Wednesday, 15 January 2014

इशरत आतंकी थी या नहीं? सीबीआई और आईबी आमने-सामने

गुजरात में फर्जी एनकाउंटर में मारी गई 19 वर्षीय इशरत जहां की असली पहचान सरकार ने इतने वर्षों बाद तक भी स्पष्ट नहीं की है। 15 जून 2004 को जावेद, अमजद अली और जीशान जौहर नाम के तीन कथित आतंकवादियों के साथ इशरत जहां की भी फर्जी एनकाउंटर में हत्या कर दी गई थी। एनकाउंटर को अंजाम देने वाली गुजरात पुलिस के मुताबिक नरेंद्र मोदी की हत्या के मकसद से यह गुजरात आए थे। लेकिन मामले की जांच में पता चला कि पुलिस ने खुफिया एजेंसियों आईबी की गुजरात शाखा की मदद से चारों को महीनेभर से अगवा कर रखा था। इन्हें आतंकवादी साबित करने के लिए इनकी लाशों के पास एके 56 जैसे खतरनाक हथियार रख दिए गए थे। सीबीआई की पहली चार्जशीट के मुताबिक हथियार आईबी ने मुहैया कराए थे। पूरे घटनाक्रम में तीन लड़कों के आतंकी होने पर कोई सवाल खड़ा नहीं हुआ। लेकिन सीबीआई के अलावा तमाम एजेंसियां इस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई हैं कि इशरत आतंकी  थी या नहीं? अब तक की जांच के मुताबिक इशरत जावेद के साथ काम करती थी। काम के सिलसिले में वह जावेद के साथ मुंबई से बाहर जाती थी। आईबी का मानना है कि अगर इशरत को इन तीनों के साथ नहीं मारा जाता तो यह मामला इतना तूल नहीं पकड़ता। उधर मामले की जांच कर रही सीबीआई इशरत जहां को आतंकी नहीं करार देने का मन बना चुकी है। लेकिन अंतिम फैसले से पहले एजेंसी को सरकार की हरी झंडी का इंतजार है। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अमर उजाला से कहा कि इशरत के आतंकवादी होने या नहीं होने संबंधी इतना बड़ा सवाल है कि वह सार्वजनिक तौर पर इसका जवाब नहीं दे सकते। पिछले छह महीने से गृहमंत्री इस सवाल को टालते आ रहे हैं। इशरत के सवाल पर शिंदे ने बस इतना कहा कि नेता और मंत्री राजनीतिक रंगमंच पर और उसके पीछे एक साथ कई भूमिका निभाते रहते हैं। इशरत जहां को लेकर केंद्र सरकार भले ही चुप्पी साध ले पर अंदर की खबर यह है कि सीबीआई इशरत को आतंकी संगठन लश्कर--तैयबा से जोड़कर नहीं देख रही। सीबीआई ने फैसला किया है कि वह इस मामले की अतिरिक्त चार्जशीट में इशरत को आतंकवादी नहीं करारा देने जा रही है। इशरत और उसके तीन साथियों के फर्जी एनकाउंटर की अतिरिक्त चार्जशीट जल्द ही दायर होने वाली है। इस चार्जशीट में आईबी के पूर्व संयुक्त निदेशक राजेन्द्र कुमार को भी हत्या और साजिश का आरोपी बनाने का फैसला किया जा चुका है। कुमार के अलावा आईबी के तीन और अधिकारियों राजीव वानखड़े, एमके मित्तल और सुनील सिन्हा का नाम भी शामिल किए जाने की सम्भावना है। सीबीआई के मुताबिक गुजरात राज्य आईबी के इन अधिकारियों ने पूर्व डीआईजी बंजारा के साथ मिलकर इशरत और उसके तीन साथियों की फर्जी एनकाउंटर में हत्या कर दी थी। इतना ही नहीं, इन्होंने उन्हें आतंकवादी साबित करने के लिए उनकी लाशों के पास अवैध एके 56 जैसे हथियार रख दिए थे। 15 जून 2004 के इस एनकाउंटर की प्रारम्भिक रिपोर्ट के मुताबिक तीन मारे गए लड़कों में दो पाकिस्तानी हैं। एनकाउंटर पर मचे बवाल के बीच मुंबई के मुंब्रा की रहने वाली 19 वर्षीय इशरत की असली पहचान पर सवाल उठने लगे। सीबीआई का दावा है कि उसे इशरत के आतंकी होने के कोई सबूत नहीं मिले। हालांकि एक जांच अधिकारी ने दावा किया कि अमेरिका की जेल में बंद लश्कर आतंकी डेविड हेडली ने कहा था कि इशरत लश्कर की सदस्य है। लश्कर ने खुद यह माना था कि इशरत उसकी सदस्या थी। इतने विवाद के बाद भी आज तक सरकार ने इशरत की असलियत पर चुप्पी साध रखी है और इस केस को लेकर आईबी और सीबीआई आमने-सामने आ गई हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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