Saturday, 6 September 2014

मोटर वाहन एक्ट की जगह रोड ट्रैफिक एक्ट सराहनीय प्रयास

सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण लगाना अति आवश्यक हो गया है। यह संतोषजनक है कि मोदी सरकार इन पर लगाम लगाने के प्रति गंभीर है। इस क्रम में सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में मोटर वाहन अधिनियम के स्थान पर सड़क यातायात अधिनियम लाने का इरादा रखती है। अच्छी बात यह है कि सुरक्षित सड़क पर परिवहन के लिए प्रस्तावित अधिनियम का सिर्प नाम ही नहीं  बदला जाना  बल्कि उसके दायरे में व्यापक बढ़ोत्तरी भी की जानी है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक मौजूदा एक्ट का ज्यादातर ध्यान सिर्प मोटर वाहनों और उनके चालकों पर केंद्रित है। अब सरकार का प्रयास है कि नए एक्ट में पैदल, साइकिल और रिक्शा यात्रियों को सुरक्षा कानून के दायरे में लाया जाए। नया रोड ट्रैफिक विधेयक मोटर व्हीकल एक्ट-1988 का स्थान लेगा। बिना हेलमेट पहने दुपहिया चलाना, शराब पीकर गाड़ी चलाना, तय सीमा से अधिक रफ्तार से गाड़ी चलाना, गाड़ी में  बेल्ट न लगाना, रेड  लाइट जम्प करने जैसे मामलों के लिए भारी जुर्माने के साथ लाइसेंस में डिमेरिट प्वाइंट सिस्टम भी लागू होगा। गडकरी ने बताया कि अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, जापान, सिंगापुर व यूके के सड़क परिवहन व सुरक्षा से जुड़े कानूनों का अध्ययन करके और विशेषज्ञों की राय से दुनियाभर की बेहतर बातों को इसमें शामिल किया जाएगा। राजधानी की सड़कों पर बार-बार यातायात नियमों को तोड़ने वाले चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। यदि कोई चालक एक वर्ष में तीन बार इस तरह की गलती करेगा तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) रद्द कर दिया जाएगा। इसके लिए दिल्ली परिवहन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए नियम में  बदलाव किया है। उल्लेखनीय है कि यातायात पुलिस ने कुछ दिनों पहले दो या इससे अधिक बार एक ही तरह के यातायात नियम का उल्लंघन करने वाले 1855 चालकों की सूची दिल्ली परिवहन विभाग को भेजकर उनका डीएल रद्द करने की सिफारिश की थी। इसके बाद विभाग ने नियम में बदलाव किया है। सड़क पर दुपहिया वाहन चलाने के दौरान हेलमेट के इस्तेमाल से हादसों में मौत व गंभीर चोटों के मामलों में 20 से 45 फीसदी तक की कमी आती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन रोड सेफ्टी के मुताबिक हेलमेट का इस्तेमाल न करने से सिर में लगने वाली चोट से मौत की मुख्य वजह  बनती है यानि खतरनाक हादसों में बचाव के लिए हेलमेट जरूरी माना गया है। रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के 155 देशों में हेलमेट पर कानून मौजूद है। अब महिलाओं को भी हेलमेट पहनना होगा। खुद गडकरी मानते हैं कि ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं सड़कों के खराब डिजाइन के कारण होती हैं। लेकिन बकौल गडकरी के चालकों का दोष भी कम नहीं है। माना जाता है कि शराब की लत हादसों के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। लेकिन एक बड़ा कारण मोतियाबिंद से ग्रस्त होने वाले भी हैं। वह महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए यह भी बताते हैं कि वहां के 45 फीसदी सरकारी चालक मोतियाबिंद के शिकार हैं, लेकिन वह सरकारी अस्पतालों से फर्जी सर्टिफिकेट हासिल कर वाहनों को दौड़ाते रहते हैं। देश में इस वक्त प्रतिदिन लगभग 400 नागरिक सड़क हादसों में मौत के शिकार होते हैं। सालाना स्तर पर लगभग 1.40 लाख के करीब पहुंच गया है। जिस तरह से भारत की जनसंख्या और वाहनों की तादाद बढ़ रही है, अंदेशा है कि हादसों में मौतों का आंकड़ा निरंतर बढ़ने वाला है। ऐसे में सड़क हादसों में कमी लाने का कोई भी सरकारी प्रयास स्वागतयोग्य है। उम्मीद है कि नए एक्ट के आने के बाद सड़क हादसों के बढ़ने की रफ्तार घटेगी।
-अनिल नरेन्द्र
�� Q � � � �/� ��� �� था। चूंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, इस पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा। अब सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को आगे क्या होता है बहुत-सी बातें निर्भर करती हैं। प्रशांत भूषण को यह साबित करना होगा कि रंजीत सिन्हा ने अनिल अम्बानी व मुईन कुरैशी को चल रही कानूनी कार्यवाही में बचाने के लिए केस कमजोर किया तब तो आरोपों में दम नजर आएगा। घर पर किसी से मिलना अपराध नहीं है पर अगर इस मुलाकात से केस में कमजोरी आई तो मामला गंभीर बनता है। उल्लेखनीय है कि घोटाले की जांच कर रहे डीआईजी संतोष रस्तोगी को इन्हीं परिस्थितियों में हटाया गया था अब सिन्हा से जुड़ा यह नया मामला सामने आया है, वह भी तब जबकि इस मामले से सिन्हा को अलग रखने की अर्जी लंबित है। मालूम हो कि रस्तोगी को जांच से हटाने के बाद सिन्हा पर मामले में कुछ प्रभावशाली आरोपियों को बचाने के आरोप लगे। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रस्तोगी को जांच टीम में बनाए रखा है। अब दांव पर है रंजीत सिन्हा की और सीबीआई की प्रतिष्ठा व निष्पक्षता।

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