Wednesday 5 August 2015

जनाजा एक आतंकवादी का

आतंकवादी, देशद्रोही याकूब मेमन के जनाजे में उमड़े लाखों लोगों को देखकर मुझे हैरानी और परेशानी दोनों हुईं। सैकड़ों निर्दोषों को मारने वाला याकूब अगर इनका रोल मॉडल है तो हमारे देश के लिए चिंता का विषय है। शिवसेना ने याकूब मेमन के प्रति हमदर्दी दिखाने वालों के खिलाफ देश के शत्रु होने के मामले में मुकदमा चलाने की मांग की है। पार्टी ने सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि 1993 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों का दोषी याकूब लोगों की नजरों में शहीद न बनने पाए। शिवसेना ने कहा कि 1993 में हुए बम विस्फोटों के पीड़ितों की आत्मा को तभी शांति मिलेगी जब इन विस्फोटों के मुख्य षड्यंत्रकारी और मास्टर माइंड टाइगर मेमन और दाऊद इब्राहिम को देश में वापस लाकर फांसी दी जाएगी। शिवसेना ने पार्टी के मुख पत्र सामना में छपे संपादकीय में कहा कि करीब 40 लोगों ने याकूब मेमन के प्रति दया दिखाने की मांग करते हुए राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। इन लोगों ने मुंबई हमलों में अपने किसी करीबी को नहीं खोया है इसलिए वे दया दिखाने की मांग कर रहे थे। सीबीआई के पूर्व प्रमुख जोगिंदर सिंह ने आतंकवादियों के लिए मौत की सजा का समर्थन करते हुए आरोप लगाया है कि याकूब मेमन को 1993 बम ब्लास्ट मामले में उसकी भूमिका के लिए फांसी दी गई। उन्होंने कहा कि याकूब मेमन का मामला यह दिखाता है कि आतंकवादी भारत के उदार कानूनों का दुरुपयोग करने के लिए किस तरह प्रत्येक मौके का इस्तेमाल करते हैं। सिंह ने मेमन का खुला और मौन समर्थन करने वालों को आड़े हाथ लेते हुए सरकार को आगाह किया कि वह ऐसे लोगों की परवाह न करें। उन्होंने कहा कि अधिकतर भारतीय चाहे किसी भी धर्म के हों, सरकार का समर्थन करेंगे यदि वह यह संप्रेषित कर सकें कि उसका सिर्प काम करने से मतलब है। त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय एक ट्विट कर विवादों में घिर गए हैं। उन्होंने गत शुक्रवार को ट्विट कर याकूब मेमन के जनाजे में शामिल कुछ लोगों के आतंकवादी होने का अंदेशा जताया और सुरक्षा एजेंसियों से इन पर निगाह रखने को कहा। रॉय ने ट्विट कर कहा कि खुफिया एजेंसियों को याकूब मेमन के जनाजे में शामिल लोगों (परिजनों और करीबी दोस्तों के अलावा) पर नजर रखनी चाहिए। कई आतंकवादी हो सकते हैं। याकूब की फांसी पर सियासत चमकाई जा रही है। धर्म के नाम पर फांसी दिए जाने के तर्प गढ़े जा रहे हैं। इनमें सियासी दल तो हैं ही, कई नामी वकील भी हैं। रिटायर्ड जज से लेकर कई नौकरशाह भी शामिल हैं। इन मुद्दों पर याकूब के केस से सबसे ज्यादा जुड़े रहे वरिष्ठ वकील उज्जवल निकम ने कहा कि कानून सिर्प गुनाह देखता है, धर्म नहीं। जो ऐसी बातों को बढ़ावा दे रहे हैं वो देश की धर्मनिरपेक्षता को धोखा दे रहे हैं। आतंक का धर्म नहीं होता। फांसी की तारीख सामने आते ही मीडिया में बहस छिड़ गई। देश में ऐसा माहौल बन गया है कि जांच एजेंसी, प्रॉसीक्यूशन और अदालत के फैसलों पर सवाल उठने लगे हैं। न्याय की बुनियाद न केवल दिखना चाहिए बल्कि महसूस भी होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी शायद यही सोचा होगा इसलिए आधी रात तक सुप्रीम कोर्ट खुली रही। फैसले से देश और दुनिया को दिखा दिया कि हमारे यहां न्याय के दरवाजे 24 घंटे खुले रहते हैं। आतंकी के लिए भी आधी रात को न्याय मांगा जा सकता है। इस सवाल पर कि याकूब ने धमाके तो किए नहीं? निकम का  जवाब था ः टाडा कोर्ट ने 12 को फांसी की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने बम प्लांट करने वाले 11 की फांसी उम्रकैद में बदल दी। सिर्प साजिश रचने वाले याकूब की सजा बरकरार रखी। बम रखने वाले 11 लोग इसे काला साबुन ही कहते थे। लेकिन याकूब को पता था कि बम विस्फोटों से कितना विध्वंस मचेगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 792 पेज के फैसले में केवल याकूब मेमन की भूमिका पर लगभग 300 पेज लिखे हैं। भले ही 1993 बम धमाकों की साजिश टाइगर मेमन और दाऊद ने रची हो लेकिन प्रमुख किरदार याकूब ने अदा किया। उसी ने धमाके में शामिल अन्य लोगों को गोला-बारूद, हथियार, डेटोनेटर्स आदि सप्लाई किए और लोगों से धमाकों के लिए 21.90 लाख रुपए भी इकट्ठा किए। कौन कहां बम रखेगा इसकी पूरी योजना तय करने के बाद अपने परिवार के साथ कराची फरार हो गया। गोला-बारूद मुंबई में पहुंचने के बाद यहां से कुछ लोगों को दुबई के जरिए पाकिस्तान ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। इसमें जावेद चिकना और याकूब मेमन शामिल थे। वापस लौटने पर टाइगर मेमन ने मुंबई के ताज होटल में बैठक की और सभी को डेढ़ दर्जन स्थानों की रेकी करने को कहा। याकूब ने रेकी के बाद बम प्लांट करने के लिए तीन स्कूटर, एक कमांडर जीप, दो अम्बेसडर कार और मारुति वैन खरीदी। उसके बाद सात मार्च को उसने अपने गुर्गों को बम प्लांट कहां करना है इसकी जानकारी दी। मुंबई पुलिस ने बम धमाके के दिन एक वैन पकड़ी थी जो विस्फोटों से भरी थी। हालांकि उसमें धमाका नहीं हो पाया था। जांच में पता चला कि यह वैन रुबीना मेमन के नाम पर थी जो याकूब मेमन की भाभी है। जब पुलिस उसके घर पहुंची तो पता चला कि पूरा परिवार एक दिन पहले ही देश छोड़कर चला गया है। जब इस मामले की गहराई से छानबीन हुई तो मेमन परिवार और विशेषकर टाइगर और याकूब मेमन के इस धमाके में शामिल होने के पुख्ता सबूत मिले। बड़े दुख की बात है कि एक आतंकी, देशद्रोही के जनाजे में इतने लोग शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में इतने मौके शायद ही किसी और अपराधी को मिले हों जितने याकूब मेमन को दिए गए। इसके बावजूद जो लोग याकूब से अन्याय की बात करते हैं उनकी नीयत पर शक होता है।

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