Wednesday 24 September 2014

...और अब पाकिस्तान में भी पैदा हुआ एक पप्पू ः बिलावल भुट्टो

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के युवा अध्यक्ष, बेनजीर भुट्टो और आसिफ अली जरदारी के पुत्र बिलावल भुट्टो ने कश्मीर के बारे में एक ऐसा बयान दिया है कि वह हंसी के पात्र बन गए हैं। बिलावल ने शुक्रवार को मुल्तान में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मेरी पार्टी भारत से पूरा का पूरा कश्मीर हासिल करेगी। मैं इसका एक इंच हिस्सा भी नहीं छोड़ूंगा। अन्य प्रांतों की तरह पूरा कश्मीर भी पाकिस्तान का हिस्सा है। हम उसे भारत से वापस लेकर रहेंगे। इस दौरान पूर्व पीएम यूसुफ रजा गिलानी और राजा परवेज मुशर्रफ भी उनके करीब मौजूद थे। लगता है कि अब पाकिस्तान को भी एक पप्पू मिल गया है। एक समय था कि बिलावल के नाना जुल्फिकार अली भुट्टो ने भी कहा था कि पाकिस्तान हिन्दुस्तान से एक हजार साल तक जंग जारी रखेगा। दरअसल पाकिस्तानी नेताओं के सिर से कश्मीर का भूत उतरता नहीं दिख रहा है। ऐसा शायद इसलिए भी कि कट्टरपंथियों, आईएसआई और सेना की त्रिगुटी में फंसी वास्तविक सत्ता तक लोकतांत्रिक दल और सरकारें वैसी पकड़ नहीं बना पाईं जैसी भारत में है। जबकि कट्टरपंथी, आईएसआई और सेना का गठजोड़ भारत विरोधी विषवमन कर जनमानस को बरगलाए रखने के साथ ही निजी स्वार्थ साधने में कामयाब दिखता है। पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की कमान संभाल रहे उनके बेटे बिलावल ने कश्मीर पर यह विवादास्पद बयान देकर पाकिस्तान की सियासत पर पैठ जमाने का दांव खेला है। अनुभवहीनता और बचकानी हरकतों के लिए बिलावल पहले भी विवादों में रहे हैं। गौरतलब है कि पाक की राजनीति और सैन्य तैयारी भारत और कश्मीर के इर्द-गिर्द घूमती है। पाक सेना सरकार को अपने प्रभाव में रखने के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल करती है और सियासी दल भी कश्मीर मुद्दे को हवा देकर सत्ता में पहुंचने के लिए कसरत करते रहते हैं। नाना जुल्फिकार एक हजार साल लड़ने की बात करते-करते फांसी के फंदे पर लटक गए। मम्मी बेनजीर कश्मीर की आजादी की बात करते और इसे वापस लेने की बात करते हुए गोली का शिकार हो गईं। पीढ़ियां बदली हैं मगर मानसिकता नहीं। पाकिस्तान में अगला चुनाव अभी चार साल दूर है और विपक्ष के आंदोलन से पैदा गतिरोध के बाद बाढ़ से बेहाल इस मुल्क के बड़े हिस्से को राहत की जरूरत है। ऐसे में कश्मीर पर बोलने की बजाय अगर बिलावल मुल्क की बेहतरी के बारे में कुछ बोलते तो इससे उनकी परिपक्वता का पता चलता। पाकिस्तान के राजनीतिक दलों ने भी इस फॉर्मूले को अपना लिया है कि भारत के खिलाफ जहर उगलो और समर्थन जुटाओ। कभी-कभी तो भारत विरोधी बयानों की ऐसी होड़ लगती है कि मानो अपना पकौड़ा ज्यादा कुरकुरा साबित करके ही रहना है। बिलावल की इस तकरीर को बड़बोलेपन के सिवाय और क्या कहा जाए? बिलावल शायद यह भूल गए कि उनके नाना के बड़बोलेपन की वजह से पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) बन गया। बिलावल सत्ता से दूर हैं, उन्हें यह अहसास होना चाहिए कि इस बार हिमाकत की तो अधिकृत कश्मीर की बारी है। कश्मीर का मुद्दा उठाकर वहां की जनता को लम्बे समय तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता। यकीन है कि बिलावल के इस बयान को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया होगा।

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