Saturday 30 June 2012

अनाज सड़ा तो जेल की हवा खाएंगे अफसर

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 30 June 2012
अनिल नरेन्द्र
जिस देश में 20 करोड़ से अधिक लोगों को भरपेट भोजन मयस्सर नहीं होता, जहां 40 करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हों वहां लाखों टन अनाज सड़ जाए कितना बड़ा अपराध है। मैं अपने भारत महान की बात कर रहा हूं। हमारे देश में 10.5 फीसदी अनाज सही भंडारण व्यवस्था न होने के कारण बर्बाद हो जाता है। इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकारों की जमकर खिंचाई की है पर इस सबके बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश की हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने बुधवार को एक अहम आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि अनाजों के रखरखाव में लापरवाही बरतने वाले अफसरों, कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर तफ्तीश की जा सकती है, क्योंकि पब्लिक प्रापर्टी या अनाज को नुकसान पहुंचाना भारतीय दंड विधान के तहत अपराध है, साथ ही यह जनता के भरोसे को भंग करना है। इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश जारी कर खुले में अनाज रखने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि अनाज का नुकसान होने पर उसकी वसूली संबंधित स्टाफ या अफसरों के वेतन से की जाए। न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह व न्यायमूर्ति डॉ. सतीश चन्द्रा की ग्रीष्मावकाशकालीन खंडपीठ ने यह आदेश `वी द पीपल' संस्था की पीआईएल पर दिया। याचिका में सरकारी खरीद के अनाज विशेष तौर पर गेहूं सड़ने की खबरों का हवाला देते हुए इसे रोकने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया था। कोर्ट ने पीआईएल को विचारार्थ मंजूर कर राज्य सरकार को अनाज की हिफाजत के रास्ते व तरीके तलाशने के लिए एक समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं। यह समिति अनाज खरीद व भंडारण के लिए योजना बनाएगी। कोर्ट ने कहा कि अनाज भंडारण क्षमता के मद्देनजर की जानी चाहिए। अगर गोदाम पर्याप्त नहीं हैं तो नए बनाए जाएं या फिर सरकार इन्हें किराए पर ले सकती है। कोर्ट ने इस समिति से महीने भर में अपनी रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। इसके बाद दो माह में अनाज की खरीद व बिक्री रेग्यूलेट करने के लिए राज्य सरकार समुचित आदेश या सर्पुलर जारी करे। कोर्ट ने मामले के पक्षकारों को जवाबी हल्फनामा दाखिल करने के छह हफ्ते में जवाब देने का समय दिया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि अनाज ऊंचे स्थानों पर तत्काल तिरपाल आदि से ढंक कर रखा जाए। हम यूपी हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ को बधाई देना चाहते हैं कि अंतत किसी ने तो अनाज बर्बाद होने से बचाने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया है पर देखना यह है कि अखिलेश सरकार इस आदेश का पालन कितना करती है। अगर वह सही मयानों में कोई ठोस कदम उठाती है तो वह सूबे का भला तो करेगी, साथ-साथ देश के अन्य राज्यों को भी रास्ता दिखाएगी। सिर्प केंद्र सरकार पर यह मामला नहीं छोड़ा जा सकता। राज्य सरकारों की भूमिका भी कम महत्वपूर्ण नहीं है।

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