Sunday, 2 August 2015

बजरंगी भाईजान और पाकिस्तानी अवाम

शुक्रवार को ईटीवी (उर्दू) चैनल पर एक परिचर्चा में मैंने भाग लिया। मुद्दा था बजरंगी भाईजान व भारत-पाक दोस्ती। परिचर्चा में मैंने कहा कि मुझे बजरंगी भाईजान बहुत अच्छी लगी। मेरी राय में यह सलमान खान की सबसे अच्छी फिल्म है। इससे पहले मुझे एक था टाइगर भी बहुत अच्छी लगी थी। इस पिक्चर में कई बातें हैं जो तमाम जनता को बहुत पसंद आई हैं तभी तो पिक्चर 400 करोड़ रुपए से ज्यादा का बिजनेस करने जा रही है। हालांकि भारत-पाक रिश्ते हमेशा एक निहायत मुश्किल विषय होता है पर जिस खूबसूरती से फिल्म के डायरेक्टर ने दोनों देशों की अवाम की सोच को दर्शाया है वह काबिले तारीफ है। पिक्चर में दोनों को करीब लाने की कोशिश की गई है, कोई कटुता नहीं होने दी। यह ऐसी फिल्म है जिसमें सलमान खान ने अपनी कमीज उतारकर हीरोइन के साथ नाच-गाना नहीं किया। बड़ी मैच्योर एक्टिंग की है सलमान ने। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने तो कमाल की एक्टिंग की है। यह सलमान का बड़प्पन है कि उन्होंने नवाजुद्दीन का रोल काटा नहीं और उन्हें अपना पूरा जौहर दिखाने का मौका दिया। छह साल की गूंगी लड़की शाहिदा ने भी बहुत अच्छी एक्टिंग की है। यह फिल्म बजरंगबली के भक्त पवन कुमार चतुर्वेदी (सलमान) की कहानी है, जो छह साल की एक गूंगी पाकिस्तानी बच्ची को उसके गांव तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए भारत से पाकिस्तान आता है। इस फिल्म के पाकिस्तान में रिलीज होने पर बहुत विवाद था। कठमुल्लों ने फिल्म के रिलीज होने पर बहुत एतराज किया था पर सैंसर बोर्ड ने फिल्म देखकर कहा कि फिल्म में कुछ भी एतराज वाली बात नहीं है और इसे रिलीज करने की इजाजत दे दी। बजरंगी भाईजान का खुमार पाकिस्तान के दर्शकों पर कुछ इस कदर छाया है कि इस फिल्म के प्रदर्शन के 10 दिन बाद भी लोगों की भीड़ इसे देखने के लिए उमड़ रही है। भारत-पाक के सकारात्मक संदेश की बदौलत सलमान खान की इस फिल्म को शानदार प्रतिक्रिया मिली है। सिनेमा घरों के मालिकों का दावा है कि उन्होंने फिल्म देखने के बाद बड़ी संख्या में लोगों को नम आंखों के साथ सिनेमा घरों से निकलते देखा है। लाहौर के सिने स्टार सिनेमा के शहराम रजा ने कहा कि मैं पिछले सात वर्षों से सिनेमा के इस कारोबार में हूं, लेकिन मैंने कभी इतनी बड़ी संख्या में लोगों को आंखों में आंसू लिए हॉल से बाहर आते नहीं देखा। बजरंगी भाईजान के हर शो के बाद यहां मैंने ऐसा देखा है। टिकट के काउंटर पर काम करने वाले रजा कहते हैं कि लोग बजरंगी भाईजान की टिकटें खरीदते हुए बहुत उत्साहित दिखाई पड़ते हैं। दूसरी फिल्मों में लोग जोर-जोर से बातें करते आते हैं, लेकिन बजरंगी भाईजान में थिएटर से बाहर निकलते नम आंखों से गंभीर मुद्रा में बाहर निकलते हैं। रजा कहते हैं कि फिल्म की भावनात्मक कहानी के कारण लोग इस फिल्म से जुड़ाव महसूस करते हैं। कुछ युवाओं ने फिल्म दो-तीन बार देख ली है। उनका कहना है कि यह शायद पहली ऐसी भारतीय फिल्म है जिसमें पाकिस्तान को सकारात्मक रूप से दिखाया गया है। एक दर्शक मोमिना राना कहती हैं कि वह बॉलीवुड के फिल्मकारों की सोच में आए इस बदलाव को देखकर खुश हैं, पाकिस्तान और भारत दोनों की ही आम जनता अमनपसंद है। इसलिए इस फिल्म को यहां और भारत दोनों ही जगह इतनी अधिक सराहना मिली है। सत्य का सहारा लेकर अपनी मंजिल तक पहुंचनी फिल्म यह दर्शाती है। कबीर खान द्वारा निर्देशित, बजरंगी भाईजान फिल्म क्रिटिक्स और दर्शकों दोनों को पसंद आई है। फिल्म की भावनात्मक कहानी के द्वारा दोनों मुल्कों की अवाम तक आपसी संबंध सुधारने का सकारात्मक संदेश भी दिया गया है। अगर आपने फिल्म नहीं देखी तो जरूर देखिए। यह किस करने वाली नहीं है।

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