Friday, 26 September 2014

समय पर सही तरीके से मदद मिलती तो मकसूद शायद बच जाता

राजधानी स्थित चिड़ियाघर में मंगलवार को एक अत्यंत दुखद हादसा हुआ। दोपहर करीब एक बजे एक नौजवान जो चिड़ियाघर घूमने आया था, सफेद बाघ की तस्वीर लेने के लिए बाड़े पर चढ़ा और फिसल कर अंदर की ओर सूखी खाई में गिर गया। 20 साल का मकसूद नामक यह युवा बाघ से बचने के लिए बाघ के सामने करीब 10 मिनट तक हाथ जोड़ कर उम्मीद करता रहा कि शायद वह  बच जाए और उसे बचा लिया जाए पर जब आसपास के लोगों ने बाघ को दूर करने की कोशिश में पत्थर मारने शुरू किए तो बाघ बिगड़ गया और मकसूद की गर्दन पर हमला करके उसे दूर ले गया। वहां उसने उसे बड़ी बेरहमी से मार डाला। एक प्रत्यक्षदर्शी ने सारा सीन बयान करते हुए बताया कि हम सब लोग चिड़ियाघर में घूम रहे थे। तभी मैंने देखा कि एक लड़का सफेद बाघ `विजय' के बाड़े के भीतर झांक रहा है। वह आगे की ओर बार-बार झुक रहा था। वहां बाड़े की ऊंचाई भी कम थी। इतने में वह लड़का बाड़े के अंदर जा गिरा। अंदर जो नाला बना है उसमें पानी नहीं है। लड़का उसी में गिरा। इतने में बाघ लड़के के पास आ धमका। लड़का चुपचाप बैठा रहा और हाथ जोड़ कर माफी मांगता रहा या ऊपर वाले से अनुरोध करता रहा कि उसे बचा ले। थोड़ी देर ठिठकने के बाद बाघ ने पहले पंजा मारा फिर दूर जा खड़ा हुआ। लेकिन तभी किसी ने बाघ पर पत्थर मारा। इस पर बाघ गुर्राया और लड़के पर झपट पड़ा। उसने लड़के को गर्दन से पकड़ा और घसीटकर दूर कोने में ले गया। इस बीच सिक्यूरिटी गार्ड आ गए और बाड़े की ग्रिल पर डंडे मारने लगे। इसके बाद बाघ फिर लड़के को घसीटने लगा और फिर लड़के की मौत हो गई। लड़के की गर्दन से खून बह  रहा था। गर्दन की हड्डी भी दिख रही थी, शायद टूट चुकी थी। मकसूद को यदि समय पर मदद मिलती तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। बाघ के बाड़े में गिरने से लेकर युवक की मृत्यु के दरम्यान 15 मिनट का वक्त था। लेकिन उसे बचाने के लिए चिड़ियाघर प्रशासन द्वारा गंभीरता से प्रयास ही नहीं किया गया। अगर प्रशासन बाघ को बेहोश करने के लिए ट्रेक्यूलाइजर गन का इस्तेमाल करता तो मकसूद बच जाता। यह गन मौके से करीब 250 मीटर दूर चिड़ियाघर के अस्पताल में पड़ी थी लेकिन इसे इस्तेमाल नहीं किया गया। नियमानुसार खतरनाक जानवरों के बाड़े के पास ट्रेक्यूलाइजर (बेहोश करने वाली) गन के साथ तीन कर्मचारियों (एक कीपर, एक असिस्टेंट कीपर और एक अटेंडेंट) की तैनाती होनी चाहिए। वह तब तक तैनात रहेंगे जब तक चिड़ियाघर आम जनता के लिए खुला रहता है। लेकिन घटना के वक्त मौके पर कोई कर्मचारी नहीं था। एक बाघ विशेषज्ञ का कहना है कि बाघ ने तो उस युवक को छोड़ दिया था, अगर लोग पत्थर न फेंकते तो वह युवक बच जाता। रणथम्भौर फाउंडेशन के विशेषज्ञ पीके सेन ने बताया कि जंगल में रहने वाले बाघों में जरूर लोगों को मारने व शिकार करने की प्रवृत्ति होती है। लेकिन विजय यहीं पैदा हुआ है और इसी माहौल में पला-बढ़ा है तो उसमें लोगों को मारने की प्रवृत्ति नहीं हो सकती। मकसूद जब बाड़े में गिरा तो बाघ उसके पास आया व उसे चाट कर छोड़ दिया और मुड़कर जाने भी लगा। जब लोगों ने पत्थर मारने शुरू किए तो बाघ आक्रामक हो गया। ऐसे में खतरा भांप कर उसने युवक पर हमला कर दिया। कहीं न कहीं इसमें गलती उन लोगों की भी है जिन्होंने बाघ को पत्थर मारें। चिड़ियाघर में रहने वाले बाघ आमतौर पर आक्रामक नहीं होते हैं तभी तो देशभर में किसी चिड़ियाघर में इस तरह का हादसा पहले नहीं हुआ। मारा गया  लड़का दिल्ली के ही आनंद पर्वत इलाके का रहने वाला था। वह 12वीं कक्षा का छात्र था। चिड़ियाघर के क्यूटेटर रिवाज अहमद खान ने बताया कि सफेद बाग को देखने के लिए रोजाना हजारों लोग चिड़ियाघर आते हैं। सूचना पटल पर साफ-साफ लिखा हुआ है कि कोई भी पर्यटक जानवर को किसी भी तरह से परेशान न करे, खतरनाक जानवरों से पर्याप्त दूरी बनाए रखें। सफेद बाघ को कवर करने के लिए चिड़ियाघर प्रशासन ने लोहे की ऊंचे जाल और दीवार बनाई हुई है। लेकिन मकसूद बेचारे की मौत आई हुई थी इसीलिए वह दीवार पर चढ़ा और फोटो खींचने के चक्कर में सफेद बाघ विजय के बाड़े में जा गिरा।

-अनिल नरेन्द्र

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