द्वारा लिखे प्रधानमंत्री को पत्र का जवाब आ गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायण स्वामी ने जांच से इंकार करते हुए उलटा अन्ना पर ही आरोप जड़ दिए। उन्होंने कहा कि अन्ना राष्ट्र विरोधी तत्वों से घिरे हुए हैं जिन्हें विदेशी ताकतों का समर्थन हासिल है। ऐसा तो होना ही था पर इस बीच पूर्व कोयला सचिव का एक ऐसा बयान आया है जो कुछ हद तक टीम अन्ना के आरोपों की पुष्टि करता है। पूर्व कोयला सचिव पीसी पारिख ने कोयला ब्लॉकों के आबंटन में भ्रष्टाचार होने से इंकार नहीं करने का बयान देकर घोटाले के आरोपों से जूझ रही सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। वर्ष 2004-05 में कोयला सचिव रहे पारिख के एक निजी टीवी चैनल को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा कि ब्लॉकों के आबंटन से जुड़ी सरकारी समिति पर केंद्रीय मंत्रियों के साथ ही राज्य सरकारों का भी भारी दबाव था। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार सिर्प गलत निर्णय में ही नहीं हो सकता है बल्कि यह सही निर्णय लेने में भी हो सकता है। जब किसी को हजारों करोड़ रुपए की सम्पत्ति बगैर किसी शुल्क के दी जा रही हो तो ऐसी स्थिति में आबंटन हासिल करने वाला दूसरा व्यक्ति दूसरों को लाभ पहुंचा सकता है। इसके मद्देनजर वह कोयला ब्लॉकों के आबंटन में भ्रष्टाचार से इंकार नहीं कर सकते हैं।श्री मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बने 9 साल के करीब हो गए हैं। मुझे इन 9 सालों में एक भी बार डॉ. सिंह से मिलने का इत्तेफाक नहीं हुआ। न उन्होंने कभी बुलाया न मैंने पहल की पर जो व्यक्ति पीएम के अत्यंत करीबी रहा अगर वह यह कहे कि मनमोहन सिंह भ्रष्ट नहीं हैं पर गुनहगार जरूर हैं तो हर आदमी सोचने पर मजबूर जरूर होगा। हाल के समय तक प्रधानमंत्री के शीर्ष मीडिया प्रबंधक रहे हरीश खरे का कहना है कि डॉ. मनमोहन सिंह को भ्रष्ट तो कतई नहीं कहा जा सकता लेकिन कई मामलों में वह गुनहगार तो हैं। डॉ. खरे ने उसी अंग्रेजी दैनिक द हिन्द में अपनी यह राय जाहिर की है जिसे छोड़कर वह प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार बने थे और जब प्रधानमंत्री कार्यालय की मीडिया टीम में टीवी पत्रकार पंकज पचौरी को शामिल कर लिया गया तो खरे ने वहां से किनारा कर लिया था। प्रधानमंत्री पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में अपनी बेबाक राय जाहिर करते हुए डॉ. खरे ने अनेक ऐसे मामले गिनाए हैं जिनमें उन्होंने डॉ. सिंह को `गुनहगार' ठहराया है। उन्होंने कहा कि संप्रग की दूसरी पारी में डॉ. सिंह ने नीरा राडिया टेप मामले में पूरी नृशंसता से चीरफाड़ नहीं की जो घृणित कारपोरेट तत्वों का खेल था। यह गंदगी का ऐसा गटर था जिसकी परिणति उस कारपोरेट जंग में हुई जिसे आज के समय में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के नाम से शौहरत मिली।
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