Sunday, 26 January 2014

गरमाता उत्तर पदेश का सियासी अखाड़ा

गोरखपुर और वाराणसी में दूरी 200 किलोमीटर की है लेकिन बृहस्पतिवार को सपा पमुख मुलायम सिंह यादव व भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने एक-दूसरे पर तीखे शब्द बाण चलाए तो लगा कि दोनों नेताओं के मंच आमने-सामने सजे हों। हमले एक-दूसरे की हैसियत याद दिलाने की सीमा तक पहुंच गए। उत्तर पदेश का सियासी समर भाजपा बनाम सारे में तब्दील होता नजर आ रहा है। हालांकि बृहस्पतिवार को मोदी बनाम मुलायम में सियासी जंग नजर आई। दोनों नेताओं की यही कोशिश रही कि यूपी की चुनावी जंग में कांग्रेस को मुख्य मुकाबले से दूर रखा जाए। सिर्फ शब्दों से एक-दूसरे पर पहार नहीं हुए बल्कि वोटों के इंतजाम के लिए हर बात पर नजर भी टिकी रही। बृहस्पतिवार को ही अमेठी में राहुल गांधी भी पहुंचे और मुंशीगंज गेस्ट हाउस में स्थानीय पतिनिधियों से बात करते हुए, कहा कि मैं भोंपू नहीं हूं। उनके पिता स्वगीय राजीव गांधी ने कहा था कि बस कामकाज करना, भोंपू मत बनना। कांग्रेस देश के लिए एक विजन लेकर चल रही है जो कुछ समय बाद दिखेगा। दरअसल दोनें मुलायम सिंह यादव और राहुल गांधी की चिंता इससे भी बढ़ गई होगी कि तमाम मीडिया सर्वेक्षणों में लगातार नरेन्द्र मोदी और भाजपा की बढ़त दिखाई जा रही है। अगर भीड़ एक परिचायक है लोकपियता की तो गोरखपुर की रैली में रिकार्ड तोड़ भीड़ थी। इतनी बड़ी रैली उत्तर पदेश में किसी की नहीं हुई। ताजा सर्वेक्षणों में दावा किया गया है कि इस बार यूपी में भाजपा का दबदबा बढ़ने वाला है। क्योंकि धीरे-धीरे मोदी की लहर का फिर से विस्तार होने लगा है। उल्लेखनीय है कि उत्तर पदेश की 80 सीटों में भाजपा के पास कुल दस सीटें हैं। वर्ष 2004 के चुनाव में भी उसे इतनी ही सीटें मिली थी। इस बार 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 35 से 40 सीटें मिल सकती हैं जबकि सपा और बसपा का चुनावी ग्राफ नीचे गिरेगा। सबसे खराब हालत कांग्रेस की बताई गई है। कहा जा रहा है कि इस चुनाव में कांग्रेस को 21 सीटों के मुकाबले तीन-चार सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है। हालांकि सर्वेक्षणों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाते हैं पर फिर भी ट्रेंड तो कम से कम नजर आता ही है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अघोषित रूप से पाटी के पीएम इन वेटिंग हैं। अमेठी दौरे पर उन्होंने लोगों को खुद कह दिया कि यदि चुनाव में जीत मिलती है और पाटी के सांसद उन्हें अपना नेता चुनते हैं तो वह पधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल लेंगे। पहली बार सार्वजनिक तौर पर राहुल ने यह जिम्मेदारी सम्भालने की बात की है। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद यूपी के अल्पसंख्यक सपा से कट चुके हैं। यह या तो बसपा को वोट देंगे या फिर कांग्रेस को। सर्वेक्षणों के अनुसार बसपा यूपी में दूसरी बड़ी पाटी बनकर उभर सकती है। उसके 24 सीटों पर जीतने की संभावना दिखाई गई है। एवीपी न्यूज-नीलसन सर्वे के मुताबिक भाजपा उत्तर पदेश के बुंदेलखण्ड में दो सीटें जीतकर खाता खोलेगी। पिछले लोकसभा चुनाव में पाटी यहां खाता नहीं खोल पाई थी। वहीं पश्चिमी उत्तर पदेश में दबदबा रखने वाली चौधरी अजीत सिंह की पाटी राष्ट्रीय लोकदल को महज एक सीट का नुकसान होगा। पाटी को 4 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान है। वहीं बहुचर्चित आम आदमी पाटी का जलवा यूपी में ज्यादा नहीं दिखाई दे रहा है और सर्वेक्षण में उसे महज दो सीटों पर जीतने का अनुमान लगाया गया है। दिल्ली की गद्दी का रास्ता यूपी से जाता है और फिलहाल इस रेस में नरेन्द्र मोदी सबसे आगे हैं।

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