Thursday 13 August 2015

यादव सिंह मामले से बौखलाहट

नोएडा के तीन-तीन पाधिकरणों के इंजीनियर इन चीफ के कार्यभार से नवाजे गए अरबों की काली कमाई और घपले-घोटालों के आरोपी यादव सिंह के विरुद्ध सीबीआई जांच को लेकर जिस तरह उत्तर पदेश सरकार में घबराहट है उसकी वजह समझ में नहीं आती। इस मुद्दे पर उसे सुपीम कोर्ट में भी लानत-मलामत झेलनी पड़ी जिसने खुद इस बेचैनी का कारण पूछ लिया। सुपीम कोर्ट ने शुकवार को किसी दूसरी एजेंसी को मामला सौंपने के लिए उत्तर पदेश सरकार की याचिका खारिज करते हुए कहा कि सीबीआई जांच पर तो आपको खुश होना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हमारी नजर में इस मामले की सीबीआई जांच जरूरी है। इसलिए केंद्रीय एजेंसी को जांच करने दीजिए। उत्तर पदेश सरकार की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि यह मामला अभी न्यायिक आयोग के पास है। इसलिए राज्य सरकार सीबीआई जांच के पक्ष में कतई नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई जांच के जरिए राज्य सरकार को अस्थिर करने का पयास किया जाएगा। सुपीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला प़ढ़ने के बाद हमें लगता है कि वह पूरी तरह न्यायोचित है। जिस समय आप व्यापमं की जांच सीबीआई से कराने की मांग लेकर आए थे उस समय हमने वह मामला भी इसी एजेंसी को सौंपा था। कपिल सिब्बल ने कहा कि आप जानते हैं कि सीबीआई एक तोता है। इस पर पीठ ने कहा, हम ऐसा नहीं मानते, सीबीआई पर लोगों को विश्वास है। आप परेशान न हों। यादव सिंह फरार हैं। उनके विदेश भागने का अंदेशा है। आरोप है कि यादव ने विदेश में पूंजी बना रखी है और अब उसकी लोकेशन भी नहीं मिल रही है। आने वाले दिनों में सीबीआई यादव सिंह के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी कर सकती है। यादव सिंह को निलंबित होने के कुछ दिन बाद से ही नहीं देखा गया। न तो पुलिस को उसकी लोकेशन का पता है और न ही उसके खास मिलने-जुलने वालों को। सीबीआई द्वारा यादव कुनबे के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज कर 16 ठिकानों पर छापामारी के दौरान भी वह किसी टीम को नहीं मिला। यादव सिंह की अकूत संपत्तियों की चर्चा भले ही चल रही हो लेकिन 10 अपैल 2015 को यादव ने हाई कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया है उसमें उसके पास 1982 में नोएडा पाधिकरण से मिला 115 वर्ग मीटर का घर है। यादव का दावा है कि वह किसी भ्रष्टाचार में शामिल नहीं हैं और उसकी पत्नी के नाम कुसुम गारमेंट नामक एक फर्म है। अरबों के घोटाले उजागर होने के बाद से गायब यादव सिंह कभी मायावती की आंख के तारे रहे हैं। शुरुआत में सपा सरकार की आंख की किरकिरी बने थे। उसकी शिकायत पर यादव सिंह का निलंबन हुआ था फिर रातों रात सकिय हुई इंजीनियर लॉबी ने पता नहीं कैसे उसे सपा की गोद में बैठाने में सफलता पाई? इसके बाद यादव सिंह को मिस्टर थटी परसेंट की उपाधि से नवाजा गया। यह अवर अभियंता स्तर का कर्मचारी एक साथ तीनों पाधिकरणों का इंजीनियर इन चीफ  बना दिया गया। फिर ठेका-पत्ती में कमीशन, हिस्सेदारी के अलावा उसने कथित तौर पर फजी कंपनियों के नाम पर जमीन का जो धंधा शुरू किया वह अरबों तक जा पहुंचा। अब जब अदालतों की सख्ती से वह घिर गया है तो पदेश सरकार में बेचैनी हो रही है। खुद सपा मुखिया ने लखनऊ में बिना नाम लिए कहा कि कांग्रेस की तरह भाजपा भी सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है और विरोधियों को परेशान करने में लगी है। और इंतहा तो तब हो गई जब राज्य सरकार सीबीआई जांच का विरोध करने सुपीम कोर्ट पहुंच गई जहां उसकी याचिका तो खारिज हुई ही साथ-साथ डांट और पड़ गई। अगर सही मायने में यादव सिंह की जांच हुई तो निश्चित रूप से कई बड़ी हस्तियां फंसेगी। इस स्तर का घोटाला बिना राजनीतिक संरक्षण के संभव ही नहीं।

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