Wednesday 8 January 2014

नर्सरी दाखिले का मसला ः स्कूल सरकारी गाइडलाइन नहीं मान रहे

  1. दिल्ली के नर्सरी स्कूलों में दाखिले का मुद्दा लाखों मां-बाप व बच्चों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों पर नजर रखने के लिए वालंटियर्स की टीम भी तैयार की है जो रोजाना स्कूलों (सरकारी) में जाकर टॉयलेट, पानी, साफ-सफाई तथा शिक्षकों की उपस्थिति पर नजर रखेगी। यह टीम रोजाना अपनी रिपोर्ट शिक्षा मंत्री को देगी। यह तो अच्छी बात है पर झगड़ा प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी एडमिशन का है। नर्सरी दाखिले के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया 15 जनवरी से शुरू हो रही है। इस बार जहां गाइडलाइंस ने अभिभावकों को बड़ी राहत दी है तो वहीं स्कूल इसके खिलाफ हाई कोर्ट पहुंच गए हैं। हाई कोर्ट में मामला पहुंचने से दाखिले में देरी होने की सम्भावना है तो उधर स्कूल आवेदन से पहले ही अजीबो-गरीब शर्तें रख रहे हैं। इस बार 30 मार्च तक दाखिला प्रक्रिया चलेगी और प्वाइंट सिस्टम के आधार पर दाखिला होगा। स्कूल अभी से अपने नियम बता रहे हैं लेकिन इनसे घबराने की जरूरत नहीं है, अभिभावकों को चाहिए कि वे गाइडलाइंस को पढ़कर कायदे से आवेदन करें। इस बार दूरी वर्ग का दायरा बढ़ाया गया है। बीते साल जहां पांच किलोमीटर का दायरा था तो वहीं इस बार आठ किलोमीटर तक के दायरे में आने वाले स्कूलों में अभिभावक आवेदन कर सकते हैं। इस बार सबसे अधिक 70 प्वाइंट तय किए गए हैं लेकिन नजफगढ़, रनहौला, बवाना व नरेला जैसे ग्रामीण व बाहरी दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं जहां 11 किलोमीटर तक कोई स्कूल नहीं। ऐसे अभिभावकों को सबसे ज्यादा दिक्कत है। एल्युमनी वर्ग में भी स्कूल प्वाइंट देता है। इस वर्ग में माता-पिता जिन स्कूलों में पढ़ चुके हैं वहां बच्चों का दाखिला करा सकते हैं। उन्हें इसके पांच प्वाइंट मिलेंगे। माता-पिता कितने साल तक पढ़े होने चाहिए, इस बाबत कोई नियम नहीं है लेकिन कुछ स्कूल 10वीं तक पढ़ने की शर्त रख रहे हैं तो किसी का कहना है कि माता-पिता स्कूल के 12वीं के छात्र रहे हों। ऐसे में उन अभिभावकों को सबसे अधिक दिक्कतें आ रही हैं जो किसी स्कूल में एक या दो साल ही पढ़े हैं। द्वारका स्थित कैब इंटरनेशनल स्कूल मांसाहारी और शाकाहारी होने के भी प्वाइंट दे रहा है। स्कूल के मुताबिक यदि कोई अभिभावक शाकाहारी है और वो दूरी वर्ग में आवेदन करता है तो 60 प्वाइंट दूरी के, 10 प्वाइंट शाकाहारी होने के मिलेंगे। इसके अलावा मांसाहारी के पांच प्वाइंट देने की बात कही  गई है। बता दें कि बीते साल भी 60 से अधिक स्कूलों ने ऐसी शर्तें रखी थीं। अभिभावक संघ का कहना है कि ऐसी शर्तें निजता के अधिकार का उल्लंघन है। सिविलिंग वर्ग में उन छात्रों का आवेदन स्वीकारा जाएगा जिनके सगे भाई व बहन उसी स्कूल में पढ़ते हों, लेकिन कई स्कूल ऐसे भी हैं जो ताऊ या चाचा के बच्चों को भी सिविलिंग में स्वीकारते हैं। दरअसल इस बाबत किसी भी स्कूल में साफ नियम नहीं। अभिभावकों को दिक्कत तब होती है जब वे 10 स्कूलों में एक साथ आवेदन करते हैं। मान लीजिए किसी परिवार के चार बच्चे अलग-अलग स्कूल में पढ़ते हैं, यदि अभिभावक सिविलिंग वर्ग में चारों में आवेदन करता है तो कुछ स्वीकारेंगे तो कुछ नहीं। ऐसे में नियमों की एकरूपता जरूरी है। इसके अलावा नर्सरी के साथ-साथ प्री-नर्सरी में दाखिले को लेकर बच्चों की उम्र तय करने को लेकर स्कूलों की मनमानी सामने आ रही है जबकि नर्सरी या प्री-नर्सरी में दाखिला लेने वाले बच्चों की उम्र क्या हो, इसको लेकर सरकार पहले ही दिशा-निर्देश जारी कर चुकी है।
  2. -अनिल नरेन्द्र

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