Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi |
Published on 8 June 2012
अनिल नरेन्द्र
आतंक के खिलाफ अमेरिका की वॉर ऑन टेरर में उसे एक और बड़ी सफलता मिलने की खबर है। सोमवार को अमेरिका ने पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान में एक ड्रोन हमला करके 15 आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया है। ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अमेरिका की यह सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है। इस हमले में अबू याहया अल-लिबी के मारे जाने की खबर है। लीबियाई नागरिक लिबी का जन्म 1963 में लीबिया में हुआ था। 1990 के आसपास वह अफगानिस्तान आया था। उसे एक इस्लामी और लीबिया विचारक के रूप में भी जाना जाता था। लिबी 2005 में अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस स्थित जेल से नाटकीय ढंग से भाग निकला था। उसे वर्ष 2002 में नाटो बलों द्वारा तालिबान शासन को उखाड़ देने के बाद पकड़ा गया था। वह पिछले साल उत्तरी वजीरिस्तान में अमेरिकी मिसाइल हमले में एक और लीबियाई नागरिक आतियाह अब्दुल रहमान के मारे जाने के बाद अंतर्राष्ट्रीय आतंकी नेटवर्प अलकायदा का उपनेता बन गया था। लिबी 2007 में अलकायदा के प्रचार के लिए सीडी की एक पूरी श्रृंखला बनाने के बाद चर्चा में आया। अबु याहया अल लिबी अलकायदा का टॉप का स्ट्रेटेजिस्ट माना जाता था और आयमान अल जवाहिरी के बाद नम्बर दो का अलकायदा लीडर माना जाता था। लिबी पर अमेरिका ने एक अरब डॉलर का इनाम रखा था। चूंकि 2009 में भी उसके मारे जाने की खबर गलत साबित हुई थी इसलिए इस बार भी कुछ लोगों को यह यकीन नहीं हो रहा कि वाकई ही वह मारा गया है? न्यूयार्प टाइम्स ने अधिकारियों के हवाले से कहा है कि लोग यह जानना चाह रहे हैं कि क्या वह अब भी जिन्दा है? अखबार ने कहा कि सोमवार के ड्रोन हमले के निशाना बने मीर अली इलाके में कबाइली सूत्रों ने बताया कि अल लिबी या तो मारा गया है या बुरी तरह घायल हो गया है। हाल के दिनों में यह तीसरा और इस साल का सबसे खतरनाक ड्रोन हमला था। अगर अबू याहया अल लिबी के मारे जाने की खबर सच साबित होती है तो पिछले साल ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अलकायदा के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा। लिबी न सिर्प एक आतंकी था बल्कि अलकायदा का थिंक टैंक भी था। वह आत्मघाती हमलों का मास्टर माइंड भी माना जाता था। उर्दू-अरबी और पश्तो भाषा की गहन जानकारी होने के साथ उसे इस्लाम की गहन जानकारी भी थी। लिबी पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में आतंकी गतिविधियों के संचालन को देखता था और क्षेत्रीय समूहों से सम्पर्प कायम रखता था। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल उसकी जगह भरने वाला अलकायदा में कोई और नहीं है। अमेरिका को वॉर ऑन टेरर में यह एक उल्लेखनीय सफलता मिली है। अलकायदा का नेटवर्प धीरे-धीरे समाप्त हो जा रहा है। अलकायदा द्वारा दुनिया में फैलाए गए आतंक में भी कमी आई है। अगर अलकायदा कमजोर होता है तो 2014 में अमेरिका को अफगानिस्तान छोड़ने की डेडलाइन को पूरा करने में आसानी होगी। अगर अल लिबी की मौत की खबर की पुष्टि होती है तो इससे राष्ट्रपति बराक ओबामा को भी राष्ट्रपति चुनाव जीतने में मदद मिलेगी। वह छाती ठोंक कर कह सकते हैं कि उनके कार्यकाल में पहले लादेन और अब लिबी का सफाया उन्होंने किया।Al Qaida, America, Anil Narendra, Daily Pratap, ISI, USA, Vir Arjun
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