Tuesday 16 September 2014

पहले लोकसभा अब डूसू चुनाव में मोदी को मैंडेट मिली

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के चुनाव में भाजपा समर्थित छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने 17 साल बाद सभी चारों सीटों पर अपना कब्जा जमाते हुए शानदार जीत दर्ज की है। इससे पहले एबीवीपी ने 1997-98 में चारों सीटें जीती थीं। कांग्रेस समर्थित एनएसयूआई दूसरे और आइसा तीसरे स्थान पर रही। सिवाय डूसू अध्यक्ष पद पर मुकाबला कांटे का रहा बाकी तीन पर एबीवीपी ने एकतरफा जीत हासिल करते हुए एनएसयूआई का सूपड़ा साफ कर दिया। आइसा को भी भारी झटका लगा। इस जीत का एक बड़ा कारण मोदी फेक्टर माना जा रहा है। डूसू चुनाव में पहली बार भाजपा के एमएलए और पार्षद भी सक्रिय रहे। मोदी लहर पर वोट मांगे गए। इस भारी जीत ने दिल्ली भाजपा की बांछें खिला दी हैं और पिछले दिनों से कुछ रक्षात्मक मुद्रा में आए भाजपा के नेता फिर आक्रामक मुद्रा में आ गए हैं और इस जीत को भी वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जोड़ते हुए दिल्ली की जनता का कांग्रेस से हर स्तर पर मोह भंग होने की बात कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई की इस हार से उसके नेता जरूर सकते में हैं क्योंकि उन्हें लग रहा था कि यदि छात्र संघ चुनाव में दो सीटों पर भी उनकी जीत हो गई तो वह दबाव बनाने की स्थिति में आ जाएंगे जिसमें कहेंगे कि युवाओं का मोदी और भाजपा से मोह भंग होना शुरू हो गया है। दिल्ली में सरकार गठन पर अनिश्चितता के बीच असेम्बली चुनावों से कतरा रही भाजपा के लिए यह जीत अहम है। इससे पार्टी में नया विश्वास पैदा होगा। दिल्ली भाजपा चीफ सतीश उपाध्याय ने कहा भी कि इस जीत पर मोदी का असर साफ है। अगर चुनाव होते हैं तो भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलेगा। दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए एक और करारी पराजय है। दिल्ली में फिर से अपनी जमीन वापस पाने का सपना देख रही कांग्रेस के लिए एक और झटका है। पिछले 17 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब उसकी छात्र इकाई के सभी चारों पदों पर बुरी हार का मुंह देखना पड़ा है। कांग्रेस के दिल्ली  प्रदेश अध्यक्ष अरविन्दर सिंह लवली के लिए भी परिणाम निराशाजनक रहे हैं क्योंकि लोकसभा चुनाव में सातों सीटों पर कांग्रेस के तीसरे नम्बर पर पहुंचने के बाद उन्हें भी इस चुनाव में उम्मीद थी पर उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। देश में लोकसभा या विधानसभा चुनावों से पूर्व डूसू चुनाव विश्वसनीय एक्जिट पोल माने जाते हैं। एबीवीपी की जबरदस्त जीत से जहां एक तरफ दिल्ली भाजपा इकाई को दिल्ली में सरकार बनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा वहीं हरियाणा में 15 अक्तूबर को चुनाव में भी मदद मिलेगी। ऐसे में मोदी लहर अभी भी कायम रहने का ट्रेलर देखने के बाद दोनों राज्य इकाइयां पूरी फिल्म देखने के लिए उत्साहित जरूर होगी। डूसू में तो एबीवीपी ने शानदार जीत दर्ज कराई सो कराई जेएनयू में भी छात्र संघ ने वर्ष 2000 के बाद इस लाल दुर्ग पर सेंध लगाने में सफलता पाई। कुल मिलाकर यह जीत भाजपा के लिए महत्वपूर्ण संकेत है। दिल्ली की जनता ने पहले लोकसभा चुनाव में और अब डूसू चुनाव में मोदी पर पूरा भरोसा जताया है।

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