Thursday 30 January 2014

भारत-जापान के बढ़ते रिश्तों से चीन में बेचैनी

यह पहला अवसर है जब जापान के पधानमंत्री हमारे गणतंत्र दिवस पर बतौर विशेष अतिथि आए। जापान के पधानमंत्री शिंजो अवे की यात्रा के दौरान दोनों देशों के पधानमंत्रियों ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की। भारत और जापान के बीच विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित आठ महत्वपूर्ण समझौते हुए। यह खास बात देखने को मिली कि जापानी पधानमंत्री शिंजो ने भारत से नजदीकी बढ़ाने में दिलचस्पी दिखाई। सात साल पहले अपने पिछले कार्यकाल में भारत की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने वाले भी वे जापान के पहले पधानमंत्री थे।  उनकी ताजा यात्रा से कुछ पहले पिछले महीने ही जापान के सम्राट और सम्राज्ञी भारत आए थे जो कि अमूमन देश से बाहर नहीं जाते। दोनों नेताओं की इस बार की शिखर वार्ता में सुरक्षा संबंधी मसला छाया रहा। दोनों ही हमें चीन की बढ़ती सैनिक गतिविधियों से पभावित हैं। हम समझते हैं कि शिखर वार्ता में भी चीन ही छाया रहा है। चीन को ठेंगा दिखाते हुए भारत ने अमेरिका के साथ इस वर्ष होने वाले नौसेना के संयुक्त अभ्यास में जापान को भी शामिल कर लिया है। सात साल पहले चीन के भारी विरोध के कारण भारत ने अमेरिका के साथ नियमित रूप से चलने वाले ऐसे अभ्यास में किसी और देश को शामिल करने का इरादा छोड़ दिया था। चीन को ऐसे संयुक्त अभ्यासों से डर लगता है क्येंकि वह ऐसे अभ्यासों को अपने खिलाफ साजिश मानता है। वर्ष 2007 में आस्ट्रेलिया और सिंगापुर के इन नौसैनिक अभ्यासों में शामिल होने पर चीन ने कड़ा ऐतराज जताया था और उस समय से किसी भी अन्य देश को इसमें शामिल नहीं किया जा रहा था। चीन सागर में एक टापू के स्वामित्व विवाद को लेकर इन दिनों जापान से चीन की ठनी हुई है ऐसे में भारत का यह फैसला चीन को कितना नागवार गुजरेगा इसकी सहज कल्पना की जा सकती है। इतना ही नहीं, चीन सागर में दूसरे देशों के आवागमन को रोकने के लिए चीन ने वहां जो एकतरफा पतिबंध लगाए हैं उसके खिलाफ भारत ने पहली बार मुंह खोला है और जापान को खुला समर्थन दे दिया है। पहली बार भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर आए जापान के पीएम शिंजो अवे की मौजूदगी में हुईं इन तमाम घोषणाओं ने चीन के लिए दो-टूक संकेत दिया है जिससे उसका तिलमिलाना तय है। जापान भी पहली बार अपने आधुनिक युद्धक उपकरणों को किसी दूसरे देश को मुहैया कराने के लिए तैयार हो गया है जिसका पहला फायदा भारत को ही मिलने जा रहा है। जापान अपने यहां पिछले कुछ वर्षें के आर्थिक टकराव के बावजूद दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। वहीं भारत एक विशाल बाजार के तौर पर उभरा है। लिहाजा दोनों के बीच व्यापार तेजी से बढ़ा है। इसे और गति देने के लिए दोनों देश इच्छुक हैं जो कि ताजा समझौतों से जाहिर है। जापान ने भारत में आधारभूत ढांचे खासकर शहरी परिवहन व्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण मदद की है। जिसका सबसे बड़ा पमाण दिल्ली मेट्रो है। श्ंिाजो की इस मेट्रो सेवा के विस्तार के लिए कम ब्याज दर दो अरब डालर का कर्ज देने की घोषणा का स्वागत है। जापान-भारत गठबंधन का लाभ आर्थिक हितों पर भी जोरदार रूप से पड़ेगा क्येंकि अब तक चीन को अपने निवेश का मुख्य ठिकाना बनाने वाला जापान अब भारत की ओर रुख करने का मन बना चुका है।

-अनिल नरेन्द्र

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