Tuesday 2 September 2014

मोदी का काशी मिशन ः वर्ल्ड हेरिटेज सिटी बनवाना

भारत में 100 स्मार्ट शहर बनाने की महत्वाकांक्षी योजना को जमीन पर उतारने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी जापान यात्रा की शुरुआत एक महत्वपूर्ण समझौते के साथ की, जिसके तहत क्योटो के सहयोग और अनुभव से प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को एक स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने चुनावी अभियान के दौर में ही काशी का कायाकल्प करने का संकल्प जताया था। वह वाराणसी के ऐतिहासिक घाटों से लेकर विकास के तमाम कार्यों को रफ्तार देना चाहते हैं। अब काशीवासियों को बिजली कटौती का दंश नहीं झेलना पड़ रहा है। क्योंकि यूपी सरकार ने वाराणसी को `नो कट' जोन घोषित कर दिया है। इसे स्थानीय लोग मोदी की महिमा मान रहे हैं। प्रधानमंत्री के निर्देश पर वाराणसी में मिनी पीएमओ का हाल ही में अमित शाह ने उद्घाटन किया है। इस कार्यालय के आला अफसर काशी के विकास कार्यों पर निगरानी रख रहे हैं। वाराणसी स्टेशन के अच्छे दिन आ गए हैं। वाराणसी रेलवे स्टेशन का कायाकल्प करने को रेलवे प्रशासन जुट गया है। इस स्टेशन के लिए इंटीग्रेटिड प्लान तैयार किया गया है जिसमें पांच दिशाओं से आने वाली ट्रेनों का सुचारू तरीके से संचालन किया जा सके। यहां के प्लेटफार्म और यार्ड का भी कायाकल्प होगा। इससे 24 कोच वाली ट्रेन भी आसानी से संचालित हो सकेगी। वाराणसी स्टेशन के कायाकल्प हेतु फिलहाल 190 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई गई है। अब वाराणसी को यूनेस्को के जरिए वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिलवाने की कोशिश शुरू हुई है। अभी तक भारत में किसी शहर को यह दर्जा नहीं मिला है जबकि वर्ल्ड हेरिटेज सिटी बनने के लिए वाराणसी तमाम मापदंड पूरे करता है। वाराणसी में तीन हजार छह सौ मंदिर हैं, 42 गुरुद्वारे हैं, 12 चर्च हैं और कई बड़ी मस्जिदें भी हैं। इनमें कई को ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से अहम माना जाता है। काशी को भगवान विश्वनाथ की नगरी के रूप में भी माना जाता है। इस धार्मिक शहर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिलाने के लिए भारत सरकार ने 1990 में एक बार शुरुआती पहल की थी लेकिन आगे इसके लिए ज्यादा प्रयास नहीं किए गए। मोदी सरकार अब इसी काम को आगे बढ़ाने में जुट गई है। काशी को ससुराल बनाने वाली जापानी युवतियां हों या फिर गंगा तट पर बसे इस प्राचीन शहर के घाटों के मुरीद मेहमान पर्यटक सभी की नजरें मोदी की जापान यात्रा पर लगी हुई हैं। पाठकों को बता दें कि वाराणसी के बंगाली टोला क्षेत्र की गलियों में तो एक अलग जापान बसता है। वहां विज्ञापन हो या दुकान की पहचान वाला बोर्ड जापानी भाषा में ही लिखा नजर आएगा। घाट और संकरी गलियां घूमने आई नदी तट के शहर क्योटो की छात्रा शकूरा का कहना है कि भारत-जापान की दोस्ती दुनिया में विकास के नए अध्याय की शुरुआत है। क्योटो और काशी दोनों की आत्मा एक जैसी है। क्योटो और काशी में बहुत समानता है। क्योटो में भी मंदिरों की बहुलता है और काशी में भी। वहां भी कला, संस्कृति रग-रग में बसी है और यहां भी। फर्प बस इतना है कि इस शहर को साफ-सुथरा रखने में वाराणसी की जनता रुचि नहीं लेती।

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