Friday 10 January 2014

बिजली कम्पनियों को चेतावनी ः ऑडिट करवाओ या लाइसेंस रद्द

दिल्ली की नई आप सरकार के मुख्य निशाने पर राजधानी में बिजली वितरण करने वाली कम्पनियां हैं, यह अब साफ हो चुका है। दिल्ली सरकार ने निजी वितरण कम्पनियों को चेतावनी दी है कि अगर वे नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के साथ सहयोग नहीं करती हैं तो उनका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। विधानसभा में अपने सम्बोधन में दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने कहा कि निजी कम्पनियों के बही-खातों की जांच उनकी वित्तीय स्थिति का पता लगाने के लिए की जा रही है और उन्हें निश्चित रूप से सहयोग करना चाहिए। राजधानी में बिजली के दाम दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) तय करता है। लेकिन यह बार-बार साबित हुआ है कि पिछली कांग्रेस सरकार के लोग उनका लगातार बढ़ाव करते दिखे। कहा जाता है कि बिजली में काफी सुधार हुआ है। अब दिल्ली में वैसे बिजली नहीं जाती जैसे पहले जाती थी। यह भी तर्प दिया जाता है कि दिल्ली में बिजली का रेट दूसरे शहरों और पड़ोसी राज्यों से सस्ती है। इन्हीं के चलते पिछली सरकार की नीयत पर सवाल उठे और अरविंद केजरीवाल सरकार ने आते ही 400 यूनिट बिजली हर महीने उपयोग करने वालों को ज्यादा सब्सिडी देकर बिजली की कीमत आधी कर दी और निजी वितरण कम्पनियों के एकाउंट की जांच सीएजी से करवाने का फैसला किया। अब नई सरकार की साख बिजली के मुद्दे पर दांव पर लगी हुई है। खबर है कि सीएजी की जांच की दस्तक आज-कल में बिजली कम्पनियों के भीतर औपचारिक तौर पर पहुंच रही है। सीएजी में होम वर्प लगभग पूरा हो गया है। तीनों बिजली कम्पनियों से पूछे जाने वाले सवाल, मांगे जाने वाले रिकार्ड और जिम्मेदार अफसरों की जानकारी आदि के बारे में एक तरह की सिल्ट तैयार की गई है। हर बिजली कम्पनी के खातों और रिकार्ड की जांच के लिए दो टीमें लगाई जा सकती हैं। बिजली जेनेरेशन, सप्लाई आदि की बारीक जानकारी रखने वाले अफसरों/कर्मचारियों की टीम छानबीन के लिए तैयार है। बिजली वितरण के पिछली सरकार के फैसले से पहले जो सरकारी कर्मचारी इस विभाग में थे वे भी जांच करने में कैग की मदद कर सकते हैं। बिजली कम्पनियों को राहत दिलाने के लिए अदालतों की ओर नजर को दिल्ली हाई कोर्ट ने झटका दिया है। हालांकि कम्पनियां सभी विकल्पों पर विचार में लगी हैं। बिजली के प्राइवेटाइजेशन का फैसला 2002 में लागू हुआ था। जांच पूरी होने में कितना समय लगेगा, यह अभी साफ नहीं है। सीएम केजरीवाल ने तीन महीने के लिए दिल्लीवासियों को 400 यूनिट तक सब्सिडी की घोषणा की है। इसका मतलब है कि ऑडिट तीन महीने में पूरा होने की उम्मीद केजरीवाल को है। लेकिन जितना बड़ा काम है, उससे लगता नहीं कि तीन महीने में यह काम पूरा हो जाएगा। जानकारों के मुताबिक पहले 11 साल के रिकार्ड का ऑडिट और फिर उसकी रिपोर्ट आने में वक्त लग सकता है, सो कोई आश्चर्य नहीं होगा कि अगर केजरीवाल को एक बार फिर सब्सिडी की घोषणा करनी पड़े। अप्रैल में लोकसभा चुनाव की हलचल भी शुरू हो चुकी होगी, इसलिए आचार संहिता लागू होने से पहले ही अरविंद केजरीवाल को यह घोषणा करनी पड़ सकती है। कुल मिलाकर बेशक देश में उद्योगपति लॉबी इसके खिलाफ हो पर अगर जनता को कोई राहत मिलती है तो ऐसे हम कदम का स्वागत होना चाहिए।

-अनिल नरेन्द्र

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