Saturday 11 January 2014

देवयानी प्रकरण में दोनों देशों की प्रतिष्ठा दांव पर है

अमेरिका में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े विवाद बढ़ता ही जा रहा है। अमेरिका में एक संघीय न्यायाधीश ने प्रारम्भिक सुनवाई के लिए 13 जनवरी की समय सीमा को बढ़ाए जाने के भारतीय राजनयिक देवयानी के अनुरोध को नामंजूर कर दिया है। इस तारीख तक उन पर अभियोग दायर किया जाना है। न्यूयार्प की दक्षिण जिला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश सारा नेटबर्न ने आरम्भिक सुनवाई की समय सीमा 13 जनवरी को आगे बढ़ाए जाने पर देवयानी के वकील डेनियल अरशक ने कहा कि हम अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। भारत ने अमेरिका द्वारा देवयानी के हक में तमाम दलीलों को ठुकरा दिया है। मजबूरन भारत ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी है। ताजा कदम उठाते हुए भारत सरकार ने अमेरिकी दूतावास से कहा है कि वह अमेरिकन कम्युनिटी सपोर्ट एसोसिएशन ः एसीएसए के तत्वावधान में चलाई जा रही तमाम वाणिज्यिक गतिविधियों को रोक दे। इनमें रेस्तरां, बार, वीडियो क्लब, बॉलिंग प्ले, स्विमिंग पूल, स्पोर्ट्स फील्ड, ब्यूटी पॉर्लर और जिम शामिल हैं। अन्य निर्देशों के अलावा अमेरिका से उसके द्वारा वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए भारतीय अधिकारियों को दिए गए टैक्स रिटर्न भी देने को कहा गया है। भारत ने गैर राजनयिकों को इस तरह की वाणिज्यिक गतिविधियों के प्रावधान को कूटनीतिक संबंधों पर 1961 की वियना संधि के अनुच्छेद 413 का उल्लंघन बताया है। यह भी समझा जाता है कि सरकार ने अमेरिका से कहा है कि इस महीने के बाद से वह सिर्प अपने राजनयिक कर्मियों के लिए शराब से जुड़े उत्पाद और सिगरेट जैसा ड्यूटी फ्री सामान सीधे हासिल कर सकेंगे। इससे पहले वह दिल्ली स्थित अन्य विदेशी मिशनों के राजनयिक कर्मियों के हिस्से का सामान भी हासिल करते थे और इसके लिए तर्प यह दिया जाता था कि यह राजनयिक भी एसीएसए के सदस्य हैं। सरकारी सूत्रों ने बताया कि इससे पहले एसीएसए करीब 40 मिशनों की तरफ से ड्यूटी फ्री सामान हासिल करता था। समझा जाता है कि अमेरिकी राजनयिक वाहनों को अब यातायात से जुड़े प्रत्येक अपराध के लिए दंडित किया जाएगा। देवयानी मामला दोनों देशों के बीच एक तनावपूर्ण मुद्दा बन गया है। अमेरिका अगर विवाद को सुलझाना चाहता है तो उसके पास अब तीन विकल्प हैं। पहला विकल्प है कि वर्ष 2012 दिसम्बर को वीजा जालसाजी और गलत जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार देवयानी को संयुक्त राष्ट्र में उनके परिचय पत्र को स्वीकार करके उनके खिलाफ न्याय विभाग द्वारा आपराधिक आरोप दायर किए जाने से पहले उन्हें पूर्ण राजनयिक छूट प्रदान की जाए। दूसरा विकल्प है कि 39 वर्षीय गोबरागड़े का संयुक्त राष्ट्र में स्थानांतरण उन पर आपराधिक आरोप लगाए जाने के बाद स्वीकार किया जाए। हालांकि इससे भारतीय राजनयिक देवयानी और भारत दोनों के लिए कुछ तनाव उत्पन्न होगा। अमेरिकी विदेश मंत्रालय को खोबरागड़े के संयुक्त राष्ट्र में स्थानांतरण से संबंधित कागजात 20 दिसम्बर को प्राप्त हुए थे। उसके 28 दिन बीत जाने के बाद भी विदेश मंत्रालय कागजातों की समीक्षा कर रहा है और सामान्य रूप से लम्बा समय ले रहा है। वर्तमान परिस्थितियों में अमेरिका के लिए सबसे बेहतर पहला विकल्प है। दरअसल अमेरिका ने इस मामले को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है और वह दुनिया के सामने झुकता नहीं दिखना चाहता। इधर भारत सरकार ने ठान ली है कि लड़ाई आर-पार की है, अगर दोनों देशों के संबंधों में दरार पड़ती है तो पड़े पर अन्याय के सामने भारत नहीं झुकेगा।

-अनिल नरेन्द्र

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