Thursday, 18 September 2014

सीटों के बंटवारे पर भाजपा-शिवसेना में टकराव

राजग के दो सबसे पुराने घटक दलों शिवसेना और भाजपा के बीच महाराष्ट्र विधानसभा सीटों के बंटवारे व मुख्यमंत्री पद को लेकर रार बढ़ती दिखाई दे रही है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक एक महीने पहले सीट बंटवारे को लेकर तनातनी चिंताजनक है। शनिवार को शिवसेना के मुख पत्र सामना ने अपने संपादकीय में लिखा है कि ज्यादा लालच करने से रिश्ते टूट जाते हैं। यह दरअसल अपने सहयोगी भाजपा पर कटाक्ष था जो इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है जबकि शिवसेना इसके लिए राजी नहीं है। क्योंकि अब तक शिवसेना महाराष्ट्र में बड़े भाई की भूमिका में रही है। महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं। 2009 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना लड़ी थी 169 सीटों पर और उसके हाथ आई थीं 44 सीटें जबकि भाजपा लड़ी थी 119 और उसके उम्मीदवार 46 सीटों पर जीते थे। इस बार शिवसेना चाहती है कि गठबंधन की चार अन्य पार्टियों राष्ट्रीय समाज प्रकाश, शिव संग्राम पार्टी, शेतकारी संगठन और रामदास अठावले की आरपीआई पार्टी को 18-20 सीटें भाजपा अपने कोटे से दे जबकि भाजपा का कहना है कि पहले इन पार्टियों को एडजस्ट किया जाए और जो बाकी बची सीटें हैं उनमें आधी-आधी सीटों पर शिवसेना और भाजपा लड़े। शिवसेना इसके लिए तैयार नहीं। शनिवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक टीवी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर करते हुए जनता से एक मौका देने की अपील कर यह भी बता दिया कि झगड़ा सिर्प सीटों के बंटवारे का ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री पद के लिए भी है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि 15 अक्तूबर को होने वाले चुनाव में यदि भगवा गठबंधन सत्ता में आया तो महाराष्ट्र में शिवसेना का ही मुख्यमंत्री होगा। उद्धव ने कहा था कि यह लोगों को तय करना है कि क्या वह मुझ पर भरोसा करते हैं। वह तय करेंगे कि चेहरा (मुख्यमंत्री) कौन हो जबकि भाजपा के प्रभारी राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि चुनावों से पहले इस तरह (मुख्यमंत्री पद के  बारे में) का बयान नहीं देने की अपेक्षा की जाती है। चुनाव के बाद यह मुद्दा तय किया जाएगा। दरअसल कटु सत्य तो यह है कि स्वर्गीय प्रमोद महाजन और स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे के  बाद महाराष्ट्र भाजपा में एक ऐसा शून्य पैदा हो गया  है कि अभी तक भाजपा उससे संभल नहीं पाई। नतीजा यह है कि अभी तक भाजपा यह तय नहीं कर पाई कि महाराष्ट्र विधानसभा में उसका नेता कौन होगा? मुख्यमंत्री किसको बनाएगी। कुछ राज्यों में विधानसभा उपचुनावों में भाजपा को धक्का लगा है। इससे हम समझते हैं कि महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे को लेकर भी फर्प पड़ेगा। भाजपा केवल मोदी लहर पर भरोसा कर रही है और मोदी लहर अब धीमी पड़ती नजर आ रही है। दोनों दलों के गठबंधन की शुरुआत से ही यह फॉर्मूला चला आ रहा है कि विधानसभा चुनाव में जिस दल को अधिक सीटें मिलेंगी वही मुख्यमंत्री पद का दावेदार होगा। इसी दावे को मजबूत करने के लिए शिवसेना स्वयं 169 सीटों पर लड़कर भाजपा को 119 सीटें देती रही है। उद्धव ठाकरे का कहना है कि महाराष्ट्र में मोदी लहर नहीं चलने वाली। यह बिल्कुल हो सकता है कि भाजपा की स्थिति महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वह न रहे जो लोकसभा चुनाव के समय थी। शिवसेना के आक्रामक रवैये से हैरत में आई भाजपा ने भी रविवार को पलटवार करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में जीत होने की स्थिति में अगली सरकार भाजपा के नेतृत्व में बनेगी। घोटालों और भारी मतभेदों के कारण बदनाम हो चुकी राज्य की कांग्रेस-एनसीपी सरकार को भाजपा के साथ मिलकर सत्ता से बाहर करने का सुनहरा मौका है अगर जल्द भाजपा-शिवसेना का यह सीटों पर विवाद समाप्त हो। अब ज्यादा समय नहीं बचा। कहीं ऐसा ही न हो कि पानी सिर से गुजर जाए और जीती हुई पारी हार में बदल जाए?

-अनिल नरेन्द्र

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