Wednesday, 19 August 2015

शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस को करारा जवाब दिया

मध्यप्रदेश में व्यापमं घोटाले और उससे जुड़ी करीब 49 मौतों के चलते सियासी मुश्किलों का सामना कर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नगर निकाय चुनावों के नतीजों ने थोड़ी ताकत दे दी है। रविवार को आए नतीजों में भाजपा ने 10 में से आठ निकायों में कामयाबी हासिल की है। भाजपा ने कांग्रेस से आठ सीटें छीन लीं जबकि कांग्रेस एक ही सीट बचा पाई। अब राज्य के 16 नगर निगमों पर भाजपा का ही कब्जा है। कहने को तो यह 10 निकायों का चुनाव था, लेकिन भाजपा इसे शुरू से ही प्रतिष्ठा का सवाल मानकर लड़ रही थी। खासकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव की तारीखें आते ही जी-तोड़ मेहनत की। वह सभी जगह ऐसे घूमे, प्रचार किया मानो स्वयं मैदान में हों। मंत्रियों की भी ड्यूटियां लगाईं। घोटाले पर सियासी बढ़त लेने के प्रयास में जुटी कांग्रेस के हिस्से में सिर्प एक ही निकाय आया। एक निर्दलीय के कब्जे में चला गया। ये चुनाव बृहस्पतिवार को हुए थे। उज्जैन व मुरैना नगर निगम में फिर भाजपा का डंका बजा। इससे पहले 14 निगमों में हुए चुनावों में भाजपा पहले ही जीत चुकी है। इस तरह मध्यप्रदेश के सभी 16 निगमों पर भगवा झंडा फहरा गया। यदि कांग्रेस बेहतर नतीजे ले आती तो वह इसे व्यापमं घोटाले से जोड़ कर मुख्यमंत्री की दिक्कतें और बढ़ाने का काम करती या उनके इस्तीफे की मांग को तेज कर देती। बिहार चुनाव से ठीक पहले आए इन नतीजों से भाजपा के हौंसले बुलंद हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश भाजपा को जीत की मुबारकबाद देकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं। वहीं बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आए इन परिणामों से कांग्रेस कमजोर हुई है। यूएई के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शिवराज सिंह चौहान को बधाई देना नहीं भूले और कहा कि राज्य के निकाय चुनाव के नतीजे खुश कर देने वाले हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और भाजपा का खुश होना स्वाभाविक भी है। आखिर इसी व्यापमं घोटाले को लेकर कांग्रेस ने संसद के मानसून सत्र में कोई कामकाज नहीं होने दिया। हालांकि घोटाला सामने आने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने ही उसकी एसआईटी के जांच के आदेश दिए थे। हाई कोर्ट ने भी माना था कि एसआईटी जांच ठीक दिशा में हो रही है और उसने सीबीआई जांच का आदेश देने से भी इंकार कर दिया था। लेकिन कांग्रेस ने संसद से लेकर सड़क तक ऐसा शोर मचाया मानो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भ्रष्टाचारी और अपराधी हैं, बिना न-नुक्कर किए शिवराज ने भी उसकी सीबीआई जांच के आदेश दे दिए ताकि दूध का दूध-पानी का पानी हो सके। व्यापमं और कांग्रेस और उसके नेताओं का जिक्र किए बिना शिवराज ने ट्विट कियाöयह नकारात्मक राजनीति करने वालों को जनता का संदेश है।

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