Saturday, 6 September 2014

दांव पर रंजीत सिन्हा और सीबीआई की प्रतिष्ठा व निष्पक्षता

2जी स्पेक्ट्रम और कोयला घोटालों की जांच कर रही सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा पर लगे आरोपों और विवाद ने कई बड़े सवाल पैदा किए हैं। सिन्हा के मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली है। उनका दावा है कि रंजीत सिन्हा ने अपने पद का दुरुपयोग किया है। वह 2जी घोटाले के आरोपियों व आरोपी कम्पनी के अधिकारियों से लगातार मुलाकात करते रहे हैं। यहां तक कि अपने सरकारी घर में उन्होंने तमाम आरोपियों से भी दर्जनों बार मुलाकात की। इसके रिकार्ड उनके घर में विजिटर डायरी में भी दर्ज हैं। इन डायरियों के दस्तावेज याचिकाकर्ता ने अदालत में पेश किए। इतना ही नहीं, प्रशांत भूषण ने सीबीआई डायरेक्टर की निजी डायरियों की कॉपियां भी प्रस्तुत की। विजिटर डायरियों में तमाम ऐसे खुलासे हुए हैं जिनको लेकर सीबीआई डायरेक्टर की नीयत पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत रिकार्ड के मुताबिक पिछले 15 महीनों के कार्यकाल में सिन्हा ने अपने घर पर उद्योगपति अनिल अम्बानी से पांच बार मुलाकात की जबकि उनकी एक कम्पनी 2जी घोटाले में आरोपी है। इस कम्पनी के आला अधिकारी जेल भी जा चुके हैं इसी घोटाले को लेकर। इसमें सबसे सनसनीखेज जानकारी तो मीट के कारोबारी मुईन कुरैशी की मुलाकातों की है। 15 महीने में सिन्हा 90 बार उनसे मुलाकात कर चुके हैं। उल्लेखनीय है कि जनवरी महीने में कुरैशी की कम्पनियों और घर पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी। इस छापेमारी में आयकर विभाग को करोड़ों रुपए के अवैध लेन-देन के लिंक मिले थे। प्रशांत भूषण ने तमाम दस्तावेजों को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है। इस मामले में बृहस्पतिवार को सुनवाई होनी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे टाल दिया है। अब सोमवार को इस पर सुनवाई होगी। बृहस्पतिवार को याचिका की सुनवाई के दौरान रंजीत सिन्हा को तगड़ा झटका तब लगा जब कोर्ट ने रंजीत सिन्हा की इस मांग को कि इस केस के बारे में कुछ भी समाचार इत्यादि को मीडिया में प्रसारित करने पर रोक लगाई जाए, स्वीकार नहीं की। न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि निदेशक के निवास पर आगंतुक रजिस्टर से उठे सवाल बहुत ही संवेदनशील हैं और आशा की जाती है कि मीडिया जिम्मेदारी से काम करेगा। न्यायालय ने आगंतुक रजिस्टर की सूची का विवरण प्रकाशित करने से मीडिया को रोकने का रंजीत सिन्हा के वकील का अनुरोध ठुकरा दिया। जांच ब्यूरो के निदेशक के वकील का तर्प था कि इससे उनके निजता के अधिकार और प्रतिष्ठा का हनन होता है। इस पर न्यायाधीशों ने कहाöहमारा इस (प्रेस) पर कोई नियंत्रण नहीं है। प्रशांत भूषण ने मांग की है कि 2जी घोटाले की जांच से सिन्हा को अलग किया जाए। उनके पद  पर रहते हुए निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती जबकि सिन्हा ने कहा है कि उन्हें नहीं मालूम कि कारपोरेट घरानों की आपसी प्रतिस्पर्धा में उन्हें निशाना बनाया जा रहा है या किसी वजह से कुछ  लोग उन्हें टारगेट कर रहे हैं। सिन्हा ने दावा किया कि जो विजिटर रजिस्टर व डायरी प्रचारित की जा रही है वह फर्जी है। उनकी कथित निजी डायरियां भी फर्जी हैं। उनका दावा है कि उनके घर जो मेहमान आते हैं उनकी रजिस्टरों में एंट्री नहीं होती। इंटरकॉम के जरिए ही सुरक्षा गार्ड सूचना देता है। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि वह अनिल अम्बानी व कुरैशी से मिले थे लेकिन उनके संबंधित किसी भी मामले में उन्होंने इनका बचाव नहीं किया। ऐसे में उनकी नीयत पर सवाल नहीं खड़े किए जाने चाहिए। रंजीत सिन्हा का कार्यकाल आगामी तीन दिसम्बर को समाप्त होना है। सिन्हा ने दो साल के लिए तीन दिसम्बर 2012 को यह पद संभाला था। चूंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, इस पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा। अब सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को आगे क्या होता है बहुत-सी बातें निर्भर करती हैं। प्रशांत भूषण को यह साबित करना होगा कि रंजीत सिन्हा ने अनिल अम्बानी व मुईन कुरैशी को चल रही कानूनी कार्यवाही में बचाने के लिए केस कमजोर किया तब तो आरोपों में दम नजर आएगा। घर पर किसी से मिलना अपराध नहीं है पर अगर इस मुलाकात से केस में कमजोरी आई तो मामला गंभीर बनता है। उल्लेखनीय है कि घोटाले की जांच कर रहे डीआईजी संतोष रस्तोगी को इन्हीं परिस्थितियों में हटाया गया था अब सिन्हा से जुड़ा यह नया मामला सामने आया है, वह भी तब जबकि इस मामले से सिन्हा को अलग रखने की अर्जी लंबित है। मालूम हो कि रस्तोगी को जांच से हटाने के बाद सिन्हा पर मामले में कुछ प्रभावशाली आरोपियों को बचाने के आरोप लगे। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रस्तोगी को जांच टीम में बनाए रखा है। अब दांव पर है रंजीत सिन्हा की और सीबीआई की प्रतिष्ठा व निष्पक्षता।

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