Wednesday 8 January 2014

आदर्श घोटाले में क्या राहुल ताकतवर कांग्रेसी नेताओं से भिड़ने को तैयार हैं?

आदर्श सोसायटी घोटाले की जांच रिपोर्ट जब महाराष्ट्र सरकार ने खारिज की तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि यह तो होना ही था। कांग्रेस सरकार ऐसी जांच रिपोर्ट भला कैसे स्वीकार करती जिससे केंद्रीय गृहमंत्री समेत राज्य के चार-चार मुख्यमंत्री शामिल हों। अगर स्वीकार कर लेती तो उसे कार्रवाई न करनी पड़ जाती? इसलिए सबसे आसान विकल्प था जांच रिपोर्ट को खारिज करके रद्दी की टोकरी में डाल दो, हुआ भी यही पर महाराष्ट्र सरकार की सारी कैलकुलेशन तब गड़बड़ा गई जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अचानक यह कह दिया कि इस जांच रिपोर्ट पर फिर से विचार होना चाहिए। राहुल गांधी की इस बेबाक टिप्पणी पर महाराष्ट्र सरकार को मजबूरन कुछ दिखाने के लिए करना था। राहुल गांधी की असहमति के बाद महाराष्ट्र सरकार ने आदर्श सोसायटी घोटाले की न्यायिक जांच रिपोर्ट को स्वीकार तो किया पर आंशिक रूप से। सरकार ने अभ्यारोपित नौकरशाहों के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा कर दी। लेकिन सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को छोड़कर बाकी सभी राजनीतिक नेताओं को यह कहते हुए कि उनके खिलाफ कोई आपराधिकता सामने नहीं आई है, इसलिए उन्हें क्लीन चिट दी जाती है। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा उन लोगों के खिलाफ अलग से कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी जिनका नाम सीबीआई के आरोप पत्र या सीबीआई की प्राथमिकता  में है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आदर्श सोसायटी को चार पूर्व मुख्यमंत्रियोंöअशोक चव्हाण, दिवंगत विलास राव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे (वर्तमान केंद्रीय गृहमंत्री) और शिवाजी राव पाटिल तथा पूर्व शहरी विकास मंत्रियों सुनील तरकरे एवं राजेश टोपे को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। क्या पुनर्विचार का यही मतलब था? क्या राहुल गांधी इससे संतुष्ट हैं? जांच रिपोर्ट में छह राजनीतिज्ञों को आदर्श परियोजना को संरक्षण देने का दोषी ठहराया गया है। इनमें चार पूर्व मुख्यमंत्री हैं और यह सभी कांग्रेस से संबंध रखते हैं। इसी कड़ी में राकांपा के दो मंत्रियों के भी नाम हैं। इन सभी के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होगी। रिपोर्ट में सबसे तीखी टिप्पणी अशोक चव्हाण के बारे में है, जिन्हें इसी घोटाले के कारण मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था। उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने से राज्य सरकार ने साफ मना कर दिया है, यह कहते हुए कि अशोक चव्हाण के खिलाफ सीबीआई पहले ही एफआईआर दर्ज कर चुकी है पर गौरतलब है कि कुछ हफ्ते पहले राज्यपाल ने अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत देने की सीबीआई की अर्जी ठुकरा दी थी। इस तरह आदर्श सोसायटी कांड के सभी राजनीतिक आरोपियों को बचाने का इंतजाम कर लिया गया है। जिस मामले में सत्तारूढ़ दल के इतने ताकतवर लोगों की भूमिका कठघरे में हो, वहां कार्रवाई में क्या राजनीतिक मुश्किलें होंगी, यह पृथ्वीराज चव्हाण जानते होंगे। इसलिए उन्होंने कार्रवाई के दायरे में सिर्प नौकरशाहों को रखा है। कार्रवाई को लेकर शुरू से ही महाराष्ट्र सरकार ने अनिच्छा जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उसे रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करना पड़ा पर क्या राहुल गांधी जो लोकसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी की छवि चमकाने में लगे हैं, इस प्रकार की लीपापोती को स्वीकार कर लेंगे? आदर्श घोटाले की जांच रिपोर्ट की समीक्षा करने का आदेश देकर बेशक उन्होंने वाहवाही लूटी पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें अपनी ही पार्टी के ताकतवर नेताओं से भिड़ना पड़ेगा, क्या वह इसके लिए तैयार हैं?

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