Sunday 23 August 2015

डेंगू की रोकथाम के लिए जागरुकता जरूरी है

बरसात के मौसम में मच्छरों के काटने से पैदा होने वाले डेंगू, जापानी बुखार, चिकनगुनिया और मलेरिया आदि रोग सालाना चक्र बन गए हैं। अकेले दिल्ली में ही इस वर्ष अब तक डेंगू पीड़ितों की संख्या 277 हो चुकी है। कई मौतें भी हो चुकी हैं। हर बार बरसात शुरू होने से पहले इन बीमारियों से सावधान रहने के लिए कहा जाता है मगर स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। विचित्र बात यह है कि इन बीमारियों से निपटने के लिए जहां व्यावहारिक कदम उठाए जाने चाहिए, सियासी दल एक-दूसरे पर दोषारोपण कर सियासी लाभ उठाने का प्रयास करते देखे जाते हैं। अभी कांग्रेस के नेता आम आदमी पार्टी की सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि वह मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए समुचित उपाय नहीं कर रही। हालांकि इससे पहले कांग्रेस सरकार के समय इस समस्या ने कम भयावह रूप नहीं अख्तियार किया था। दिल्ली सरकार के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के करीब एक दर्जन प्रशिक्षु डाक्टरों और अर्द्ध सैनिक बलों के कई जवानों का डेंगू की चपेट में आना और भी चिन्ताजनक है। यह इस बात का सबूत है कि न तो मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और न ही अर्द्ध सैनिक बलों के कैम्पों में साफ-सफाई का उचित प्रबंध है। सबसे हैरानी की बात यह है कि जिस संस्थान के पास लोगों का इलाज करने की जिम्मेदारी है, उसी के परिसर में डेंगू के मच्छर पनप रहे हैं और उसे इसकी भनक तक नहीं है। बहुत से लोगों को यह जानकारी नहीं है कि डेंगू मच्छर से बचाव हो सकता है। सफेद-काले रंग का यह मच्छर नीचे उड़ता है और अमूमन लातों पर ही काटता है। इसलिए बच्चों को जब पार्कों इत्यादि में भेजें तो उनके पांव में ओडोमोस प्रे या आजकल पैच चल रहे हैं वह लगा दें। इनकी खुशबू से डेंगू, चिकनगुनिया मच्छर नजदीक नहीं आ सकेंगे। हालांकि डेंगू का संक्रमण हो भी रहा है पर लोगों में घबराहट ज्यादा है। जबकि इसके गंभीर होने की आशंका केवल एक फीसद होती है और अगर लोगों को खतरे की जानकारी हो तो जान जाने से बचाई जा सकती है। अगर डेंगू के मरीज के प्लेटलेट्स काउंट 10,000 से ज्यादा हो तो प्लेटलेट्स चढ़ाने (ट्रांसफ्यूजन) की कोई जरूरत नहीं होता। अनुचित प्लेटलेट्स नुकसान कर सकते हैं। डेंगू बुखार चार किस्म के डेंगू वायरस के संक्रमण से होती है जो मादा ऐडिस मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू बुखार में तेज बुखार के साथ नाक बहना, खांसी, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों के दर्द और त्वचा पर हल्के रैश (दाने अथवा चकते) होते हैं। हालांकि कुछ बच्चों में लाल और सफेद निशानों के साथ पेट खराब, जी मिचलाना, उल्टी भी हो सकती है। आप भी सरकार की मदद करें। आपके घर में कोई गंदगी न रहे, पानी इकट्ठा न होने दें, कूलरों में पानी बदलते रहें, मौहल्लों में मच्छररोधी दवाओं का नियमित छिड़काव करें। आने वाले दिनों में जब तापमान में थोड़ी कमी आएगी उस वक्त डेंगू के लिए जिम्मेदार ऐडिस मच्छरों का प्रजनन बढ़ेगा। इसलिए जरूरी है कि सभी लोग आज से ही चेत जाएं और बचाव की तैयारी करें। साथ ही लोगों के बीच जागरुकता फैलाएं।

-अनिल नरेन्द्र

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