Sunday, 7 September 2014

निठारी हत्याकांड ः मौत नजदीक, बेखौफ खलनायक

सोलह बच्चों के यौन शोषण के बाद निर्मम हत्या करने वाला सुरेन्द्र कोली के डैथ वारंट जारी होने से निठारी कांड एक बार फिर चर्चाओं में है। मुख्य आरोपी सुरेन्द्र कोली को मेरठ जेल में सात से 12 सितम्बर के बीच किसी भी दिन फांसी पर लटकाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि नोएडा के पास निठारी में बहुचर्चित और खौफनाक घटना में 16 बच्चों की सिलसिलेवार यौन शोषण के बाद हत्या करने के दोषी सुरेन्द्र कोली को पांच मामलों में हत्या की सजा सुनाई गई है जबकि 17 मामले अभी भी लम्बित हैं। देश को झकझोर कर रख देने वाले इस निठारी कांड के मुख्य आरोपी के डैथ वारंट को जारी हुए साढ़े तीन साल का समय  बीत चुका है। डैथ वारंट को अमल में लाने की सारी बाधाएं समाप्त हो चुकी हैं। वर्ष 2006 में नोएडा के सेक्टर-31 की डी-5 कोठी के नाले में एक दर्जन से ज्यादा मासूमों के कंकाल बरामद हुए थे। मामले में मोनिंदर सिंह पंधेर व नौकर सुरेन्द्र कोली को गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2007 में केस सीबीआई को सौंपा गया था। इस कांड में मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेन्द्र कोली को फांसी की सजा सुनाई गई। इसके बाद हाई कोर्ट ने मोनिंदर सिंह को फांसी की सजा से राहत दे दी जबकि सुरेन्द्र कोली की फांसी की सजा को बरकरार रखा। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस. लाल ने वर्ष 2011 में कोली का डैथ वारंट जारी किया। इस पर कोली की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी, साथ ही राष्ट्रपति के पास दया याचिका भी दायर की गई। जुलाई 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने, बाद में राष्ट्रपति ने भी याचिका को खारिज कर दिया। वैसे बेशक डैथ वारंट तो जारी हो गया है पर अब भी वह सुप्रीम कोर्ट में नई पुनर्विचार याचिका दाखिल कर अपनी मौत की तारीख पर फिर रोक लगवा सकता है। डैथ वारंट जारी होने की सूचना मिलने के बावजूद कोली के व्यवहार में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। यह सजायाफ्ता अपराधी अब अपनी मौत की घड़ियां गिन रहा है। सूली पर लटकाए जाने से पहले कोली की कोई अंतिम इच्छा नहीं है। दुख की बात यह है कि सुरेन्द्र कोली को देश को झकझोर देने वाले कांड पर कोई पछतावा नहीं है। सलाखों के पीछे वह सात साल आठ महीने से ज्यादा का समय गुजार चुका है। जेल विभाग के महानिरीक्षक आरआर भटनागर ने बताया कि कोली को सात से 12 सितम्बर के बीच किसी भी दिन फांसी दी जाएगी। पवन नामक जल्लाद द्वारा फांसी पर चढ़ाए जाने की संभावना है। मेरठ जेल में 39 साल बाद किसी को फांसी होगी। वहां अंतिम फांसी 1975 में मुजफ्फरनगर के कर्ण सिंह को हुई थी। कोली को यदि फांसी होती है तो मेरठ जेल में यह 18वीं फांसी होगी। कोली के डैथ वारंट जारी होने की खबर से निठारी कांड के पीड़ित परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई है। हालांकि जो लोग इस कांड में शिकार हुए हैं उनकी वापसी तो नहीं हो सकती, मगर उनकी आत्मा को शांति जरूर मिलेगी। सुरेन्द्र कोली को फांसी मिलने के बाद ही मेरे बच्चों को न्याय मिलेगा यह कहना है झब्बूलाल पीड़ित का। मोनिंदर सिंह पंधेर को भी फांसी होनी चाहिए। जब दोनों दोषी फांसी के फंदे पर लटकेंगे तभी बच्चों की आत्मा को शांति मिलेगी। एक और पीड़ित पप्पू का कहना है कि न्याय मिलने में देर लगी है लेकिन यह बच्चों के हक में दिया गया फैसला है। सुरेन्द्र कोली को फांसी मिलना ही बच्चों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मेरा बेटा अब कभी लौटकर नहीं आ सकता, लेकिन इन दोनों को फांसी की सजा मिलने से मन को सुकून जरूर मिलेगा।

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