Thursday 13 August 2015

याकूब की फांसी की कवरेज पर 3 चैनलों को नोटिस

मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी से जुड़ी खबरों में पतिस्पर्धियों को पीछे छोड़ने की होड़ में कई चैनलों ने अपनी सीमाओं का ध्यान नहीं रखा कम से कम यह सोचना है केन्द्राrय सूचना व पसारण मंत्रालय का। दो चैनलें ने तो अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा शकील का फोन पर साक्षात्कार लिया जबकि एक चैनल ने मेमन के वकील की बेजा टिप्पणी पसारित की। इससे नाखुश सूचना एवं पसारण मंत्रालय ने तीन पमुख चैनलों को नोटिस जारी किया है। नोटिस में पूछा गया है कि क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। सरकारी सूत्रों ने कहा कि ऐसा पाया गया है कि इन न्यूज चैनलों की ओर से की गई कवरेज में यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि उनकी कवरेज ने पोग्राम कोड की धाराओं का उल्लघंन कैसे नहीं किया। पोग्राम कोड की धाराएं कहती हैं कि किसी अश्लील, मानहानिपूर्ण, जानबूझकर गलत और पेरित एवं आधे सच को दिखाने वाला कोई कार्यकम पसारित नहीं किया जाएगा। कोड की अन्य धाराओं के मुताबिक कोई ऐसा कार्यकम पसारित नहीं किया जाना चाहिए जिससे हिंसा को बढ़ावा मिलने की आशंका हो या उससे कुछ भी हो, जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ने या राष्ट्र विरोधी भावनाओं को बल मिलने का खतरा हो। एक अन्य धारा के मुताबिक चैनल ऐसा नहीं दिखा सकते जिससे राष्ट्रपति एवं न्यायपालिका की निष्ठा पर किसी तरह का आक्षेप लगता पतीत होता हो। सूचना एवं पसारण मंत्रालय की इकाई इलेक्ट्रानिक मीडिया मॉनिटरिंग सेंटर (ईएमएमसी) करीब 600 चैनलों की विषय वस्तु पर निगरानी करता है। जिन चैनलों को नोटिस भेजा गया है उनमें दो ऐसे हैं जिन्हेंने कथित तौर पर अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा शकील का फोन-इन-इंटरव्यू पसारित किया था। एक अन्य चैनल ने कथित तौर पर मेमन के वकील के बयान को पसारित किया था। भारत में न्यूज चैनलों के संपादकों की शीर्ष संस्था ने तीनों न्यूज चैलनों को जारी नोटिस पर आश्चर्य जताते हुए एक बयान में कहा है कि बीईए ने इस मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाने का निर्णय लिया है। बीईए ने केवल टेलीविजन नेटवर्प (संसोधन) नियम 2015 पर  भी चिंता जताई जिसमें आतंकवाद निरोधक अभियानों में मीडिया कवरेज को अभियान खत्म होने तक सिर्प सरकार की ओर से दी गई सूचनाएं पसारित करने तक सीमित कर दिया गया है। बीईए ने कहा कि आतंकवादी फरमानों के सीधे  पसारण में विश्वास नहीं रखता लेकिन इसका यह मानना है कि मीडिया कवरेज को सरकार की तरफ से सूचना दिए जाने तक सीमित नहीं किया जा सकता है। कई पत्रकार सगठनों ने इसकी निंदा की और इसे मीडिया को धमकाने की कोशिश बताया।

-अनिल नरेन्द्र

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