Friday 17 January 2014

15 दिन का केजरीवाल एंड संस का लेखा-जोखा

हालांकि 15-20 दिन का समय किसी भी सरकार के लिए बहुत कम होता है कुछ कर दिखाने को, अपने इरादे जताने को पर आप से जनता को इन 15 दिनों में थोड़ी मायूसी जरूर हो रही है। एक के बाद एक विवाद में फंसती जा रही है अरविंद केजरीवाल की सरकार। सरकार की कार्यप्रणाली से नौकरशाह ही नहीं बल्कि आम आदमी में भी असमंजस की स्थिति है। हाल यह है कि सरकार किसी भी काम के लिए पहले कदम बढ़ाती है और फिर अपने ही कदम वापस ले लेती है। पिछले चंद दिनों में केजरीवाल सरकार 15 बार अपने फैसलों को पलट चुकी है। फैसले बदलने का यह सिलसिला सरकार बनने के पहले दिन से ही दिखाई दे रहा है। कुछ उदाहरण हैंöपब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करने का वादा, मंत्रियों ने लीं गाड़ियां। सचिवालय में मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंध, दो घंटे में वापस। केजरीवाल ने कहाöफ्लैट में रहूंगा, फिर डुप्लैक्स आवास स्वीकारा, जन दबाव में छोड़ा। नए घर की तलाश अभी जारी है। 666 लीटर पानी निशुल्क देने का ऐलान, 10 प्रतिशत दर बढ़ा दी। सड़क पर जनता दरबार लगाया अब कोई दरबार नहीं लगेगा। पहले बोले सरकार आम आदमी के बीच जाएगी अब कॉल सेंटर बनाएंगे। बिजली के दाम आधे करने का ऐलान किया लेकिन सब्सिडी दे दी। जजों की बैठक बुलाने का प्रयास हंगामे के बाद थमे मंत्री। सदन में विधायक टोपी पहनकर पहुंचे, हंगामे के बाद टोपी उतर गई। मंत्री राखी बिरला ने हमले की रिपोर्ट दर्ज कराई, बच्चे का परिवार दिक्कत में फंसा बाद में कहा कि हमला नहीं था क्रिकेट बॉल से टूटा शीशा। पानी के बिलों में मनमानी रोकने के बजाय उन्हीं विवादित मीटरों को लगाना शुरू कर दिया जिन्हें केजरीवाल ने खुद फेल किया था और दावा किया था कि यह तो हवा से ही चलते हैं। भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए स्टिंग आपरेशन शुरू किए। जब चुनाव से पूर्व आप नेताओं पर स्टिंग आपरेशन हुए उन्हें नकार दिया अब उसी तरह के स्टिंग आपरेशन कर रहे हैं। अब भ्रष्टाचार रोकने के लिए हैल्पलाइन शुरू की, बोले सभी फोन कॉलों का रिस्पांस सम्भव नहीं। कहा सुरक्षा नहीं लेंगे, पुलिस दे रही है बिना बताए सुरक्षा। सोमवार को कई विभागों में एंटी करप्शन की रेड का दावा फिर बोले स्टिंग अच्छे नहीं थे, इसलिए नहीं की रेड। चुनाव से पहले के बकाया बिजली के बिल माफ किए फिर पलटे। केजरीवाल स्वयं भी बार-बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि उनकी सरकार से दिल्ली की जनता को बहुत उम्मीदें हैं लेकिन पहले एक पखवाड़े में ही जिस तरह केजरीवाल अपने ही फैसलों को पलट रहे हैं उससे आम आदमी में सरकार के प्रति गलत संदेश जा ही रहा है साथ ही नौकरशाहों को भी मुख्यमंत्री व उनके मंत्रियों की कार्यप्रणाली समझ नहीं आ रही है। हाल यह है कि तमाम नीतिगत फैसलों को लेकर अधिकारी बोलने को तैयार नहीं हैं। सबसे ज्यादा चंदा देने वाले शांति भूषण और प्रशांत भूषण शायद अपने आपको अरविंद केजरीवाल और आप से ऊपर समझते हैं। पिछले एक पखवाड़े में प्रशांत भूषण ने दो ऐसे विवादास्पद बयान दिए हैं जिससे केजरीवाल का ग्रॉफ नीचे गिरा है। पहले तो उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कह दिया कि आंतरिक सुरक्षा के मामले में यदि जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह करा लिया जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा। यदि कश्मीर के लोग चाहें कि सुरक्षा के लिए सेना की तैनाती न हो तो भारत सरकार को रायशुमारी का आदर करते हुए सेना हटा लेनी चाहिए। अभी इस बेमतलब टिप्पणी पर विवाद खत्म नहीं हुआ था कि भूषण ने नक्सलवाद प्रभावित इलाकों में सैन्य बलों की तैनाती के लिए जनमत संग्रह