Sunday, 12 January 2014

मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों में लश्कर-ए-तैयबा का फैलता जाल

आतंकवाद का खूनी साया देश पर किस कदर मंडरा रहा है लश्कर--तैयबा के कथित आतंकियों की हाल में गिरफ्तारी से पता चलता है। कुछ समय पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष के बयान से सियासी भूचाल-सा आ गया था, जब उन्होंने सनसनीखेज बयान दिया था कि मुजफ्फरनगर के कुछ दंगा पीड़ित नौजवान पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के सम्पर्प में हैं। उनकी बात सच साबित होती नजर आ रही है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के हत्थे चढ़े दो संदिग्ध आतंकवादी मोहम्मद शाहिद और मोहम्मद राशिद से पूछताछ के दौरान यह जानकारी दहलाने वाली सामने आई कि दिल्ली में आतंक का खूनी खेल खेलने की साजिश गत चार और छह दिसम्बर को रची गई थी। यह सौभाग्य ही रहा कि साजिश की पोल खुल गई और आतंकियों की साजिश नाकाम हो गई। इनसे यह भी खुलासा हुआ कि मुजफ्फरनगर के कुछ दंगा पीड़ित नौजवान आईएसआई के सम्पर्प में हैं। हालांकि अभी तक गृह मंत्रालय ने ऐसा कोई सबूत मिलने से इंकार किया है, लेकिन इतना तय है कि आईएसआई के गुर्गे दंगाग्रस्त मुजफ्फरनगर तक न केवल पहुंच गए हैं बल्कि दंगों की आड़ में स्थानीय युवकों को आतंकी बनाने का षड्यंत्र भी रच रहे हैं। मुजफ्फरनगर और शामली के दंगा पीड़ित राहत शिविरों का कनेक्शन लश्कर--तैयबा से हो या न हो लेकिन कुछ अज्ञात लोग यहां आकर दंगा पीड़ितों को भड़काते जरूर हैं। यह कहना है यहां मौजूद कुछ दंगा पीड़ितों का। इमदाद देने के बहाने शिविरों में कुछ अज्ञात लोगों के आने-जाने का सिलसिला चल रहा है। लश्कर के दंगा पीड़ित कैम्पों में आतंकी सक्रिय होने की खबर से हमारी सुरक्षा एजेंसियां भी सतर्प हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार आईबी और अन्य खुफिया एजेंसियों ने मुजफ्फरनगर और शामली के कई मदरसों को जांच के घेरे में ले लिया है। जांच की जा रही है कि कहीं पढ़ाई के बहाने मदरसों से जुड़े संदिग्ध कश्मीरी आतंकी गतिविधियों में शामिल तो नहीं हैं। हरियाणा के मेवात से संदिग्ध आतंकियों मोहम्मद राशिद और शाहिद की गिरफ्तारी से लगता है कि मेवात आतंकियों की शरणस्थली बन चुका है। इसका पता तो खुफिया एजेंसियों को एक माह पहले लश्कर आतंकी मोहम्मद शाहिद की गिरफ्तारी के साथ ही चल गया था। यहीं अब्दुल करीम टुंडा, यासीन भटकल और यासीन दरभंगा भी अपना ठिकाना बनाकर कई माह रहे। तीनों प्रदेशों यूपी, हरियाणा और राजस्थान के सीमावर्ती इलाके के कई गांव संदिग्धों को हथियार मुहैया कराने के सुरक्षित ठिकाने के रूप में पहचाने जाते हैं। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि मेवात क्षेत्र में लश्कर के अभी भी गुर्गे पनाह लिए हुए हैं। बड़ा विषय यह नहीं कि आईएसआई और लश्कर--तैयबा जिन भारतीय लोगों को बरगलाने में सफल हो रहे हैं वे दंगा पीड़ित हैं या नहीं, बड़ा प्रश्न यह है कि ऐसे हालात पैदा होने की वजह क्या है कि हमारे नागरिक देश विरोधी ताकतों के हाथों का खिलौना बन रहे हैं। यदि आज पाकिस्तान बिना कसाब को भेजे हमारे ही लोगों के हाथों हमारी जमीन को लहूलुहान करने में कामयाब होता दिख रहा है तो यह हमारे समूचे आंतरिक सुरक्षा परिदृश्य के लिए बेहद चिन्ताजनक और डरावनी स्थिति है। इस पूरे घटनाक्रम से आईएसआई के खतरनाक मंसूबे एक बार फिर सामने आ गए हैं कि वह किस तरह भारत के नौजवानों को आतंकवादी बनाने की फिराक में रहती है। दूसरे आतंकवादी अब अपना नेटवर्प उन इलाकों में फैलाने की कोशिश में हैं जो अब तक उनकी गतिविधियों से अछूते रहे हैं। पिछले दिनों बिहार के बोधगया, पटना में नरेंद्र मोदी की रैली सहित कई स्थानों पर किए गए सीरियल बम विस्फोट से साबित होता है कि हरियाणा के मेवात और अब मुजफ्फरनगर तक उनकी पहुंच दर्शाती है लश्कर के फैलते जाल की। हमारी खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा तंत्र के लिए यह चेतावनी भी है।

-अनिल नरेन्द्र

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