Thursday 11 September 2014

पूछ रहे हैं बाढ़ से घिरे कश्मीरी, कहां हैं अलगाववादी नेता?

महज कुछ दिनों की मूसलाधार बारिश से आई भीषण बाढ़ ने धरती के स्वर्ग कहलाए जाने वाले कश्मीर की तस्वीर ऐसी बदरंग कर दी है जिसे देखकर दिल बैठ जाता है। बीते 60 वर्षें की इस जबरदस्त बाढ़ ने जनजीवन को तबाह कर दिया है। 200 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं। करीब 400 गांव पानी में डूब गए हैं जिनमें से 50 बुरी तरह पभावित हैं। जिस जम्मू-कश्मीर के सौंदर्य से आकर्षित होकर सैलानी यहां चले आते थे वहां अब दूर-दूर तक पानी ही पानी और जान बचाने की होड़ है। पिछले कई दिनों से बिजली-पानी व संचार सब ठप्प पड़ा है। लोग ऊंची इमारतों की छतों पर रह रहे हैं बिना खाना-पानी के। धन्य हो भारतीय सेना के जवानों का जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर अब तक हजारों फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। सात दिन से बाढ़ से जूझ रहे कश्मीर के लिए सेना, वायुसेना और नौसेना के जवान किसी देवदूत से कम नहीं हैं। अभी तक 50 हजार लोगों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से निकाला जा चुका है। राहत अभियान और लोगों को निकालने का कार्य दिन-रात चल रहा है। डेढ़ लाख से अधिक सैनिक राहत अभियान में लगे हुए हैं। हमें पधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी सराहना करनी होगी जिन्होंने इस आपदा से निपटने के लिए फौरी कार्रवाई की। उन्होंने इस आपदा से निपटने के लिए केंद्र की ओर से न केवल हरसंभव मदद की घोषणा की बल्कि साथ ही एक हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि देने का भी ऐलान किया।  इससे पहले राज्य आपदा राहत कोष के जरिए जम्मू-कश्मीर को 1100 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए जा चुके हैं। नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक माने जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने जम्मू-कश्मीर  में बाढ़ से निपटने में पधानमंत्री की ओर से दिखाई गई तत्परता की सराहना की है। दिग्विजय ने ट्वीट करके कहा है कि जम्मू-कश्मीर में सेना, पुलिस और सुरक्षा बलों के राहत कार्य के साथ ही वह भारत सरकार और पधानमंत्री की इस बात के लिए सराहना करते हैं कि उन्होंने तत्परता दिखाई और पाक अधिकृत कश्मीर की ओर मदद का हाथ बढ़ाया। कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी कहा है कि बाढ़ की हालात को लेकर उन्होंने पधानमंत्री से बात की थी और वह उनकी पतिकिया से खुश हैं। पधानमंत्री ने राज्य का दौरा करने और एक हजार करोड़ की राहत पैकेज की घोषणा करने में तत्परता दिखाई। कुदरत के कहर से जन्नत में हुई तबाही को देखने तक के लिए घाटी के अलगाववादी नेता व हुर्रियत कापेंस के नेता अपने घरों से बाहर तक नहीं निकले, बाढ़ से पभावित लोगों की सुध लेना तो दूर की बात है।  विडंबना देखिए कि घाटी में जो पत्थरबाज सेना और सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी करते थे वह भी अब इनके आगे हाथ जोड़ कर नतमस्तक हैं। मूलत अनंतनाग निवासी और इस वक्त श्रीनगर के राजबाग में रह रहे मुश्ताक अहमद नूराबादी कहते हैं कि कश्मीर को तबाह कर चुके अलगाववादी और आतंकवादी अब हम पर रहम करें क्योंकि अब कश्मीरी अवाम इस पाकृतिक आपदा में मददगार के तौर पर भारतीय सुरक्षा बलों को ही अपने करीब पा रही है। हम कश्मीरियों ने गिलानी साहब के कहने पर कई बार सुरक्षा बलों पर पत्थरों से हमला किया और हालात खराब किए लेकिन आज हमें इस मुसीबत की घड़ी में सिर्फ सुरक्षा बल ही बचा रहे है। वह हमें न केवल बाढ़ के पानी से घिरे मकान से बाहर निकाल रहे है बल्कि सुरक्षित स्थानों पर ले जा कर टेंट व कंबल भी दे रहे हैं। उसने कहा कि भारतीय सेना के इस रूप के बाद हम खुद को बेहद शर्मिंदा महसूस करते हैं कि हम क्यों अलगाववादी नेताओं के इशारे पर कश्मीर का माहौल बिगाड़ते रहे। अब इस तकलीफ के समय न तो गिलानी साहब और न ही अन्य अलगाववादी नेता हमारी मदद के लिए सामने आ रहे हैं। शायद वह कहीं खुद को बचाने में लगे हैं। दुखद बात तो यह भी है कि इस आपदा की स्थिति में भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और आतंकियों को कश्मीर में घुसाने के पयास में जुटा हुआ है। बाढ़ और बारिश के हालात खत्म होने के बाद ही सही-सही जानकारी हो सकेगी, आंकलन हो सकेगा कि वस्तुत जन-धन की कितनी हानि हुई है? आपदा पबंधन में उमर अब्दुल्ला सरकार पूरी तरह से फेल नजर आई मगर भारतीय सेना व सुरक्षा बलों ने बिना समय गंवाएं बचाव व राहत का काम नहीं किया होता तो तबाही का मंजर कुछ और ही होता।

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