Wednesday 26 August 2015

हुर्रियत को न्यौता देकर पाक ने तोड़ी वार्ता ः अमेरिका

भारत-पाक एनएसए स्तर की बातचीत रद्द होने को लेकर भले ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा हो पर हम समझते हैं कि इसमें भी भारत की जीत हुई है। शायद ऐसा पहले कम हुआ है कि जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों को लेकर भारत-पाक वार्ता टूटी हो। इससे पाकिस्तान और विदेशों तक यह संकेत गया है कि वार्ता की दिशा और दशा भारत तय करेगा। हमें लगता है कि भविष्य के लिए भी यह भी तय हो गया है कि कश्मीर का फैसला मुट्ठीभर पाक परस्त अलगाववादी नहीं करेंगे और जरूरी हुआ तो भारत सरकार सख्त कदम उठाकर इसका इजहार भी कर सकती है। अमेरिकी विशेषज्ञों ने वार्ता रद्द होने का जिम्मा भी पाकिस्तान के सिर डाला है। वुडरो विल्सन इंटरनेशनल सेंटर जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के साउथ एशिया एसोसिएटेड कुगेलमैन ने कहाöपाक ने हुर्रियत नेतृत्व को आमंत्रण देकर वार्ता के पुल को ही ध्वस्त कर दिया। अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हक्कानी ने कहाöपाक का आचरण कश्मीर की ओर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने की उसकी पुरानी कोशिश के अनुसार ही था। न्यूयार्प टाइम्स शीर्षक कहता है कि पाकिस्तान ने रोक का हवाला देते हुए भारत से बातचीत रद्द की। खबर में लिखा है कि पाकिस्तान की भारत में कश्मीरी अलगाववादियों से मिलने की योजना को लेकर दोनों देशों में विवाद के चलते यह निर्णय हुआ। असहमति दोनों पक्षों पर भारी पड़ी क्योंकि दोनों ही वार्ता रद्द होने के लिए एक-दूसरे पर दोषारोपण करने की स्थिति में है। एलए टाइम्स की प्रतिक्रिया थीöपाकिस्तान की प्रभावशाली सेना ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को दरकिनार किए जाने का संकेत दिया। इससे नरेंद्र मोदी की सरकार में वार्ताओं को लेकर संशय हुआ। मोदी सरकार की एक बड़ी जीत का संकेत यह है कि खुद जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी उन दलों के भी निशाने पर आ गए हैं, जिनका रुख उनके प्रति नरम माना जाता था। कश्मीर में पीडीपी के साथ सरकार गठन के बाद से ही कुछ मुद्दों को लेकर उठते रहे सवालों में भाजपा और केंद्र सरकार भी घिरी रही थी। खासकर अलगाववाद के मुद्दे पर। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर पाकिस्तान बेनकाब हुआ। वैसे वार्ता का विरोध खुद भाजपा के अंदर भी कम नहीं था, खासकर आतंकी नावेद के पकड़े जाने के बाद। कुछ नेता तो खुलकर वार्ता रद्द करने की मांग करने लगे थे। विपक्षी पार्टियां भले ही वार्ता रद्द होने पर सरकार पर कुछ भी आरोप लगाएं पर हमारी राय में भारत सरकार की कूटनीतिज्ञ चालें सफल रहीं। भारत सरकार की चाल में पाकिस्तान खुद फंस गया और मात खा गया है। मोदी सरकार ने सांप भी मार दिया और लाठी भी नहीं टूटी। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और भारत के एनएसए अजीत डोभाल को जाता है।

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