एक बार फिर बर्बर पंचायत का एक शर्मनाक फरमान
सुनने को मिला है। किस्सा है पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले का। जिले के लामपुर ब्लॉक
में एक आदिवासी 20 वर्षीय लड़की को मंगलवार रात
अन्य जाति के युवकों के साथ बैठे देखा गया था। इसके बाद दोनों को पेड़ से बांधकर पंचायत
बुलाई गई। पंचायत ने दोनों के परिजनों से 25-25 हजार रुपए जुर्माने
की राशि देने को कहा। युवक के परिजनों ने जुर्माने की राशि दे दी और उसे छोड़ दिया
गया। लेकिन युवती के परिजनों ने तीन हजार रुपए देकर शेष राशि नहीं होने की बात कही
तो पंचायत के निर्देश पर उसके साथ 12 लोगों ने सामूहिक बलात्कार
किया। बुधवार को वह खून से लथपथ एक झोंपड़ी में मिली। परिजनों के मामला दर्ज कराने
के बाद आदेश देने वाले पंचायत पमुख व सभी दुष्कर्मियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
लड़की का कसूर सिर्फ इतना था कि वह पड़ोस के गांव के एक गैर-आदिवासी
लड़के से प्यार करती थी। लड़की खुद आदिवासी थी। सोमवार रात लड़का शादी का पस्ताव लेकर
उसके घर आया। गांव वालों ने लड़के को देख लिया। सबके सब लड़की के घर जमा हो गए। इसके
बाद पंचायत बैठी। फिर क्या हुआ यह ऊपर मैंने बता ही दिया है। पीड़ित युवती ने बतायाः
गांव के लोग मेरे बेहोश होने तक गंदा काम करते रहे। पता नहीं कितने लोगों ने यह गंदा
कृत्य किया। लेकिन कम से कम 10-12 लोग तो थे ही। उनमें से कुछ
एक ही परिवार के थे। दुष्कर्म करने वालों में लड़की के छोटे भाई से लेकर उसके पिता
के उम्र तक के लोग शामिल थे। पीड़ित लड़की की उम्र 20 साल है।
पं. बंगाल के महिला एवं बाल विकास मंत्री ने बताया कि लड़की अस्पताल
में है। पुलिस के अलावा आयोग भी मामले की जांच करेगा। घटना को लेकर जबरदस्त विरोध हो
रहा है। राज्यपाल एमके नारायणन ने भी कार्रवाई की मांग की है। दुखद बात यह है कि यह
पहली ऐसी घटना नहीं है। वीरभूम जिले में पंचायत ने 2010 में भी
ऐसी ही सजा सुनाई थी। तब ऐसे ही मामले में लड़की को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाया
गया था। घटना का वीडियो भी बनाया गया था। पदेश में लगातार हो रही दुष्कर्म की घटनाओं
पर विपक्षियों ने ममता सरकार को आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस के पदेश अध्यक्ष पदीप
भट्टाचार्य ने 28 जनवरी से पदेश भर के थानों के समक्ष विरोध पदर्शन
करने की घोषणा की है। माकपा राज्य सचिव विमान बोस ने कहा कि सरकार दुष्कर्म की घटनाओं
पर रोक लगाने में विफल रही है। यह घटना इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक से गुजर रहे समाज
में एक त्रासद और अविश्वसनीय घटना लगती है। लेकिन पंचायत के आदेश पर अमल करते हुए करीब
13 लोगों ने उस युवती के साथ सामूहिक बलात्कार किया। ऐसा करने वालों
में पड़ोस के वे लोग भी शामिल थे जिन्हें वह लड़की काका, दादा
और भाई कहकर बुलाती थी। सवाल यह है कि सामान्य अपराध के आरोप में भी भोले-भाले ग्रामीणों को परेशान या गिरफ्तार करके मुस्तैदी दिखाने वाली पुलिस या
दूसरे सरकारी अधिकारी ऐसी घटनाओं से कैसे अनजान रह जाते हैं? क्या यह चकाचौंध में डूबे कुछ महानगरों के बरक्स केवल दूरदराज के पिछड़े इलाकों
में मुश्किल पहुंचना है या फिर घनघोर लापरवाही का, जिसके चलते
लोगों को बाकायदा पंचायत बिठाकर ऐसी आपराधिक वारदात को अंजाम देने में कोई हिचक नहीं
होती? हरियाणा और पश्चिमी उत्तर पदेश की खाप पंचायतों का रवैया
किसी से छिपा नहीं है, जहां गोना या जाति के सवाल पर बर्बर तरीके
से पेमी जोड़ों पर किए गए हमलों के मामले अकसर सामने आते हैं अब इन क्षेत्रों में पश्चिम
बंगाल की पंचायतें भी जुड़ गई है
-अनिल नरेन्द्र
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