Thursday 21 June 2012

अक्सर फिसलती दिग्विजय सिंह की जुबां

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 21 June 2012
अनिल नरेन्द्र
मुझे आज तक यह समझ नहीं आया कि कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह किस हैसियत से आए दिन बयानबाजी करते रहते हैं। बातें भी वह ऐसी करते हैं जिनका गंभीर राजनीतिक अर्थ निकलता है। अगर वह कांग्रेस के पवक्ता नहीं तो किस आधार पर किसकी शह पर यह बयानबाजी करते हैं? उनको किसी न किसी की तो शह मिली होगी? नहीं तो वह नीतिगत बयान कैसे दे देते हैं। ताजा उदाहरण दिग्विजय की ममता बनर्जी के खिलाफ एक निजी टीवी चैनल पर बयानबाजी का है। दिग्विजय ने एक टीवी इंटरव्यू में तृणमूल कांग्रेस की पमुख ममता बनर्जी को अपरिपक्व और अस्थिर बताया और कहा कि पार्टी के धैर्य की एक सीमा होती है। सिंह ने यह भी कहा था कि ममता को मनाने के लिए पार्टी एक सीमा से आगे नहीं जाएगी। सवाल यह उठता है कि दिग्विजय ने ऐसा बयान क्यों दिया? क्या यह कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है कि तुम बयान दे दो बाद में हम उसका खंडन कर देंगे। ममता को संकेत भी मिल जाएगा और फिर हम पार्टी को आपके बयान से अलग कर लेंगे। यह पहली बार नहीं है जब दिग्विजय ने इस पकार के विवादास्पद बयान दिए हैं। हाल ही में दिग्विजय ने उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बारे में भी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि अंसारी को दोबारा उपराष्ट्रपति बनाना चाहिए। पार्टी सूत्रों का तर्प है कि जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस संबंध में अधिकृत कर दिया गया है तो पार्टी के जिम्मेदार नेताओं खासकर पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को इस बारे में बोलने पर परहेज करना चाहिए। दिग्विजय ने पार्टी अध्यक्ष को भी नहीं बक्शा। उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष के नेता सदन बनने में कोई बाधा नहीं है। वे नेता सदन बन सकती हैं, साथ ही कोई डिप्टी लीडर हो सकता है। यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद उनकी चुनाव के दौरान की गई टिप्पड़ियां पार्टी की हार का एक कारण बनी। दिग्विजय ने वटला हाउस मुठभेड़ को फर्जी करार देकर भी पार्टी और सरकार को फंसा दिया था। गृहमंत्री पी चिदम्बरम की नक्सल विरोधी नीति पर भी उन्होंने विवादास्पद टिप्पणी की थी। अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान भी आए दिन दिग्विजय आलतू-फालतू टिप्पणी करते रहे। आखिरकार कांग्रेस नेतृत्व को दिग्विजय सिंह के बड़बोलेपन के खिलाफ कदम उठाना ही पड़ा। पार्टी ने दिग्विजय सिंह के बयानों से अपने को जहां अलग किया वहीं यह सार्वजनिक तौर पर साफ किया कि वे मीडिया से बात करने के लिए आधिकारिक रूप से अधिकृत नहीं हैं। यह पहला मौका है जब कांग्रेस की तरफ से यह कहा गया है कि दिग्विजय की बातों का पार्टी के विचार न माने जाएं। यानी एक तरफ कांग्रेस ने साफ करने का पयास किया है कि मीडिया उनकी बातों को कांग्रेस का मत मान कर न चले वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को भी परोक्ष तोर पर चेतावनी दी है कि वह मीडिया में बयान देने से बाज आएं। दिग्विजय के विवादित बयानों से नाराज पार्टी ने उन्हें विभिन्न सियासी मुद्दों पर पार्टी की ओर से बोलने पर रोक दिया है। कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमैन कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने यह बयान जारी किया है। इसका मतलब यह है कि यह बयान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर जनार्दन ने दिया है। देखें क्या दिग्विजय पर इसका कोई असर होता है या नहीं?
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