Friday 8 June 2012

तेजी से बढ़ता इन रेव पार्टियों का चलन

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 8 June 2012
अनिल नरेन्द्र
20 मई को पुलिस ने मुंबई के जूह इलाके में एक रेव पार्टी पर छापा मारा। करीब 100 लोगों को हिरासत में लिया गया जिसमें दो आईपीएल खिलाड़ी भी थे। पूर्ण वारियर्स के राहुल शर्मा और दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाज वेन पार्नेल। आखिर ऐसा खास क्या होता है इन रेव पार्टियों में? ऐसी कई पार्टियों पर दबिश देने वाले एक वरिष्ठ पुलिस अफसर बताते हैं कि किसी भी सामान्य पार्टी और रेव पार्टी में फर्प तीन बातों से होता है। गोपनीय स्थान, जहां आमतौर पर लोग कम होते हैं, एक डीजे, ट्रांस म्यूजिक वाला जिसमें खासतौर पर लाउड म्यूजिक बजाते हैं जिसमें कोई बोल नहीं होते। इसके अलावा रेव पार्टी की खासियत है ड्रग्स। इसके रजिस्ट्रेशन गुप्त रूप से और कोडिड भाषा में भेजे जाते हैं। पहले यह एसएमएस पर होता था, अब सोशल नेटवर्किंग साइटें भी इसका जरिया बन रही हैं। रेव की शुरुआत 70 के दशक में पश्चिमी देशों में हुई। हिप्पी दौर में ऐसी खूब पार्टियां होती रहीं। इनमें ड्रग्स एलसीडी यानि लिसजिक एसिड डायइथाइलअमाइड लिया जाता था। लेकिन फिर ड्रग्स के लिए कड़े कानून बने तो ऐसे आयोजन गुप्त ढंग से होने लगे। ऐसी पार्टियों का आयोजन आमतौर पर फार्म हाउसों में किया जाता है। इनमें एक्सटेसी और एमडीएमए जैसे ड्रग्स का सेवन भी अब शुरू हो गया है। कोकीन भी कहीं-कहीं परोसा जाता है। मुंबई से शुरू हुई रेव पार्टियां अब राजधानी में भी दस्तक दे रही हैं। आजकल हम आए दिन दिल्ली में सुनते हैं कि दिल्ली पुलिस ने रेव पार्टियों में सप्लाई को लाए गए नशीले पदार्थ की खेप पकड़ी है। हालांकि दिल्ली पुलिस इन ड्रग्स सप्लायरों को पकड़ने के लिए हमेशा तैयार रहती है, लेकिन राजधानी में रेव पार्टियों में नशीले पदार्थ की सप्लाई नहीं थम रही। यमुनापार में कुछ दिनों पहले ही ऐसी एक पार्टी के लिए लाए गए कोबरा सांप के जहर को पुलिस ने जब्त किया था। लन्दन, न्यूयार्प सभी जगह आजकल पार्टियों में ड्रग्स का प्रयोग खुलेआम हो रहा है। अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट की वैबसाइट पर डाले गए एक दस्तावेज से पता चलता है कि रेव पार्टियों की शुरुआत 1980 की डांस पार्टियों से होती है, जहां यूरोपीय म्यूजिक का इस्तेमाल होता था। यह पार्टियां पहले छिपकर होती थीं पर अब तो खुलेआम हो रही हैं। समय के साथ-साथ इन रेव पार्टियों के तौर-तरीकों और नशे में भी काफी बदलाव आ गया है। आज की रेव पार्टियों की एंट्री पेड होती है। इसके अलावा आजकल की रेव पार्टियां घुप अन्धेरे कमरों में होती हैं, जहां लोग सेक्स करने से भी नहीं शर्माते। कई बड़े नाइट क्लब ड्रग्स के इस्तेमाल से परहेज नहीं करते बल्कि वे नशा कंट्रोल करने के लिए एनर्जी ड्रिंक और एटेस्टिड वॉटर भी सप्लाई करते हैं। कभी-कभार नशे को बढ़ाने के लिए भी सामान मुहैया कराया जाता है। राजधानी की चौकस पुलिस इन रेव पार्टियों पर नकेल कसने के लिए भरसक कोशिश तो करती है पर तस्कर नए-नए तस्करी और सप्लाई करने के तरीके निकाल ही लेते हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि इन तस्करों को हाई-फाई पार्टियों में नशीले पदार्थ की तस्करी के लिए मुंह मांगे दाम मिल जाते हैं।
Anil Narendra, Daily Pratap, Rev Party, Vir Arjun

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