Wednesday 10 September 2014

दिल्ली में सरकार बननी चाहिए, चुनाव से बचना चाहिए

अपनी-अपनी राय हो सकती है। मेरी राय में भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली में सरकार बनानी चाहिए। सरकार के बिना न तो कोई अफसर जवाबदेह है और न ही दिल्ली का विकास ही हो रहा है। विधायकों को सारी सुविधाएं मिल रही हैं और जनता लाचार है। चाहे मामला बिजली का हो, पानी का हो, कानून व्यवस्था का हो हर क्षेत्र में लापरवाही हो रही है। विधायक इसलिए परेशान हैं कि उनके काम नहीं हो रहे और वह किसी से शिकायत नहीं कर पा रहे हैं। छह महीने से ज्यादा समय हो गया है उपराज्यपाल शासन का। बेशक उपराज्यपाल नजीब जंग एक नेक आदमी हैं, ईमानदार और निष्पक्ष हैं पर तब भी दिल्ली को एक सरकार की जरूरत है। जहां तक अरविन्द केजरीवाल के ड्रामों का सवाल है हमने पहले बहुत देखे हैं। आज नैतिकता की दुहाई देने वाले केजरीवाल भूल गए जब उन्होंने अपने बच्चों की कसम खाई थी कि मैं न किसी से समर्थन लूंगा और न ही दूंगा। इसके बावजूद उन्होंने कांग्रेस की मदद से सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए। जब आपने सरकार बना ही ली थी तो फिर उसे चलाने में कोई दिक्कत नहीं थी पर जनलोकपाल का जबरन बहाना बनाकर आपने 49 दिन में ही इस्तीफा दे दिया और दिल्ली को लावारिस छोड़ दिया। अगर आप सरकार चलाते तो भी बात थी। पर आंकड़ों के खेल में सारा मामला उलझ गया है। स्टिंग जैसे ड्रामे करके केजरीवाल सरकार बनने से रोक रहे हैं। कभी कहते हैं दोबारा चुनाव होने चाहिए, कभी कहते हैं नहीं होने चाहिए। दिल्ली में अगर दोबारा चुनाव होते हैं तो बिना वजह एक तरफ महंगाई बढ़ेगी और दूसरी ओर इस बात की भी कोई गारंटी नहीं कि दोबारा चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत मिले। अगर फिर त्रिशंकु विधानसभा बनी तो क्या होगा? दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर भाजपा अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है। 15 साल बाद सत्ता के करीब पहुंचने के बावजूद भाजपा में बरकरार असमंजस को देखते हुए उपराज्यपाल नजीब जंग की भूमिका अहम हो गई है। साथ ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने उपराज्यपाल द्वारा सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के बाद विधायक दल का नेता चुनने की बात कर गेंद अब जंग के पाले में डाल दी है। विधायकी मामलों के एक जानकार के मुताबिक जंग के पास फिलहाल दो विकल्प हैं। पहला भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना और दूसरा विधानसभा की बैठक आहूत कर स्पीकर को संदेश भेजकर नेता सदन का चुनाव कराने को कहना। उनके मुताबिक लगातार जटिल होते हालात में विधानसभा के मार्पत सरकार के गठन की संभावनाएं खोजना सभी पक्षों के लिए मुफीद होगा। क्या है रास्ता ः एनसीटी एक्ट की धारा 9 के तहत उपराज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष को संदेश भेजकर नेता सदन का चुनाव कराने को कह सकते हैं। इसके तहत उपराज्यपाल के संदेश पर संबद्ध पार्टियां नेता सदन के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा कर सकती हैं। इस आशय के प्रस्ताव पर गुप्त मतदान होने की व्यवस्था को देखते हुए न तो पार्टियां व्हिप जारी कर सकती हैं और न ही बाद में बहुमत साबित करने की जरूरत होगी पर इस रास्ते में भी जोखिम है। भाजपा के लिए यह विकल्प जोखिम भरा है। क्योंकि गुप्त मतदान का जितना लाभ भाजपा को मिलने की उम्मीद है उस लाभ के हकदार अन्य दल भी हो सकते हैं। ऐसे में आप भी अगर अपना उम्मीदवार उतारती है तो विधायकों द्वारा उसे भी चुनने की आजादी होगी, साथ ही कांग्रेस के आठ और तीन निर्दलीय विधायक इस स्थिति में सदन से गैर हाजिर हुए बिना निर्णायक भूमिका निभाएंगे। हम चाहते हैं कि दिल्ली में जन प्रतिनिधि सरकार बननी चाहिए। जहां तक मैं समझता हूं कि मौजूदा विधायकों में लगभग सभी विधायक दोबारा चुनाव नहीं चाहते, क्योंकि इस बात की कोई गारंटी नहीं कि वह फिर से जीत कर आएंगे? जहां तक संभव हो सके दिल्ली की जनता पर दोबारा चुनाव का भार नहीं डालना चाहिए। भाजपा को आलोचकों की परवाह नहीं करनी चाहिए। पिछले लोकसभा चुनाव में सातों की सात सीट जीत कर दिल्ली की जनता ने भाजपा को अपना मैंडेट दे दिया है।

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