2014
लोकसभा चुनावों में बमुश्किल तीन महीने बचे हैं ऐसे में भाजपा-कांग्रेस और आप ने अपनी-अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं।
वर्तमान सियासी स्थिति में असल लड़ाई अब भाजपा बनाम बाकी होती जा रही है। बाकी में
प्रमुख रूप से आप और कांग्रेस को शामिल करता हूं। मैं क्षेत्रीय दलों की बात नहीं कर
रहा। राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा और आप में लड़ाई हो सकती है। फिलहाल इस रेस में मैं कांग्रेस
को बाहर मान रहा हूं। कल को यह स्थिति बदल भी सकती है पर मौजूदा स्थिति में मुझे नहीं
लगता कि कांग्रेस 2014 लोकसभा चुनाव में एक मेजर खिलाड़ी है।
सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या आप पार्टी और अरविंद केजरीवाल नरेंद्र मोदी और भाजपा
को सत्ता में आने से रोक सकते हैं? पिछले दिनों टाइम्स ऑफ इंडिया
ने एक सर्वेक्षण किया था। उसके अनुसार 58 फीसदी लोगों की बतौर
अगला प्रधानमंत्री की पसंद नरेंद्र मोदी हैं। अरविंद केजरीवाल 25 फीसदी की पसंद हैं और राहुल गांधी 14 फीसदी की। सभी का
मानना था कि आप को कांग्रेस की एंटी इन्कम्बैंसी वोट का सीधा लाभ मिलेगा और यह नुकसान
भाजपा को होगा यानि कांग्रेस के खिलाफ जो वोट पड़ेगा अगर आप न होती तो उसका सारा लाभ
भाजपा को मिलता जो अब आप और भाजपा में बंटता नजर आ रहा है। आज आप और अरविंद केजरीवाल
के पक्ष में जबरदस्त हवा चल रही है इसमें कोई दो राय नहीं है और वह इस हवा का पूरा
फायदा भी उठाने के चक्कर में हैं। दिल्ली में जबरदस्त सफलता से उत्साहित आम आदमी पार्टी
ने गत शुक्रवार से देशव्यापी सदस्यता अभियान शुरू किया है। आप ने 26 जनवरी तक कम से कम एक करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। आप की सदस्यता के
लिए पार्टी ने 10 रुपए का शुल्क भी खत्म कर दिया है। विशेष सदस्यता
अभियान की जिम्मेदारी सम्भाल रहे पार्टी नेता गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली विधानसभा
चुनाव के बाद तीन लाख लोगों से ज्यादा ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है। आप की सदस्यता ग्रहण
करने के लिए आप मिस्ड कॉल से भी सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। आप की वेबसाइट पर भी ऑनलाइन
फॉर्म भरने का विकल्प है। आम आदमी पार्टी (आप) ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 250 करोड़ रुपए
चन्दा एकत्रित करने का लक्ष्य रखा है। पार्टी ने लोकसभा की 309 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है। इसके लिए सवा सौ करोड़ रुपए की जरूरत
होगी। अब बात करते हैं भारतीय जनता पार्टी और उसके मिशन 272 + की। लोकसभा चुनाव में अपने मिशन + 272 की कामयाबी को
अब भाजपा `आप' की सफेद टोपी को टक्कर देने
के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को जनसंघ के जमाने की भगवा टोपी पहनाने की तैयारी कर रही
है। आप की सफेद टोपी का आइडिया नया नहीं। जनसंघ और आरएसएस वर्षों से टोपी पहनती रही
है। कांग्रेस भी टोपी का इस्तेमाल करती रही है। यह अभियान भाजपा निचले स्तर पर
12 जनवरी से `मोदी फॉर पीएम' के नाम से चला रही है। भाजपा की संसदीय बोर्ड की शुक्रवार को दो घंटे चली बैठक
में पार्टी की 17-19 जनवरी तक होने वाली दिल्ली में राष्ट्रीय
कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की रणनीति पर चर्चा हुई। जिसमें कहा गया कि भाजपा को
+ 272 अभियान के लिए जमीन से जुड़े पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ज्यादा
संवाद किया जाएगा। यह सत्य है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा जमीनी कार्यकर्ताओं
की अनदेखी बहुत भारी पड़ी। मुझे कई कार्यकर्ताओं ने बताया कि अगर उन्हें विश्वास में
