Sunday 5 January 2014

केजरीवाल की असल अग्नि परीक्षा तो अब शुरू होगी

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार को आखिरकार विश्वासमत भी मिल गया और स्पीकर भी उसका उम्मीदवार ही बना। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद भी विश्वासमत को लेकर असमंजस की स्थिति में थे तभी तो आशंका जता रहे थे कि शायद उनकी सरकार 48 घंटे ही चले। हालांकि उन्हें भलीभांति मालूम था कि कांग्रेस उनका समर्थन करेगी, यह तय हो चुका था। नेता विपक्ष भाजपा के हर्षवर्धन ने केजरीवाल की अच्छा क्लास ली। हर्षवर्धन ने कहा कि प्रचार के दौरान केजरीवाल कहते रहते थे कि ईमानदार पार्टी को ही वोट दें और जो सबसे ईमानदार लोग हैं, उन्हें ही जिताएं। लोगों ने भाजपा के सबसे ज्यादा उम्मीदवार जिताए और साबित कर दिया कि ज्यादा ईमानदार कौन है। हर्षवर्धन ने कहा कि 71 प्रतिशत लोगों ने चुनाव में वोटिंग कर अपनी राय साफ कर दी थी, लेकिन आप पार्टी ने उसे दरकिनार करते हुए कुछ लाख लोगों से एसएमएस करवा कर और सेल्फ प्रायोजित जनसभाओं में चार-पांच सौ लोगों से हाथ उठवा कर फैसला किया कि वे सरकार बनाएंगे। इसके पीछे क्या मजबूरी थी? कांग्रेस से न समर्थन देने  और न लेने की बात कहते हुए आपने कसम ली थी, फिर ऐसी कौन-सी मजबूरी थी जो उसी पार्टी को पर्दे के पीछे से सत्ता में बिठा दिया? हर्षवर्धन ने कहा कि घोषणाओं को लागू करने में जितनी जल्दबाजी आपने दिखाई, उतनी जल्दबाजी कांग्रेस सरकार के घोटालों की जांच करवाने में क्यों नहीं दिखाई? हमें यह दुख से कहना पड़ता है कि केजरीवाल की कथनी और करनी में अंतर आने लगा है। उल्लेखनीय है कि केजरीवाल विगत वर्षों से कॉमनवेल्थ, ट्रांसपोर्ट, बिजली, पानी घोटालों में शीला सरकार के भ्रष्टाचार की बातें बढ़चढ़ कर करते आ रहे हैं। चुनाव में भी यह एक बड़ा मुद्दा था। लेकिन अब सत्ता के लालच में सीएम बनने के चार दिन बाद ही वह हर्षवर्धन से कह रहे हैं कि आप सबूत दें, हम 48 घंटों में कार्रवाई करेंगे। केजरीवाल पहले तो कह रहे थे कि 30 दिन में जेल भेज देंगे, अब सत्ता के लालच में अपनी सरकार चलाने के लिए पूर्व सीएम के खिलाफ सबूत मांग रहे हैं। कहते हैं कि सरोजनी नायडू ने कहा था कि महात्मा गांधी का `गरीबी' में रखने का खर्च बहुत ज्यादा था। इसी तरह का मामला दिल्ली के नए मुख्यमंत्री केजरीवाल के सुरक्षा न लेने से सामने आ रहा है। अरविंद केजरीवाल को आम आदमी बनाए रखने के लिए पिछले मुख्यमंत्रियों से 10 गुना ज्यादा पुलिस वालों को सुरक्षा देनी पड़ रही है। दिल्ली पुलिस अब तक मुख्यमंत्री की सुरक्षा के लिए जहां 10 पुलिसकर्मियों को तैनात करती थी वहीं नए मुख्यमंत्री द्वारा नियमित प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने से उनकी सुरक्षा में 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात करना पड़ रहा है। इतने वर्षों में हमने मेट्रो में कोई कानून टूटते नहीं देखा, लेकिन केजरीवाल जब शपथ लेने मेट्रो से गए तो कई कानून टूट गए। आपके लिए स्पेशल ट्रेन चलाई गई। सुरक्षा के लिए हजारों पुलिसकर्मी तैनात किए गए। श्री केजरीवाल ने चुनाव प्रचार में जो वादे किए थे उनको विपरीत करने में कोई समय नहीं गंवाया। आपने कहा कि हम लालबत्ती की गाड़ी का इस्तेमाल नहीं करेंगे, सरकारी बंगला नहीं  लेंगे। आप और आप के मंत्रियों ने गाड़ी भी ले ली और अब आपने एक 10 बैडरूम का घर भगवान दास रोड पर भी ले लिया। जहां तक और चुनावी वादों का सवाल है, आप की कथनी-करनी में अंतर आ रहा है। आपने मीटर वाले पानी के उपभोक्ताओं को 20 किलोलीटर पानी देने की बात कही थी। दिल्ली में 8.5 लाख लोगों के पास पानी के मीटर हैं। लाखों लोगों को अभी भी इसका लाभ नहीं मिलेगा। आप की सरकार ने आते ही पानी का बिल 10 फीसदी बढ़ा दिया है। फरवरी में बिल आते ही स्थिति साफ हो जाएगी। बिजली के लिए फिर से सब्सिडी देने की बात कही गई है। इसके बजाय बिजली कम्पनियों पर दबाव बनाना चाहिए था कि वे दाम कम करें। यह जनता के टैक्स का पैसा है। 200-250 करोड़ रुपए बिजली कम्पनियों के उल्टे जेब में डाल दिए हैं। सीएनजी के दाम में 4.50 रुपए की एकाएक बढ़ोत्तरी की गई है। सीएनजी के दामों में आज तक इतनी बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। यह वृद्धि केजरीवाल सरकार के समर्थन के बिना संभव नहीं है। अरविंद केजरीवाल ने अपने जवाबी भाषण में न तो कांग्रेस के समर्थन, चेतावनी पर कोई टिप्पणी की और न ही भाजपा के तीखे सवालों का कोई जवाब दिया। उन्होंने अपने जवाब में बस इतना कहा कि मैं आपसे अपनी सरकार के लिए समर्थन मांगने नहीं आया हूं, अपनी पार्टी के लिए भी समर्थन मांगने नहीं आया हूं। मैं इस सदन में उपस्थित सभी सदस्यों के सामने तीन सवाल रखता हूं, जो इनसे सहमत हों वे समर्थन दे देंöपहला सवाल ः कौन आम आदमी के साथ है? दूसरा सवाल ः कौन भ्रष्ट राजनीति खत्म कर सच्चाई व ईमानदारी की राजनीति स्थापित करना चाहता है? तीसरा सवाल ः कौन दिल्ली के विकास से संबंधित 17 मुद्दों पर उनके साथ है। फिर उन्होंने वह 17 मुद्दों को एक-एक करके गिनाया। हम केजरीवाल सरकार को पदभार संभालने पर  बधाई देते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह जनता को राहत पहुंचाएंगे और अपने चुनावी वादों पर खरे उतरेंगे।

-अनिल नरेन्द्र

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