Friday 19 September 2014

गडकरी का आश्वासन रामसेतु किसी हालत में नहीं टूटेगा, का स्वागत है

हम मोदी सरकार द्वारा इस आश्वासन का स्वागत करते हैं कि रामसेतु किसी हालत में नहीं टूटेगा। सरकार के सौ दिन के कामकाज पर अपने मंत्रालय की उपलब्धियां गिना रहे केंद्रीय जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि रामसेतु के प्राचीन ढांचे को किसी भी हालत में तोड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी। हालांकि उन्होंने कहा कि सेतु समुद्रम केनाल प्रोजैक्ट के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाने के उपाय अवश्य किए जाएंगे। इस संबंध में अध्ययन की जिम्मेदारी राइट्स को सौपी गई थी जिसने अपनी रिपोर्ट दे दी है। एक महीने के भीतर कैबिनेट बैठक में फैसला लिया जाएगा। इससे पहले केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन सेतु समुद्रम के मुद्दे पर पुरजोर शब्दों में ऐलान किया था कि किसी भी सूरत में रामसेतु (सेतु समुद्रम) को तोड़ा नहीं जाएगा। नितिन गडकरी ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि हम किसी भी हालत में रामसेतु को नहीं तोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। उच्चतम न्यायालय में इस मुद्दे पर हम ऐसा सुझाव देंगे जो सभी संबंधित पक्षों को मान्य होगा। गडकरी ने कहा कि इस मामले को देखने के लिए वह तमिलनाडु का दौरा करेंगे। प्रस्तावित सेतु समुद्रम शिपिंग केनाल प्रोजैक्ट केंद्र सरकार की परियोजना है जिसमें इस क्षेत्र को बड़े पोतों के परिवहन योग्य बनाना और साथ ही तटवर्ती इलाको में मत्स्य और नौवहन बंदरगाह स्थापित करना है। सेतु समुद्रम परियोजना के जरिये समुद्र में नया रास्ता बनाने की तैयारी थी। इसके लिए पाक वे और मन्नार की खाड़ी के बीच समुद्र में खुदाई कर नया रास्ता बनाया जाना था। इसके लिए रामसेतु को तोड़ा जाना था। हिन्दू शास्त्राsं के मुताबिक रामसेतु का निर्माण नल और नील की मदद से भगवान राम ने रावण विजय अभियान के तहत अपनी वानर सेना को समुद्र पार करने के लिए किया था। करोड़ों भारतीयों की इस पत्थरों के रास्ते  में आस्था जुड़ी हुई है। कोई भी भारतीय जो भगवान राम को मानता है, भगवान हनुमान को मानता है वह कभी बर्दाश्त नहीं करेगा कि इस पौराणिक पुल को तोड़ा जाए। यह तो रावण वंशज (द्रमुक) की चाल थी हिन्दुओं को अपमानित करने की और यूपीए सरकार भी अपने गठबंधन को बचाने के लिए द्रमुक की मांग मान गई। दरअसल द्रमुक नेताओं को इस परियोजना से करोड़ों रुपए का फायदा होता। वह अपने लालच में इस ऐतिहासिक महत्व के पुल को तोड़ने पर आमादा थे। मामला उच्चतम न्यायालय में चल रहा है। उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार अपने स्टैंड पर अडिग रहेगी और इस परियोजना को प्रस्तावित रूप में जो तोड़ने की योजना है वह समाप्त हो जाएगी और वैकल्पिक रास्ता निकाला जाएगा। मगर इस परियोजना के पीछे कौन है और क्यों है तो मामला साफ हो जाएगा। यह करोड़ों भारतीयों खासकर हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा है। हमारा तो मानना है कि गडकरी ने सही स्टैंड लिया है और इस पर मोदी सरकार और गडकरी कायम रहेंगे। जय श्रीराम।

-अनिल नरेन्द्र

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