Tuesday 11 August 2015

एक बदनसीब पाकिस्तानी बाप की पीड़ा

उधमपुर हमले में जिंदा पकड़े गए लश्कर--तैयबा के आतंकी मोहम्मद नावेद उस्मान उर्प कासिम को अपनी आदत के मुताबिक अपना मानने से इंकार करने वाले पाकिस्तान को तुरन्त बाद ही मुंह की खानी पड़ी जब पाकिस्तान के ही एक शख्स ने सामने आकर खुद को कासिम का पिता बता दिया। पाप का घड़ा फूटता है तो कुकर्मों का लेखा अपने आप बाहर आ जाता है भले ही उसे रोकने के लिए लाख चालबाजियां खेली जाएं। मोहम्मद नावेद उस्मान उर्प कासिम को पाकिस्तान पहचानने तक से इंकार कर रहा था कि खुद उसके बाप ने बेटे की शिनाख्त कर दी। मीडिया से बातचीत में पाक निवासी मोहम्मद याकूब ने कहा कि वह हमलावर कासिम का बदनसीब बाप है। मालूम हो कि 2008 के मुंबई हमले के दौरान जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब को भी इसी तरह पाकिस्तान ने अपना नागरिक मानने से इंकार कर दिया था लेकिन मीडिया में उसके परिवार के सामने आने के बाद उसे रुख बदलने पर मजबूर होना पड़ा था। विडंबना देखिए कि बाप उस देश से अपने नालायक बेटे को बचाने की फरियाद कर रहा है जहां वह निर्दोषों के खून की होली खेलने पहुंचा था। मोहम्मद याकूब ने कहा कि लश्कर--तैयबा के आतंकी चाहते थे कि मेरा बेटा (कासिम) मारा जाए और जिंदा न पकड़ा जाए। मगर अब हमारी जान को खतरा है। हमें मार दिया जाएगा। मैं बदनसीब बाप हूं। लश्कर और पाकिस्तानी फौज हमारे पीछे पड़ी है। वहीं इससे पहले पाक के विदेश विभाग के प्रवक्ता सैयद काजी खलीलुल्लाह ने आतंकी के पकड़े जाने पर कहाöहमने मीडिया में ऐसी रिपोर्ट देखी है और मैं इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठन सबूत मिटाने के नाम पर किसी हद तक जा सकते हैं। पाक ने कारगिल में सैकड़ों की तादाद में हलाक अपनी ही सेना के जवानों को अपनाने से इंकार कर उसने उन अभागों को जब अपने देश की मिट्टी नसीब नहीं होने दी, मुंबई में जिंदा पकड़े गए अजमल कसाब को जब वह चौंधियाते सबूतों की रोशनी में भी नहीं पहचान सका तब इस मामले में ही सच क्यों कबूलेगा? सरकार को तो छोड़िए पाक मीडिया तक ने प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया। नावेद उस्मान उर्प कासिम के जिंदा पकड़े जाने को लेकर जब भारतीय चैनलों, समाचार पत्रों ने इस बारे में सवाल दागे तो उन्होंने जवाब देने के बजाय फोन ही रख दिया। वहीं कुछ पत्रकारों ने तो फोन रिसीव करना ही मुनासिब नहीं समझा। पाक के कुछ प्रगतिशील पत्रकारों ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि कासिम का पाक से रिश्ता कोई भी स्वीकार नहीं करेगा। पाक के प्रसिद्ध पत्रकार हफीज चामड़ से जब पूछा गया कि पाक मीडिया में जिंदा पकड़े गए आतंकी की खबर को तरजीह नहीं दी गई तो उन्होंने साफ शब्दों में कहाöयहां तो खामोशी छाई है और आप किसी से बात करेंगे तो लोग यही कहेंगे कि जरूर इसमें भारत की कोई साजिश रही होगी। एक और बड़े पत्रकार एहतेशाम उल हक ने कहा कि छोड़िए भी इन बातों को, लेकिन सबसे बड़ी बदकिस्मती तो यह है कि जब भी बातचीत की पहल होती है, कोई न कोई मसला आ जाता है रुकावट के लिए। हमें भी पाकिस्तान पर तोहमत लगाने और धमकियां देने में समय जाया करने की जगह अपने उपायों पर केंद्रित होना चाहिए। जिंदा गिरफ्तार इस आतंकी से एक से एक सनसनीखेज जानकारियां मिल रही हैं जिनका अगर भारत सटीक इस्तेमाल करे तो पाकिस्तान तमाम दुनिया के सामने बेनकाब हो जाएगा। पाक सेना और इन जेहादी संगठनों को लगता है अब निशाना जम्मू और पंजाब बन चुका है। जम्मू-पठानकोट हाइवे पर इसी साल अनेक हमले हो चुके हैं। जम्मू-कश्मीर को देश की मुख्य भूमि से जोड़ने वाली इस इकलौती जीवन रेखा पर सेना के दर्जनों कैंप और छावनी हैं और इसके इर्द-गिर्द बसने वाली आबादी मुख्यत हिन्दू है। अमरनाथ यात्रा पर निकलने वाले तीर्थयात्रियों का जत्था भी इसी राजमार्ग से निकलता है। आतंकी को जिंदा पकड़ने के बाद यह पता चलना कि वह डेढ़ महीने से कश्मीर में था, का मतलब साफ है। हमारे देश में इन जेहादियों के कई हमदर्द बैठे हैं जो हर तरह से इनकी मदद करते हैं। आस्तीन के इन सांपों को पहचानना और काबू में करना हमारी तत्काल की चुनौती है। मोहम्मद नावेद उर्प कासिम के पिता पाक निवासी मोहम्मद याकूब की खतरनाक स्थिति समझी जा सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि पाक सेना और लश्कर किसी भी हद तक जा सकते हैं।

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