लिया जाता तो निश्चित रूप से वह जी-जान लगाकर 5-6 सीटें तो और जितवा ही सकते थे पर बड़े नेताओं ने जमीनी स्तर के कर्मठ नेताओं
को एक्टिव करने की जरूरत ही नहीं समझी। अगर लोकसभा चुनाव में भी यही रवैया अपनाया गया
तो हमें नहीं लगता कि मिशन + 272 में पार्टी सफल होगी। अगर जमीनी
कार्यकर्ताओं को विश्वास में लिया गया तो निश्चित रूप से वे अंतिम छोर तक मतदाता को जागरूक कर उसका समर्थन
जुटाएंगे। बैठक के बाद संसदीय बोर्ड के सचिव अनंत कुमार ने `आप'
को लेकर बढ़ी पार्टी की चिन्ताओं से बचते हुए कहा कि हमारे सामने एक
ही चुनौती है कि मोदी के नेतृत्व में 272 से ज्यादा सीटें हासिल
करना। इसके लिए भाजपा शासित राज्यों की अधिकांश सीटें हासिल करनी होगी। हमारे सामने
कांग्रेस नहीं है। उसके मैदान से बाहर होने से खाली हुई जगह भाजपा को भरनी होगी। उत्तर
भारत में भाजपा शासित सीटों से काम नहीं चलेगा। उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल,
आंध्र प्रदेश इत्यादि राज्य भी महत्वपूर्ण होंगे। इनमें भी भाजपा को
अच्छी सीटें लानी होंगी। यह वह खुद करे या फिर गठबंधनों के माध्यम से। कर्नाटक में
येदियुरप्पा के वापस आने से पार्टी को राज्य में मजबूती मिलेगी। केरल जैसे राज्य में
भी भाजपा की उपस्थिति पहले से ही है। एक और महत्वपूर्ण कदम भाजपा को उठाना होगा। उसे
दिल्ली की एमसीडी में भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण बनाना होगा। जिस ढर्रे पर यह तीनों
एमसीडी चल रही हैं उससे पार्टी की राष्ट्रीय स्तर पर छवि खराब हो रही है और जनता को
यह कहने का मौका मिल रहा है कि भाजपा अपने घर में तो स्वच्छ प्रशासन दे नहीं पाती देश
को क्या देगी? अगर हम शेयर बाजार के इन्वेस्टर्स की बात करें तो उसे अब तक तो यह नहीं
लग रहा है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप)
भाजपा के केंद्र में अगली सरकार बनाने के लिए भाजपा को गम्भीर खतरा है। इकोनॉमिक्स
टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रोकर्स और ट्रेडर्स ने आप की आर्थिक नीतियों की आलोचना
की है, लेकिन यह भी कहा कि साफ-सुथरी छवि
के उम्मीदवार पर पार्टी देश की सियासत की दिशा बदल सकती है। एक व्यापारी का कहना था
कि आप की शुरुआत गलत ढंग से हुई है। अगर यह पार्टी बढ़ती है तो देश की इकॉनिमी और स्टॉक
मार्केटर्स को काफी नुकसान होगा। बाजार आप से डरा हुआ है। दिल्ली विधानसभा में जिस
दिन आप ने विश्वास मत हासिल किया उस दिन शेयर बाजार में पिछले डेढ़ महीने में सबसे
बड़ी गिरावट देखी गई। दिल्ली की पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनियों के शेयर लगातार गिरते
जा रहे हैं। बाजार का मानना है कि केजरीवाल का प्राइवेट सेक्टर से टकराव बढ़ेगा और
सरकार की माली हालत खराब होगी। अंत में अगर आप ज्योतिष में विश्वास रखते हैं तो मशहूर
ज्योतिषी पंडित सुरेश कौशल कहते हैं कि श्री नरेंद्र मोदी की पुंडली (17 सितम्बर 1950; 11-20) के अनुसार उनके प्रधानमंत्री बनने
के प्रबल योग हैं। यद्यपि `आप' के नेता
अरविंद केजरीवाल ने 28 दिसम्बर को पद ग्रहण किया है। जनता को
उनसे लोकसभा चुनावों में बहुत आशाएं हैं परन्तु उनके लिए एक जनवरी से दो फरवरी
2014 तथा तीन मार्च से चार मई तक चुनौती भरा होगा तथा उनका प्रभाव कम
करने में सक्षम होगा। अत भाजपा को हानि पहुंचाने में सक्षम नहीं होंगे। श्रीमती सोनिया
गांधी, श्री राहुल गांधी, मनमोहन सिंह,
दिग्विजय सिंह इत्यादि की पुंडलियां प्रभावहीन लग रही हैं। देश के अन्य
नेताओंöजयललिता, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, नीतीश कुमार, मुलायम
सिंह यादव इत्यादि की पुंडलियां प्रबल हैं परन्तु प्रधानमंत्री बनने के योग इनमें से
किसी के भी नहीं हैं।
-अनिल नरेन्द्र
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