Wednesday 15 January 2014

शिंदे का ट्रायल बैलून ः पवार फॉर पीएम

हमें आश्चर्य नहीं हुआ जब केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि वह राकांपा प्रमुख शरद पवार को प्रधानमंत्री बनता देख खुश होंगे। शिंदे ने शनिवार को मराठी अखबारों के सम्पादकों के साथ वार्ता में कहा कि अगर शरद पवार प्रधानमंत्री बनते हैं तो मुझे खुशी होगी। मैं उनके कारण राजनीति में आया हूं। उन्होंने मराठी नेता को अपना राजनीतिक गुरू  बताते हुए कहा कि हर किसी की महत्वाकांक्षा होती है। वह 1992 से ही प्रयास कर रहे हैं। हमें आश्चर्य इसलिए नहीं हुआ कि कांग्रेस पार्टी के अंदर लोकसभा चुनाव 2014 को लेकर बहुत उठापटक चल रही है। राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर बहुत से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता असमंजस में हैं। स्थिति ऐसी बनती जा रही है कि न तो राहुल को निगलते बात बन रही है और न ही उगलते। कांग्रेस में सिर्प सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी में से एक का नेतृत्व स्वीकार्य है। ऐसे में अधिकतर माने या न माने अपने आपको सत्ता की रेस से बाहर मान रहे हैं, इसलिए शिंदे ने यह ट्रायल बैलून उड़ाया है। यह भी पक्का है कि वह इससे पलट जाएंगे। बयान से मचे बवाल के कुछ ही घंटे बाद शिंदे ने यूटर्न ले लिया। शिंदे ने सफाई देते हुए बाद में कहा कि राहुल गांधी को पीएम बनाना उनका मुख्य उद्देश्य है। मेरे बयान का गलत अर्थ निकाला गया है। पवार मेरे अच्छे दोस्त हैं और वह महाराष्ट्र के बड़े नेता हैं। इस नाते मैंने ऐसा कहा था। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के राष्ट्रीय महासचिव तारिक अनवर ने साफ किया कि उनकी पार्टी के मुखिया और कृषि मंत्री शरद पवार पीएम दौड़ में शामिल नहीं हैं। शिंदे के बयान के बारे में तारिक ने कहा कि शिंदे ने अनौपचारिक तौर पर ऐसी बात कही होगी। तारिक ने कहा कि पवार में पीएम बनने की सारी क्षमताएं हैं। क्योंकि राजनीति के क्षेत्र में जितना लम्बा अनुभव उन्हें है, उतना देश में कम ही राजनेताओं को है। तारिक ने कहा कि लोकतंत्र में सही मायनों में खेल आंकड़ों का होता है जो उनके पास नहीं है। कांग्रेसी गृहमंत्री द्वारा दिए इस बयान पर जानते हैं श्री शरद पवार ने क्या टिप्पणी की? रविवार सुबह एक संवाददाता सम्मेलन में इस मुद्दे पर पूछे जाने पर पवार ने कहा कि यह मौका कृषि बसंत प्रदर्शनी के बारे में ऐलान करने का है और मैं लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहा हूं, इसलिए नो कमेंट्स। नो कमेंट्स का सियासी मतलब होता है कि मेरे सारे विकल्प खुले हैं। उन्होंने यह नहीं कहा कि मैं शिंदे के बयान से सहमत नहीं और न ही यह कहा कि मैं प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल नहीं हूं। यह कहना कि मैं लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहा मामले को टालने का प्रयास है। कल को पार्टी दबाव में, समर्थकों के दबाव में वह चुनाव लड़ने को तैयार भी हो जाएंगे? मजेदार टिप्पणी तो भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर की रही। जावडेकर ने कहा कि लगता है कि अब किसी कांग्रेसी की प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना नहीं है, इसलिए शिंदे अब शरद पवार को आगे लाने में जुटे हैं। मगर शिंदे को इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी देश की एकमात्र पसंद हैं। मोदी में लोग आर्थिक विकास, सही अर्थों में न्याय और आकांक्षाओं की पूर्ति की उम्मीद देख रहे हैं। जावडेकर ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को अब पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर भी भरोसा नहीं रहा है। यही वजह है कि अब कांग्रेस के नेता यूपीए घटक दलों में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार खोजने में लगे हैं।

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