कराने की बात कह दी। प्रशांत भूषण ने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों में केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती के मसले पर जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए। उनकी इन मांगों पर मचे हंगामे के कारण अरविंद केजरीवाल किनारा करने पर मजबूर हो गए। उन्होंने कहा कि यह प्रशांत भूषण की निजी राय या विचार हो सकते हैं पार्टी के नहीं। सवाल यहां यह उठता है कि प्रशांत भूषण आखिर किस हैसियत से ऐसे उल्टे-सीधे बयान दे रहे हैं? अरविंद केजरीवाल ने यह नहीं बताया कि प्रशांत भूषण की आप में क्या हैसियत है या फिर हम यह समझें कि यह पार्टी के एजेंडे में है जो भूषण बोल रहे हैं? अभी प्रशांत भूषण का विवाद खत्म नहीं हुआ था कि केजरीवाल एंड संस एक और विवाद में फंस गए हैं। दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती पर पटियाला हाउस कोर्ट में एक मामले के दौरान सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगा है। मामला तब का है जब भारती स्टेट बैंक ऑफ मैसूर के वकील होते थे। उन्होंने अपने मुवक्किल जो केस में आरोपी था ने एक गवाह से सम्पर्प कर उसकी बातचीत रिकार्ड की। किसी भी गवाह से आरोपी के वकील द्वारा सम्पर्प करना एडवोकेट एक्ट के तहत दुराचरण का मामला बनता है। पिछले साल अगस्त में सीबीआई के विशेष जज ने इस मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने पर सोमनाथ भारती को फटकार लगाई थी। मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया कि गवाह से फोन पर बात कर उसे प्रभावित करने की कोशिश की गई है। इसके बाद जज ने भारती के क्लाइंट की जमानत यह कहते हुए रद्द कर दी थी कि उसने कोर्ट से मिली छूट का फायदा उठाकर गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की है। मामला हाई कोर्ट तक गया और फैसला भारती और उनके मुवक्किल के खिलाफ आया। अरविंद केजरीवाल ने अपने मंत्री का बचाव करते हुए कहा कि मैंने सोमनाथ भारती और प्रशांत भूषण से बात की है। कोई 100 करोड़ से ज्यादा का मामला था, जिसमें फर्जी पत्र मैसूर बैंक में देकर नकद लिया गया था। इसमें बड़े अधिकारी शामिल थे। केवल एक छोटे अधिकारी को पकड़ा था। इसी अधिकारी ने एक स्टिंग कर लिया था, उस स्टिंग की जानकारी कोर्ट में पेश की गई थी। उन्होंने किसी गवाह को प्रभावित नहीं किया बल्कि स्टिंग आपरेशन करके सच सामने लाने की कोशिश की है। अरविंद केजरीवाल बेशक कुछ सफाई दें पर ऐसा दागी नेता क्या आप सरकार में कानून मंत्री रह सकता है जिसके खिलाफ अदालतों ने आपत्तिजनक टिप्पणियां की हों? कुल मिलाकर पिछले 15 दिनों का अगर हम लेखा-जोखा देखें तो इस सरकार और खासकर अरविंद केजरीवाल का ग्रॉफ नीचे आ रहा है। एक ओर जहां आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही है वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर विरोधाभास और बढ़ते विवादों से पार्टी बैकफुट पर आ गई है। भिन्न विचारधाराओं के लोगों के एक मंच पर आने के कारण केजरीवाल को अपना झाड़ू पहले अपनी पार्टी के अंदर ही चलाना पड़ सकता है। विश्लेषकों को लगता है कि `आप' एक ऐसी पार्टी के तौर पर दिखाई दे रही है जिसमें कभी भी विस्फोट हो सकता है। जयराम रमेश ने कहा था कि आम आदमी पार्टी नहीं है बल्कि यह अलग-अलग विचारों के लोगों का प्लेटफार्म है। आम आदमी पार्टी में ऐसे लोग जगह बनाते जा रहे हैं जो उसकी लोकप्रियता का लाभ उठाकर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करना चाहते हैं। आप को वोट देने वालों का केजरीवाल एंड संस से बड़ी तेजी से मोह भंग हो रहा है। देखें, केजरीवाल इस गिरते ग्रॉफ को लगाम लगा सकते हैं या नहीं?

-अनिल नरेन्द्र

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